निर्गमन 10:1-29

  • आठवाँ कहर: टिड्डियाँ (1-20)

  • नौवाँ कहर: अँधेरा (21-29)

10  तब यहोवा ने मूसा से कहा, “तू फिरौन के सामने जा। देख, फिरौन और उसके अधिकारियों के दिल पर कोई असर नहीं हुआ है, वे अब भी ढीठ बने हुए हैं।+ और मैंने उन्हें ढीठ ही रहने दिया है ताकि मैं फिरौन के सामने अपने चिन्ह दिखा सकूँ,+  और तुम अपने बेटों और पोतों को यह दास्तान सुना सको कि मैं मिस्र पर कैसी-कैसी मुसीबतें लाया और मैंने क्या-क्या चिन्ह दिखाए।+ इससे तुम बेशक जान जाओगे कि मैं यहोवा हूँ।”  इसलिए मूसा और हारून फिरौन के पास गए और उससे कहने लगे, “इब्रियों का परमेश्‍वर यहोवा तुझसे कहता है, ‘तू और कब तक मेरे आगे झुकने से इनकार करता रहेगा?+ मेरे लोगों को जाने दे ताकि वे मेरी सेवा करें।  अगर तू मेरे लोगों को भेजने से इनकार करता रहेगा तो मैं कल तेरे देश के सभी इलाकों में टिड्डियों का कहर लाऊँगा।  उनकी तादाद इतनी होगी कि ज़मीन पूरी तरह ढक जाएगी, एक चप्पा भी कहीं नज़र नहीं आएगा। और ओलों की मार से जो कुछ बच गया है उसे टिड्डियाँ खा जाएँगी। मैदान में जितने भी पेड़ हैं, उनका एक-एक पत्ता साफ कर जाएँगी।+  तेरे और तेरे सभी अधिकारियों के घर, और सभी मिस्रियों के घर टिड्डियों से भर जाएँगे। तेरे देश पर टिड्डियों का इतना बड़ा दल टूट पड़ेगा जितना तेरे पुरखों के ज़माने से लेकर आज तक किसी ने कभी न देखा होगा।’”+ इतना कहने के बाद मूसा फिरौन के पास से चला गया।  तब फिरौन के अधिकारियों ने उससे कहा, “यह आदमी और कब तक हम पर मुसीबतें लाता रहेगा?* इन लोगों को जाने दे ताकि वे अपने परमेश्‍वर यहोवा की सेवा करें। क्या तू देख नहीं रहा, पूरा-का-पूरा मिस्र बरबाद हो गया है?”  तब मूसा और हारून को फिरौन के पास वापस लाया गया। फिरौन ने उनसे कहा, “तुम लोग जाओ अपने परमेश्‍वर यहोवा की सेवा करने। मगर यह बताओ तुममें से कौन-कौन जाएगा?”  मूसा ने कहा, “हम यहोवा के लिए एक त्योहार मनाने जा रहे हैं।+ इसलिए हमारे सभी लोग जाएँगे, हमारे बेटे-बेटियाँ, जवान, बुज़ुर्ग, छोटे-बड़े सब लोग। और हम अपनी भेड़ों और गाय-बैलों को भी साथ ले जाएँगे।”+ 10  फिरौन ने उनसे कहा, “अगर मैंने तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को यहाँ से जाने दिया तो इसका मतलब होगा कि यहोवा तुम्हारे साथ है।+ लेकिन ऐसा कुछ नहीं होनेवाला। मैं जानता हूँ कि तुम लोगों के इरादे सही नहीं हैं। 11  नहीं, मैं सबको नहीं जाने दूँगा। सिर्फ तुम्हारे आदमी जा सकते हैं, वे ही जाकर यहोवा की सेवा करें, आखिर तुमने इसी के लिए तो इजाज़त माँगी थी।” इसके बाद मूसा और हारून को फिरौन के यहाँ से भगा दिया गया। 12  अब यहोवा ने मूसा से कहा, “तू अपना हाथ मिस्र पर बढ़ा ताकि पूरे देश पर टिड्डियाँ छा जाएँ और उन सभी पेड़-पौधों और फसलों को खा जाएँ जो ओलों की मार से बच गयी हैं।” 13  मूसा ने फौरन अपनी छड़ी मिस्र पर बढ़ायी और यहोवा ने पूरब से एक हवा चलायी जो पूरे दिन और पूरी रात उस देश में चलती रही। सुबह होने पर पूरब की हवा के साथ टिड्डियाँ आने लगीं। 14  उनके झुंड-के-झुंड पूरे मिस्र पर मँडराने लगे और कोने-कोने में छा गए।+ टिड्डियों का यह कहर बड़ा ही दुखदायी था।+ टिड्डियों का इतना बड़ा दल मिस्र में न इससे पहले कभी देखा गया था, न ही इसके बाद कभी देखा जाएगा। 15  देश का चप्पा-चप्पा टिड्डियों के दल से इतना भर गया कि चारों तरफ अँधेरा-सा छा गया। टिड्डियाँ उन सभी पेड़-पौधों और फलों को चट कर गयीं जो ओलों की मार से बच गए थे। टिड्डियों ने कहीं एक पत्ता या घास का एक तिनका तक नहीं छोड़ा। 16  यह देखकर फिरौन ने मूसा और हारून को जल्द अपने पास बुलवाया और उनसे कहा, “मैंने तुम्हारे और तुम्हारे परमेश्‍वर यहोवा के खिलाफ पाप किया है। 17  बस इस बार मेरा पाप माफ कर दो और अपने परमेश्‍वर यहोवा से मेरे लिए फरियाद करो कि यह कहर मुझसे दूर कर दे।” 18  तब वह* फिरौन के पास से चला गया और उसने यहोवा से फरियाद की।+ 19  फिर यहोवा ने हवा का रुख बदल दिया और वह हवा पश्‍चिम से बहनेवाली तेज़ हवा बनकर सारी टिड्डियों को उड़ा ले गयी और उन्हें लाल सागर में डुबो दिया। पूरे मिस्र में एक भी टिड्डी नहीं बची। 20  मगर इस कहर के बाद भी फिरौन का दिल कठोर बना रहा और यहोवा ने उसे कठोर ही रहने दिया।+ फिरौन ने इसराएलियों को नहीं जाने दिया। 21  अब यहोवा ने मूसा से कहा, “अपना हाथ आसमान की तरफ बढ़ा ताकि मिस्र देश पर अँधेरा छा जाए, ऐसा घनघोर अँधेरा कि लोग उसे महसूस कर सकें।” 22  मूसा ने फौरन अपना हाथ आसमान की तरफ बढ़ाया और तीन दिन तक पूरे मिस्र पर घुप अँधेरा छाया रहा।+ 23  तीन दिन तक लोग न तो एक-दूसरे को देख पाए, न ही कोई घर से बाहर कदम रख सका। मगर जहाँ इसराएली रहते थे वहाँ उजाला था।+ 24  इसके बाद फिरौन ने मूसा को बुलाया और उससे कहा, “तुम यहोवा की सेवा करने जा सकते हो,+ अपने बच्चों को भी साथ ले जा सकते हो। मगर तुम अपनी भेड़ों और गाय-बैलों को नहीं ले जाओगे।” 25  लेकिन मूसा ने कहा, “तू खुद हमें बलिदानों और होम-बलियों के लिए जानवर देगा* और हम उन्हें अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिए चढ़ाएँगे।+ 26  हम अपने जानवरों को भी साथ ले जाएँगे, एक को* भी नहीं छोड़ सकते क्योंकि हमें अपने परमेश्‍वर यहोवा की उपासना में इनमें से कुछ जानवरों की बलि चढ़ानी है। मगर यहोवा को ठीक कौन-से जानवर चढ़ाने हैं, यह हमें तभी पता चलेगा जब हम वहाँ पहुँचेंगे।” 27  तब फिरौन का दिल और कठोर हो गया और यहोवा ने उसे कठोर ही रहने दिया। फिरौन इसराएलियों को भेजने के लिए राज़ी नहीं हुआ।+ 28  उसने मूसा से कहा, “दूर हो जा मेरी नज़रों से! और खबरदार जो तूने फिर कभी मेरे सामने आने की जुर्रत की। जिस दिन तू मेरे सामने आएगा, उसी दिन मर जाएगा।” 29  मूसा ने कहा, “ठीक है, मैं फिर कभी तेरे सामने नहीं आऊँगा।”

कई फुटनोट

शा., “हमारे लिए फंदा बना रहेगा?”
ज़ाहिर है कि यह मूसा है।
या “ले जाने देगा।”
शा., “एक खुर।”