गलातियों के नाम चिट्ठी 3:1-29
3 अरे गलातिया के नासमझ लोगो, किसने तुम्हें भरमा लिया है?+ तुम्हें तो साफ-साफ समझाया गया था कि क्यों यीशु मसीह को काठ पर ठोंक दिया गया।+
2 मैं तुमसे बस एक बात पूछना* चाहता हूँ। तुम्हें पवित्र शक्ति, कानून में बताए काम करने से मिली थी या खुशखबरी सुनकर विश्वास करने से?+
3 क्या तुम इतने नासमझ हो? तुमने पवित्र शक्ति के मुताबिक चलते हुए शुरूआत की थी, अब अंत में क्या इंसानी तरीके से चलना चाहते हो?+
4 क्या तुमने इतने दुख बेकार ही सहे थे? नहीं, वे बेकार नहीं थे।
5 इसलिए जो तुम्हें पवित्र शक्ति देता है और तुम्हारे बीच शक्तिशाली काम करता है,+ क्या वह इसलिए करता है कि तुम कानून में बताए गए काम करते हो या इसलिए कि तुमने खुशखबरी सुनकर उस पर विश्वास किया था?
6 अब्राहम ने भी “यहोवा* पर विश्वास किया और इस वजह से उसे नेक समझा गया।”+
7 बेशक तुम यह जानते हो कि जो विश्वास से चलते हैं सिर्फ वे ही अब्राहम के वंशज हैं।+
8 शास्त्र ने पहले से यह देखकर कि परमेश्वर विश्वास के आधार पर गैर-यहूदियों को नेक ठहराएगा, अब्राहम को यह खुशखबरी बता दी, “तेरे ज़रिए सभी जातियाँ आशीष पाएँगी।”+
9 इसलिए जो विश्वास से चलते हैं, वे अब्राहम की तरह ही आशीष पाते हैं जिसमें विश्वास था।+
10 जितने भी कानून में बताए कामों पर भरोसा करते हैं, वे शाप के अधीन हैं क्योंकि लिखा है, “जो कोई कानून की किताब में लिखी सब बातों को नहीं मानता, वह शापित है।”+
11 इसके अलावा, यह बात साफ है कि कानून के आधार पर किसी को भी परमेश्वर की नज़र में नेक नहीं ठहराया जा सकता+ क्योंकि लिखा है, “जो नेक है, वह अपने विश्वास से ज़िंदा रहेगा।”+
12 कानून का विश्वास से कोई नाता नहीं था। उसमें सिर्फ यह कहा गया था, “जो कोई ये काम करता है वह ज़िंदा रहेगा।”+
13 मसीह ने हमें खरीदकर+ कानून के शाप से छुड़ाया+ और खुद हमारी जगह शापित बना क्योंकि लिखा है, “हर वह इंसान जो काठ पर लटकाया जाता है वह शापित है।”+
14 यह इसलिए हुआ कि अब्राहम को जो आशीष मिली थी वह मसीह यीशु के ज़रिए दूसरे राष्ट्रों को भी मिले+ और हम अपने विश्वास के ज़रिए वह पवित्र शक्ति पाएँ+ जिसका वादा किया गया था।
15 भाइयो, मैं रोज़मर्रा ज़िंदगी की एक मिसाल से समझाता हूँ: कोई भी करारनामा, फिर चाहे वह इंसान का ही क्यों न हो, एक बार जब पक्का कर दिया जाता है, तो उसे न रद्द किया जा सकता है न ही उसमें कुछ जोड़ा जा सकता है।
16 अब जो वादे थे वे अब्राहम और उसके वंश* से किए गए थे।+ शास्त्र यह नहीं कहता, “और तेरे वंशजों* से,” मानो वह बहुतों की बात कर रहा हो, बल्कि वह सिर्फ एक के बारे में बात कर रहा था, “और तेरे वंश* से,” जो मसीह है।+
17 मैं यह भी कहता हूँ: परमेश्वर ने जो करार या वादा पहले से किया था, उसे वह कानून रद्द नहीं कर देता जो 430 साल बाद आया था।+
18 इसलिए कि अगर विरासत कानून के आधार पर दी जाती, तो फिर यह वादे की वजह से नहीं दी जाती। मगर सच तो यह है कि परमेश्वर ने मेहरबान होकर यह विरासत अब्राहम को एक वादे के ज़रिए दी है।+
19 तो फिर कानून क्यों दिया गया? यह पापों को ज़ाहिर करने के लिए+ बाद में इसलिए दिया गया ताकि यह तब तक रहे जब तक कि वह वंश* न आए+ जिससे वादा किया गया था। यह कानून स्वर्गदूतों के ज़रिए एक बिचवई+ के हाथों पहुँचाया गया था।+
20 जहाँ सिर्फ एक पक्ष होता है वहाँ बिचवई की ज़रूरत नहीं होती। परमेश्वर अकेला वह पक्ष है जिसने यह वादा किया है।
21 तो फिर, क्या कानून परमेश्वर के वादों के खिलाफ है? हरगिज़ नहीं! क्योंकि अगर ऐसा कानून दिया जाता जो ज़िंदगी दिला सकता, तो एक इंसान कानून को मानकर ही नेक ठहर सकता था।
22 मगर शास्त्र ने सबको पाप की हिरासत में सौंप दिया ताकि वह वादा जो यीशु मसीह पर विश्वास करने पर निर्भर है, उनके लिए हो जो उस पर विश्वास करते हैं।
23 मगर विश्वास के आने से पहले, हम कानून की हिफाज़त में थे और उसकी हिरासत में सौंपे गए थे और उस विश्वास का इंतज़ार कर रहे थे जो प्रकट होनेवाला था।+
24 इस तरह कानून हमें मसीह तक ले जाने के लिए हमारी देखरेख करनेवाला* बना+ ताकि हम विश्वास की वजह से नेक ठहराए जाएँ।+
25 अब विश्वास आ पहुँचा है+ इसलिए हम किसी देखरेख करनेवाले* के अधीन नहीं रहे।+
26 दरअसल तुम सब मसीह यीशु में विश्वास+ करने की वजह से परमेश्वर के बेटे हो।+
27 इसलिए कि तुम सबने, जिन्होंने मसीह में बपतिस्मा लिया है, मसीह को पहन लिया है।+
28 अब न तो कोई यहूदी रहा न यूनानी,+ न कोई गुलाम न ही आज़ाद,+ न कोई आदमी न कोई औरत+ क्योंकि तुम सब मसीह यीशु के साथ एकता में हो।+
29 और अगर तुम मसीह के हो, तो तुम वाकई अब्राहम का वंश* हो+ और वादे+ के मुताबिक वारिस हो।+
कई फुटनोट
^ शा., “जानना।”
^ शा., “बीज।”
^ शा., “बीजों।”
^ शा., “बीज।”
^ शा., “बीज।”
^ या “अभिभावक।”
^ या “अभिभावक।”
^ शा., “बीज।”