निर्गमन 23:1-33

  • इसराएल के लिए न्याय-सिद्धांत (1-19)

    • ईमानदारी और न्याय से पेश आने के बारे में (1-9)

    • सब्त और त्योहारों के बारे में (10-19)

  • इसराएल को स्वर्गदूत राह दिखाएगा (20-26)

  • देश कैसे मिलेगा; उसकी सरहदें (27-33)

23  तुम ऐसी कोई खबर न फैलाना जो सच नहीं है।+ जब कोई दुष्ट किसी का बुरा करने के इरादे से तुम्हें उसके खिलाफ गवाही देने को कहता है, तो तुम उसका साथ मत देना।+  तुम भीड़ के पीछे जाकर कोई बुरा काम मत करना। तुम किसी मामले में गवाही देते वक्‍त भीड़ के साथ मत हो लेना* क्योंकि इससे अन्याय हो सकता है।  तुम किसी गरीब के झगड़े में पक्षपात न करना।+  अगर तुम अपने दुश्‍मन के खोए हुए बैल या गधे को कहीं भटकता हुआ देखो तो उसे लाकर उसके मालिक को सौंप देना।+  अगर तुम देखते हो कि तुमसे नफरत करनेवाले किसी आदमी का गधा बोझ तले दबा हुआ है, तो तुम आँखें फेरकर वहाँ से चले मत जाना। तुम उस आदमी की मदद करना ताकि वह अपने जानवर को बोझ से छुड़ा सके।+  तुम अपने बीच रहनेवाले किसी गरीब के मुकदमे की सुनवाई करते वक्‍त गलत फैसला सुनाकर अन्याय मत करना।+  तुम झूठे इलज़ाम से दूर रहना। किसी बेगुनाह और नेक इंसान को मार न डालना क्योंकि ऐसा दुष्ट काम करनेवाले को मैं हरगिज़ निर्दोष नहीं ठहराऊँगा।*+  तुम रिश्‍वत न लेना क्योंकि रिश्‍वत समझ-बूझवाले इंसानों को भी अंधा कर देती है और नेक लोगों से भी झूठ बुलवाती है।+  तुम अपने यहाँ रहनेवाले किसी परदेसी पर ज़ुल्म न ढाना। तुम जानते हो कि एक परदेसी की ज़िंदगी क्या होती है क्योंकि एक वक्‍त पर तुम भी मिस्र में परदेसी हुआ करते थे।+ 10  तुम अपनी ज़मीन पर छ: साल खेती करना और उसकी फसल काटना। 11  मगर सातवें साल ज़मीन पर कोई जुताई-बोआई न करना, उसे परती छोड़ देना। तब उसमें जो भी उगेगा उसे तुम्हारे बीच रहनेवाले गरीब खाएँगे और उसके बाद जो बचेगा उसे मैदान के जंगली जानवर खाएँगे। तुम अपने अंगूरों के बाग और जैतून के बाग के साथ भी यही करना। 12  तुम छ: दिन अपना काम-काज करना, मगर सातवें दिन विश्राम करना ताकि तुम्हारे बैल और गधे को आराम मिले और तुम्हारी दासी का बेटा और तुम्हारे बीच रहनेवाला परदेसी विश्राम करके तरो-ताज़ा हो जाए।+ 13  मैंने तुम्हें जो-जो बताया है, वह सब तुम बिना चूके करना।+ तुम दूसरे देवताओं का नाम मत पुकारना, उनका नाम तुम्हारी ज़बान* पर कभी न आए।+ 14  साल में तीन बार तुम मेरे लिए एक त्योहार मनाना।+ 15  तुम बिन-खमीर की रोटी का त्योहार मनाना।+ तुम सात दिन तक बिन-खमीर की रोटी खाना, जैसे मैंने तुम्हें आज्ञा दी थी। तुम यह त्योहार आबीब* महीने में तय वक्‍त पर मनाना,+ क्योंकि उसी वक्‍त तुम मिस्र से बाहर आए थे। कोई भी मेरे सामने खाली हाथ न आए।+ 16  इसके अलावा, तुम्हें कटाई का त्योहार* मनाना है, जब तुम्हें अपनी मेहनत से उगायी फसल का पहला फल मिलेगा।+ और साल के आखिर में बटोरने का त्योहार* मनाना, जब तुम खेतों से अपनी मेहनत का फल बटोरकर इकट्ठा करोगे।+ 17  साल में तीन बार सभी आदमी सच्चे प्रभु यहोवा के सामने हाज़िर हों।+ 18  तुम मेरे बलि-पशु के खून के साथ कोई खमीरी चीज़ मत चढ़ाना। मेरे त्योहारों में चरबी की जो बलि चढ़ायी जाती है, उसे अगली सुबह तक न रहने दिया जाए। 19  तुम अपनी ज़मीन की पहली उपज में से सबसे बढ़िया फल अपने परमेश्‍वर यहोवा के भवन में लाकर देना।+ तुम बकरी के बच्चे को उसकी माँ के दूध में मत उबालना।+ 20  मैं एक स्वर्गदूत को तुम्हारे आगे-आगे भेजूँगा+ ताकि रास्ते में वह तुम्हारी हिफाज़त करे और तुम्हें उस जगह पहुँचाए जो मैंने तुम्हारे लिए तैयार की है।+ 21  तुम उसकी बात ध्यान से सुनना और उसकी आज्ञा मानना। वह मेरे नाम से तुम्हारे पास आता है इसलिए उसके खिलाफ कभी बगावत मत करना। वह तुम्हारे अपराध माफ नहीं करेगा।+ 22  लेकिन अगर तुम उसकी बात सख्ती से मानोगे और वह सब करोगे जो मैं तुमसे कहता हूँ, तो मैं तुम्हारे दुश्‍मनों का सामना करूँगा और जो तुम्हारा विरोध करते हैं उनका विरोध करूँगा। 23  मेरा स्वर्गदूत तुम्हारे आगे-आगे जाएगा और तुम्हें उस देश में पहुँचाएगा जहाँ एमोरी, हित्ती, परिज्जी, कनानी, हिव्वी और यबूसी लोग रहते हैं। मैं उन सबको मिटा दूँगा।+ 24  तुम उनके देवताओं के आगे झुककर उन्हें दंडवत मत करना और उनकी पूजा करने के लिए बहक मत जाना। तुम वहाँ के लोगों के तौर-तरीके मत अपनाना।+ इसके बजाय, तुम उनकी मूरतें ढा देना और उनके पूजा-स्तंभ चूर-चूर कर देना।+ 25  तुम अपने परमेश्‍वर यहोवा की सेवा करना+ और वह तुम्हें आशीष देगा जिससे तुम्हें रोटी और पानी की कोई कमी नहीं होगी।+ मैं तुम्हारे बीच से बीमारियाँ दूर कर दूँगा।+ 26  तुम्हारे देश की औरतों का गर्भ नहीं गिरेगा और न ही वे बाँझ होंगी।+ मैं तुम्हें एक लंबी ज़िंदगी दूँगा।* 27  तुम्हारे वहाँ पहुँचने से पहले, मैं वहाँ के लोगों में अपना डर फैला दूँगा।+ जिन लोगों से तुम्हारा सामना होगा उनके बीच मैं खलबली मचा दूँगा और तुम्हारे सभी दुश्‍मनों को ऐसा हरा दूँगा कि वे तुम्हारे सामने से भाग खड़े होंगे।*+ 28  तुम्हारे वहाँ पहुँचने से पहले ही मैं वहाँ के हिव्वी, कनानी और हित्ती लोगों का हौसला तोड़ दूँगा*+ और वे तुम्हारे सामने से भाग जाएँगे।+ 29  मैं उन सबको एक ही साल के अंदर नहीं भगाऊँगा ताकि देश जंगल और वीरान न हो जाए और जंगली जानवरों से न भर जाए जिससे तुम्हें खतरा हो सकता है।+ 30  मैं उन्हें तब तक थोड़ा-थोड़ा करके भगाता रहूँगा जब तक कि तुम्हारी गिनती बढ़ न जाए और पूरे देश को तुम अपने कब्ज़े में न कर लो।+ 31  मैं लाल सागर से पलिश्‍तियों के सागर तक और वीराने से महानदी* तक तुम्हारे लिए सरहद ठहराऊँगा।+ मैं उस देश के निवासियों को तुम्हारे हाथ में कर दूँगा और तुम उन्हें अपने सामने से खदेड़ दोगे।+ 32  तुम न तो उनके साथ और न उनके देवताओं के साथ कोई करार करना।+ 33  तुम उन्हें अपने देश में कहीं रहने न देना ताकि वे तुमसे मेरे खिलाफ कोई पाप न करवाएँ। अगर तुम उनके देवताओं की पूजा करोगे तो यह ज़रूर तुम्हारे लिए एक फंदा बन जाएगा।”+

कई फुटनोट

या “सब जो बयान देते हैं वह मत देना।”
या “इलज़ाम से बरी नहीं करूँगा।”
शा., “मुँह।”
अति. ख15 देखें।
यह पिन्तेकुस्त भी कहलाता है।
यह छप्परों (या डेरों) का त्योहार भी कहलाता है।
या “पूरी उम्र जीने दूँगा।”
या “तुम्हारे सभी दुश्‍मनों को पीठ दिखाकर भागने पर मजबूर करूँगा।”
या शायद, “में डर; आतंक फैला दूँगा।”
यानी फरात नदी।