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जकरयाह की किताब

अध्याय

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सारांश

  • 1

    • यहोवा का बुलावा (1-6)

      • “मेरे पास लौट आओ! तब मैं तुम्हारे पास लौट आऊँगा” (3)

    • पहला दर्शन: मेंहदी के पेड़ों में घुड़सवार (7-17)

      • “यहोवा फिर से सिय्योन को दिलासा देगा” (17)

    • दूसरा दर्शन: 4 सींग, 4 कारीगर (18-21)

  • 2

    • तीसरा दर्शन: एक आदमी नापने की डोरी लिए हुए (1-13)

      • यरूशलेम नापा जाएगा (2)

      • यहोवा “चारों तरफ आग की दीवार” है (5)

      • परमेश्‍वर की आँख की पुतली छूना (8)

      • कई राष्ट्र यहोवा से जुड़ जाएँगे (11)

  • 3

    • चौथा दर्शन: महायाजक यहोशू के कपड़े बदले गए (1-10)

      • शैतान उसका विरोध करता है (1)

      • ‘मैं अपने सेवक अंकुर को लाऊँगा’ (8)

  • 4

    • पाँचवाँ दर्शन: एक दीवट और जैतून के दो पेड़ (1-14)

      • “न ताकत से बल्कि मेरी पवित्र शक्‍ति से” (6)

      • छोटी शुरूआत को तुच्छ न जानो (10)

  • 5

    • छठा दर्शन: उड़ता हुआ खर्रा (1-4)

    • सातवाँ दर्शन: एपा का बरतन (5-11)

      • उसमें बैठी औरत दुष्टता की निशानी (8)

      • बरतन शिनार ले जाया गया (9-11)

  • 6

    • आठवाँ दर्शन: चार रथ (1-8)

    • वह अंकुर, राजा और याजक होगा (9-15)

  • 7

    • उपवास के ढोंग के लिए यहोवा धिक्कारता है (1-14)

      • ‘क्या उपवास सचमुच मेरे लिए था?’ (5)

      • ‘न्याय करो, दया करो और अटल प्यार रखो’ (9)

  • 8

    • यहोवा सिय्योन में शांति और सच्चाई फैलाता है (1-23)

      • यरूशलेम “सच्चाई की नगरी” (3)

      • “एक-दूसरे से सच बोलना” (16)

      • उपवास जश्‍न में बदला (18, 19)

      • ‘आओ, यहोवा की खोज करें’ (21)

      • दस लोग, एक यहूदी के कपड़े का छोर पकड़ेंगे (23)

  • 9

    • पड़ोसी राष्ट्रों को परमेश्‍वर की तरफ से सज़ा (1-8)

    • सिय्योन के राजा का आना (9, 10)

      • वह नम्र राजा गधे पर सवार होकर आता है (9)

    • यहोवा के लोग आज़ाद होंगे (11-17)

  • 10

    • यहोवा से बारिश माँगो, झूठे ईश्‍वरों से नहीं (1, 2)

    • यहोवा अपने लोगों को एक करता है (3-12)

      • यहूदा के घराने से एक अगुवा निकलेगा (3, 4)

  • 11

    • परमेश्‍वर के सच्चे चरवाहे को ठुकराने का नतीजा (1-17)

      • “घात होनेवाली भेड़ों का चरवाहा बन जा” (4)

      • दो लाठियाँ: कृपा और एकता (7)

      • चरवाहे की मज़दूरी: चाँदी के 30 टुकड़े (12)

      • पैसे, खज़ाने में फेंक दिए गए (13)

  • 12

    • यहोवा, यहूदा और यरूशलेम की रक्षा करेगा (1-9)

      • यरूशलेम एक “भारी पत्थर” (3)

    • जिसे भेदा गया उसके लिए रोना (10-14)

  • 13

    • मूरतों और झूठे भविष्यवक्‍ताओं को निकालना (1-6)

      • झूठे भविष्यवक्‍ता शर्मिंदा (4-6)

    • चरवाहे को मारा जाएगा (7-9)

      • एक-तिहाई लोग शुद्ध किए जाएँगे (9)

  • 14

    • सच्ची उपासना की बड़ी जीत (1-21)

      • जैतून पहाड़ का दो हिस्सों में बँटना (4)

      • यहोवा एक होगा और उसका नाम भी एक होगा (9)

      • यरूशलेम के दुश्‍मनों पर महामारी (12-15)

      • छप्परों का त्योहार मनाना (16-19)

      • हर हंडा यहोवा के लिए पवित्र (20, 21)