निर्गमन 1:1-22

  • मिस्र में इसराएली गिनती में बढ़े (1-7)

  • इसराएलियों पर फिरौन का ज़ुल्म (8-14)

  • परमेश्‍वर का डर माननेवाली धाइयों ने ज़िंदगी बचायी (15-22)

1  इसराएल यानी याकूब के जो बेटे उसके साथ अपने-अपने परिवार को लेकर मिस्र आए, वे ये हैं:+  रूबेन, शिमोन, लेवी और यहूदा,+  इस्साकार, जबूलून और बिन्यामीन,  दान और नप्ताली, गाद और आशेर।+  यूसुफ पहले से मिस्र में था। याकूब के घराने में जितने लोग पैदा हुए थे* उनकी गिनती 70 थी।+  कुछ वक्‍त बाद यूसुफ की मौत हो गयी+ और उसके सभी भाई और उसकी पीढ़ी के सब लोग मर गए।  इसराएलियों* की कई संतानें हुईं और उनकी गिनती बहुत बढ़ने लगी। वे दिनों-दिन ताकतवर होते गए और उनकी आबादी इतनी तेज़ी से बढ़ने लगी कि वे पूरे मिस्र में भर गए।+  कुछ समय बाद मिस्र में एक नया राजा गद्दी पर बैठा जो यूसुफ को नहीं जानता था।  उस राजा ने अपने लोगों से कहा, “देखो, इन इसराएलियों की गिनती हमसे ज़्यादा हो गयी है और ये हमसे ज़्यादा ताकतवर हो गए हैं!+ 10  इसलिए आओ हम इनकी आबादी रोकने की कोई तरकीब सोचें, वरना इनकी तादाद इसी तरह बढ़ती जाएगी। और अगर हमारे दुश्‍मनों ने हमारे खिलाफ जंग छेड़ी तो ये इसराएली उनके साथ मिल जाएँगे और हमसे लड़ेंगे और यह देश छोड़कर भाग जाएँगे।” 11  इसलिए मिस्रियों ने इसराएलियों को सताने के लिए उन पर ऐसे अधिकारी* ठहराए जो उनसे कड़ी मज़दूरी करवाते थे।+ इसराएलियों ने इसी तरह मज़दूरी करके फिरौन के लिए पितोम और रामसेस+ नाम के गोदामवाले शहर बनाए। 12  मिस्रियों ने इसराएलियों को बहुत सताया, फिर भी इसराएलियों की तादाद बढ़ती गयी और वे मिस्र में दूर-दूर तक फैलते गए। इससे मिस्रियों के दिल में इसराएलियों का खौफ बैठ गया और वे उनसे नफरत करने लगे।+ 13  अब मिस्री इसराएलियों से और भी कड़ी गुलामी करवाने लगे।+ 14  उन्होंने उनका जीना मुश्‍किल कर दिया। उन्होंने उनसे मिट्टी का गारा और ईंट बनाने का काम करवाया और मैदानों में भी उनसे हर तरह की गुलामी करवायी। इस तरह मिस्रियों ने उनसे बुरे-से-बुरे हालात में कड़ी मज़दूरी करायी।+ 15  बाद में मिस्र के राजा ने शिपरा और पूआ नाम की दो इब्री धाइयों से कहा, 16  “जब तुम इब्री औरतों का प्रसव कराओ+ तो एक काम करना। अगर लड़का पैदा हुआ तो उसे मार डालना, लड़की हुई तो छोड़ देना।” 17  लेकिन उन धाइयों ने वैसा नहीं किया जैसा राजा ने उनसे कहा था, क्योंकि वे सच्चे परमेश्‍वर का डर मानती थीं। वे लड़कों को ज़िंदा छोड़ देती थीं।+ 18  कुछ वक्‍त बाद मिस्र के राजा ने उन धाइयों को बुलाकर उनसे पूछा, “तुम लड़कों को ज़िंदा क्यों छोड़ देती हो?” 19  धाइयों ने फिरौन से कहा, “इब्री औरतें मिस्री औरतों की तरह नहीं हैं। वे बड़ी फुर्तीली हैं, धाई के आने से पहले ही बच्चा जन लेती हैं।” 20  उन धाइयों ने जो किया, उसकी वजह से परमेश्‍वर ने उनके साथ भलाई की। इसराएलियों की गिनती बढ़ती गयी, वे बहुत ताकतवर होते गए। 21  उन धाइयों ने सच्चे परमेश्‍वर का डर माना था, इसलिए आगे चलकर परमेश्‍वर ने उन्हें औलाद का सुख दिया। 22  अब फिरौन ने अपने सभी लोगों को आज्ञा दी, “इब्रियों के घर जो भी लड़का होगा उसे तुम नील नदी में फेंक देना। अगर लड़की हुई तो उसे ज़िंदा छोड़ देना।”+

कई फुटनोट

शा., “याकूब की जाँघ से निकले थे।”
शा., “इसराएल के बेटों।”
या “जल्लाद।”