जकरयाह 11:1-17
11 “हे लबानोन, अपने फाटक खोलकि आग तेरे देवदारों को भस्म कर दे।
2 हे सनोवर, ज़ोर-ज़ोर से रो क्योंकि देवदार गिर गए हैं,ऊँचे-ऊँचे पेड़ नष्ट हो गए हैं!
बाशान के बाँज पेड़ो, तुम भी विलाप करो,क्योंकि घना जंगल खाक में मिल चुका है!
3 सुनो! चरवाहों का मातम सुनो!
क्योंकि उनकी शान मिट गयी है।
सुनो! जवान शेर का दहाड़ना सुनो!
क्योंकि यरदन किनारे की घनी झाड़ियाँ नष्ट हो चुकी हैं।
4 मेरा परमेश्वर यहोवा कहता है, ‘घात होनेवाली भेड़ों का चरवाहा बन जा।+
5 खरीदनेवाले उन्हें मार डालते हैं,+ मगर कोई उन्हें दोषी नहीं ठहराता। उन भेड़ों को बेचनेवाले+ कहते हैं, “यहोवा की बड़ाई हो क्योंकि मैं मालामाल हो जाऊँगा।” उनके चरवाहे उन पर कोई तरस नहीं खाते।’+
6 यहोवा ऐलान करता है, ‘मैं देश के निवासियों पर अब और तरस नहीं खाऊँगा। मैं हर आदमी को उसके पड़ोसी और उसके राजा के हवाले कर दूँगा कि वे उसे सताएँ। वे देश को तबाह कर देंगे और मैं उसके लोगों को उनके हाथ से नहीं बचाऊँगा।’”
7 तब मैं घात होनेवाली भेड़ों का चरवाहा बन गया।+ हाँ, तुम सतायी हुई भेड़ों की खातिर मैंने ऐसा किया। मैंने दो लाठियाँ लीं, एक का नाम मैंने कृपा रखा और दूसरी का एकता।+ और मैं झुंड की चरवाही करने लगा।
8 मैंने एक ही महीने में तीन चरवाहों को निकाल दिया क्योंकि मैं उनको बरदाश्त नहीं कर सका। वे भी मुझसे नफरत करते थे।
9 मैंने कहा, “अब मैं तुम भेड़ों की और देखभाल नहीं करूँगा। जिसे मरना है वह मरे, जिसे नष्ट होना है वह नष्ट हो। और जो बच जाएँ, वे एक-दूसरे को फाड़ खाएँ।”
10 तब मैंने कृपा की लाठी ली+ और उसे काट डाला। इस तरह मैंने वह करार तोड़ दिया जो मैंने अपने लोगों के साथ किया था।
11 उस दिन वह करार टूट गया। जब झुंड की सतायी हुई भेड़ों ने मुझे यह सब करते देखा तो वे समझ गयीं कि यह संदेश यहोवा की तरफ से है।
12 फिर मैंने उनसे कहा, “अगर तुम्हें ठीक लगे तो मुझे मेरी मज़दूरी दो, लेकिन अगर नहीं तो मत दो।” तब उन्होंने मुझे मज़दूरी में चाँदी के 30 टुकड़े तौलकर दिए।+
13 इस पर यहोवा ने मुझसे कहा, “बहुत बड़ी कीमत आँकी है उन्होंने मेरी!+ जा, इन्हें खज़ाने में फेंक आ!” तब मैं चाँदी के 30 टुकड़े लेकर यहोवा के भवन में गया और मैंने उन्हें खज़ाने में फेंक दिया।+
14 फिर मैंने दूसरी लाठी एकता को लिया+ और उसे काट डाला। इस तरह यहूदा और इसराएल के बीच भाईचारा खत्म हो गया।+
15 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “निकम्मे चरवाहे का औज़ार ले ले।+
16 क्योंकि मैं एक चरवाहे को इस देश का अधिकारी बनने दूँगा। वह उन भेड़ों की देखभाल नहीं करेगा जो मरनेवाली हैं।+ वह न तो नन्हीं भेड़ों को ढूँढ़ेगा, न ज़ख्मी भेड़ों की मरहम-पट्टी करेगा+ और न ही भली-चंगी भेड़ों को खिलाएगा। उलटा, वह मोटी-ताज़ी भेड़ों का माँस खाएगा+ और भेड़ों के खुरों को उखाड़ देगा।+
17 धिक्कार है उस निकम्मे चरवाहे पर,+ जो भेड़ों को बेसहारा छोड़ देता है!+
एक तलवार उसके बाज़ू पर और उसकी दायीं आँख पर वार करेगी।
उसका हाथ पूरी तरह सूख जाएगाऔर वह दायीं आँख से अंधा हो जाएगा।”