एस्तेर 4:1-17

  • मोर्दकै मातम मनाता है (1-5)

  • वह एस्तेर से मदद माँगता है (6-17)

4  जैसे ही मोर्दकै+ को इन बातों का पता चला,+ उसने मारे दुख के अपने कपड़े फाड़े और टाट ओढ़कर खुद पर राख डाली। वह शहर के बीचों-बीच गया और फूट-फूटकर रोने लगा।  इसी हाल में वह राजा के महल के फाटक पर आया। मगर वह फाटक के अंदर नहीं गया क्योंकि किसी को भी टाट ओढ़कर अंदर जाने की इजाज़त नहीं थी।  जिस-जिस ज़िले+ में राजा का हुक्म और फरमान सुनाया गया, वहाँ यहूदियों में बड़ा मातम छा गया। वे रो-रोकर और छाती पीट-पीटकर दुख मनाने लगे और उपवास करने लगे।+ कई यहूदी ज़मीन पर टाट बिछाकर और राख डालकर उस पर लेट गए।+  जब एस्तेर की सेविकाओं और खोजों ने आकर उसे खबर दी तो रानी बेचैन हो उठी। उसने मोर्दकै के लिए कपड़े भिजवाए ताकि वह टाट उतारकर उन्हें पहन ले। मगर मोर्दकै ने उन्हें लेने से इनकार कर दिया।  तब एस्तेर ने राजा के खोजों में से हताक को बुलाया, जिसे राजा ने एस्तेर की सेवा के लिए ठहराया था। एस्तेर ने हताक को हुक्म दिया कि वह जाकर मोर्दकै से पूछे कि ऐसा क्या हुआ है जो वह टाट ओढ़े बैठा है।  तब हताक राजा के महल के फाटक से निकलकर सामने शहर के चौक में मोर्दकै के पास गया।  मोर्दकै ने हताक को बताया कि उस पर क्या आफत टूट पड़ी है और हामान ने यहूदियों का सफाया करने के लिए शाही खज़ाने में कितनी रकम देने+ का वादा किया है।+  उसने हताक को उस फरमान की नकल भी दी जो यहूदियों के विनाश के लिए शूशन* में जारी किया गया था।+ हताक को यह फरमान एस्तेर को दिखाकर उसे सारी बातें समझानी थीं। मोर्दकै ने यह हिदायत भी दी+ कि एस्तेर सीधे राजा के सामने जाए और अपने लोगों की खातिर उससे रहम की भीख माँगे।  हताक ने लौटकर एस्तेर को वह सारी बातें बतायीं जो मोर्दकै ने उससे कही थीं। 10  एस्तेर ने उसे वापस मोर्दकै+ के पास भेजा और यह बोलने के लिए कहा, 11  “राजा के सभी सेवक और उसके ज़िले के लोग इस कानून को अच्छी तरह जानते हैं कि अगर कोई बिन बुलाए राजा से मिलने उसके भवन के अंदरवाले आँगन में जाता है,+ तो उसकी एक ही सज़ा है, मौत! वह सिर्फ तभी बच सकता है जब राजा उसकी तरफ सोने का राजदंड बढ़ाए।+ और मुझे तो 30 दिन से राजा के पास नहीं बुलाया गया है।” 12  जब एस्तेर का पैगाम मोर्दकै को दिया गया, 13  तो उसने एस्तेर को जवाब दिया, “यह मत सोच कि तू राजा के घराने से है इसलिए तू बच जाएगी और बाकी यहूदियों के साथ नहीं मारी जाएगी। 14  अगर इस वक्‍त तू चुप रही तो यहूदियों को कहीं-न-कहीं से मदद और छुटकारा मिल जाएगा,+ मगर तू और तेरे पिता का घराना नाश हो जाएगा। और क्या पता, तुझे इसी दिन के लिए रानी बनाया गया हो?”+ 15  तब एस्तेर ने मोर्दकै को यह संदेश भेजा: 16  “जा और जाकर शूशन* में जितने भी यहूदी हैं उन सबको इकट्ठा कर और मेरे लिए उपवास कर।+ तीन दिन और तीन रात कोई कुछ न खाए-पीए।+ मैं भी अपनी सेविकाओं के साथ उपवास करूँगी। और बिन बुलाए राजा के सामने जाऊँगी, जो कानून के खिलाफ है। और अगर मैं मारी गयी, तो यही सही।” 17  तब मोर्दकै ने जाकर वैसा ही किया जैसा एस्तेर ने कहा था।

कई फुटनोट

या “सूसा।”
या “सूसा।”