नहेमायाह 6:1-19

  • निर्माण काम का विरोध जारी (1-14)

  • शहरपनाह 52 दिनों में तैयार (15-19)

6  अब सनबल्लत, तोब्याह,+ अरब के रहनेवाले गेशेम+ और हमारे बाकी दुश्‍मनों को यह पता चला कि मैंने पूरी शहरपनाह बना ली है+ और सारे टूटे हुए हिस्सों की मरम्मत कर दी है (हालाँकि उस समय तक मैंने फाटकों के पल्ले नहीं लगाए थे)।+  तब सनबल्लत और गेशेम ने तुरंत मुझे यह संदेश भेजा, “हम तुझसे मिलना चाहते हैं। क्यों न हम एक समय तय करें और ओनो+ के मैदान में बसे एक गाँव में मिलें?” मगर उनका इरादा मुझे नुकसान पहुँचाने का था।  इसलिए मैंने अपने आदमी भेजकर उनसे कहा, “मैं बहुत ज़रूरी काम में लगा हूँ, मैं तुम्हारे पास नहीं आ सकता। अगर मैं आया, तो यह काम रुक जाएगा।”  उन्होंने चार बार मुझे यही संदेश भिजवाया और हर बार मेरा वही जवाब था।  तब सनबल्लत ने पाँचवीं बार उसी संदेश के साथ अपना सेवक भेजा। उसके हाथ में एक खुली चिट्ठी थी।  उसमें लिखा था, “लोगों में यह चर्चा हो रही है और गेशेम+ का भी कहना है कि तू और तेरे यहूदी लोग राजा से बगावत करने की सोच रहे हैं,+ इसीलिए तू यह शहरपनाह बना रहा है। यह भी सुनने में आया है कि तू यहूदियों का राजा बनना चाहता है।  तूने अपने लिए भविष्यवक्‍ता भी ठहराए हैं, जो पूरे यरूशलेम में तेरे बारे में यह ऐलान कर रहे हैं, ‘यहूदा में एक नया राजा आया है।’ ये बातें राजा तक पहुँच ही जाएँगी। इसलिए आ, हम इस मामले पर बात करें और इसे सुलझाएँ।”  लेकिन मैंने उसे यह जवाब दिया, “जो कुछ तूने कहा वह सरासर झूठ है। ये सब तेरे मन की गढ़ी हुई बातें हैं।”  दरअसल यह हमें डराने के लिए किया गया था। उन्हें लगा कि अगर हमारे हाथ ढीले पड़ जाएँ, तो हमारा काम धरा-का-धरा रह जाएगा।+ इसलिए हे परमेश्‍वर, मेरे हाथों को मज़बूत कर।+ 10  फिर मैं शमायाह के घर गया जो दलायाह का बेटा और महेतबेल का पोता था। शमायाह अपने घर में छिपकर बैठा था। उसने मुझसे कहा, “दुश्‍मन तुझे मारने आ रहे हैं। आ, हम तय करें कि हम किस वक्‍त सच्चे परमेश्‍वर के भवन में, मंदिर के अंदर मिलेंगे। हम मंदिर के दरवाज़े बंद कर लेंगे और छिप जाएँगे। देख! आज रात ही वे तुझे मारने आ रहे हैं।” 11  लेकिन मैंने कहा, “क्या मैं कोई डरपोक हूँ जो भागकर छिप जाऊँ? और अगर मुझ जैसा आम आदमी मंदिर के अंदर गया, तो क्या मारा नहीं जाएगा?+ नहीं! मैं मंदिर के अंदर नहीं जाऊँगा।” 12  मैं समझ गया कि शमायाह परमेश्‍वर की तरफ से नहीं बोल रहा है, वह तोब्याह और सनबल्लत+ के हाथ बिक चुका है। 13  उनके कहने पर उसने मुझे डराने की कोशिश की और मुझसे पाप करवाना चाहा ताकि दुश्‍मनों को मेरे नाम पर कीचड़ उछालने और मुझ पर दोष लगाने का मौका मिल जाए। 14  हे मेरे परमेश्‍वर, तुझसे बिनती है कि तू तोब्याह+ और सनबल्लत के बुरे कामों को मत भूलना। और भविष्यवक्‍तिन नोअद्याह और बाकी भविष्यवक्‍ताओं ने बार-बार मुझे डराने की जो कोशिश की, उसे भी मत भूलना। 15  एलूल* महीने के 25वें दिन शहरपनाह बनकर तैयार हो गयी। उसे बनाने में कुल 52 दिन लगे। 16  जब हमारे दुश्‍मनों और आस-पास के देशों के लोगों को यह खबर मिली, तो वे बहुत शर्मिंदा हुए।*+ और वे जान गए कि हमारे परमेश्‍वर की मदद से ही हम यह काम पूरा कर पाए हैं। 17  उन दिनों यहूदा के बड़े-बड़े लोग+ तोब्याह को बहुत-से खत लिखते थे और तोब्याह भी उनकी चिट्ठियों का जवाब दिया करता था। 18  कई यहूदियों ने तोब्याह का साथ देने की कसम खायी हुई थी क्योंकि वह आरह के बेटे+ शकन्याह का दामाद था। और तोब्याह के बेटे यहोहानान ने भी बेरेक्याह के बेटे मशुल्लाम+ की बेटी से शादी की थी। 19  ये यहूदी हमेशा मुझसे तोब्याह के बारे में अच्छी-अच्छी बातें करते थे और मैं उनसे जो भी कहता था उसकी खबर वे तुरंत तोब्याह को दे देते थे। और फिर तोब्याह मुझे डराने के लिए खत भेजता था।+

कई फुटनोट

अति. ख15 देखें।
शा., “वे अपनी ही नज़रों में गिर गए।”