एस्तेर 8:1-17

  • मोर्दकै को ऊँचा पद दिया गया (1, 2)

  • राजा से एस्तेर की बिनती (3-6)

  • राजा का दूसरा फरमान (7-14)

  • यहूदियों को मिली राहत और खुशी (15-17)

8  उस दिन राजा अहश-वेरोश ने यहूदियों के दुश्‍मन हामान+ का सबकुछ रानी एस्तेर को दे दिया।+ और मोर्दकै को राजा के सामने लाया गया क्योंकि एस्तेर ने राजा को बताया था कि मोर्दकै से उसका क्या रिश्‍ता है।+  राजा ने मोर्दकै को अपनी मुहरवाली अँगूठी दी,+ जो उसने हामान से वापस ले ली थी। और एस्तेर ने मोर्दकै को हामान की सारी चीज़ों पर अधिकार दिया।+  एस्तेर एक बार फिर राजा के पास गयी और उसके पैरों पर गिरकर रोने लगी। वह राजा के आगे गिड़गिड़ाने लगी कि राजा, अगागी हामान की साज़िश को नाकाम कर दे, जो यहूदियों की तबाही के लिए रची गयी थी।+  राजा ने एस्तेर की तरफ सोने का राजदंड बढ़ाया,+ तब वह उठकर खड़ी हो गयी।  उसने राजा से कहा, “अगर राजा मुझसे खुश है और उसकी मेहरबानी मुझ पर है तो वह मेरी बिनती सुने। अगर राजा को यह ठीक लगे तो वह एक हुक्म निकलवाए और अगागी+ हम्मदाता के बेटे हामान के खत को रद्द करवाए,+ जिसमें उस मक्कार ने सभी ज़िलों के यहूदियों को मारने का आदेश दिया था।  हे राजा, जब मेरे अपने लोगों पर मुसीबत आनेवाली है, तो मैं कैसे चुप बैठ सकती हूँ? भला मैं अपनी आँखों के सामने अपने रिश्‍तेदारों को मरते कैसे देख सकती हूँ?”  यह सुनकर राजा अहश-वेरोश ने रानी एस्तेर और यहूदी मोर्दकै से कहा, “देखो! मैंने हामान को यहूदियों का सफाया करने* की साज़िश के लिए काठ पर लटका दिया+ और उसका सबकुछ एस्तेर को दे दिया है।+  अब तुम्हें यहूदियों की हिफाज़त के लिए जो सही लगे, वही करो। मेरे नाम से एक फरमान निकालो और उस पर मेरी अँगूठी से मुहर लगाओ। क्योंकि जो फरमान राजा के नाम से जारी किया जाता है और जिस पर राजा की अँगूठी की मुहर होती है, उसे किसी भी हाल में रद्द नहीं किया जा सकता।”+  इसलिए सीवान* नाम के तीसरे महीने के 23वें दिन, राजा के शास्त्रियों* को बुलाया गया। और मोर्दकै ने यहूदियों, सूबेदारों,+ राज्यपालों और हिन्दुस्तान से लेकर इथियोपिया तक, 127 ज़िलों के हाकिमों+ के लिए जो-जो हुक्म दिया, उसे इन शास्त्रियों ने लिख लिया। यह फरमान सभी ज़िलों के लोगों को उनकी भाषा और लिपि में, यहाँ तक कि यहूदियों को भी उनकी भाषा और लिपि में लिखा गया। 10  मोर्दकै ने यह फरमान राजा अहश-वेरोश के नाम से लिखा और उस पर राजा की अँगूठी से मुहर लगायी।+ फिर उसने दूतों को यह फरमान देकर भेजा। वे जगह-जगह इसे पहुँचाने के लिए सरपट दौड़नेवाले घोड़ों पर निकल पड़े, जो शाही काम के लिए रखे गए थे। 11  फरमान में राजा ने अलग-अलग शहरों में रहनेवाले यहूदियों को हुक्म दिया कि वे अपनी जान बचाने के लिए एकजुट हो जाएँ। और अगर किसी राष्ट्र या ज़िले के लोग दल बनाकर उन पर हमला करें, तो वे उनको और उनके बीवी-बच्चों को मार डालें और उनका सबकुछ लूट लें।+ 12  यह हुक्म राजा अहश-वेरोश के सभी ज़िलों में उसी दिन लागू किया जाना था यानी अदार* नाम के 12वें महीने की 13वीं तारीख को।+ 13  फरमान में लिखी बातों को कानून समझकर सभी ज़िलों में लागू करना था और सब लोगों को पढ़कर सुनाना था ताकि उस दिन यहूदी अपने दुश्‍मनों से बदला लेने के लिए तैयार हो जाएँ।+ 14  राजा का हुक्म मिलते ही उसके दूत तुरंत शाही घोड़ों पर निकल पड़े और इस कानून को जगह-जगह पहुँचाने लगे। शूशन*+ नाम के किले* में भी यही कानून जारी किया गया। 15  अब मोर्दकै राजा के पास से चला गया। उसके सिर पर सोने का शानदार ताज था और वह शाही पोशाक पहने था, जो नीले धागे और सफेद धागे से बनी थी और उसके ऊपर वह बैंजनी ऊन का लबादा डाले हुए था।+ शूशन* शहर में खुशियों की लहर दौड़ उठी। 16  यहूदियों को राहत* मिली, वे मगन होकर जश्‍न मनाने लगे और उनका आदर-सम्मान किया गया। 17  हर ज़िले में और हर शहर में, जहाँ-जहाँ राजा का कानून पहुँचा और उसका फरमान पढ़ा गया, वहाँ यहूदी खुशी से झूम उठे। उन्होंने दावतें रखीं और वे जश्‍न मनाने लगे। आस-पास के देशों के लोगों में यहूदियों का खौफ समा गया और उनमें से कई लोग यहूदी बन गए।+

कई फुटनोट

शा., “यहूदियों पर हाथ बढ़ाने।”
या “सचिवों।”
अति. ख15 देखें।
अति. ख15 देखें।
या “सूसा।”
या “महल।”
या “सूसा।”
शा., “रौशनी।”