निर्गमन 40:1-38

  • पवित्र डेरा खड़ा किया गया (1-33)

  • यहोवा की महिमा से भर गया (34-38)

40  फिर यहोवा ने मूसा से कहा,  “तू पवित्र डेरे को, जो भेंट का तंबू है, पहले महीने के पहले दिन खड़ा करना।+  उसके अंदर गवाही का संदूक रखना+ और सामने परदा लगाना ताकि संदूक दिखायी न दे।+  फिर मेज़ लाकर डेरे के अंदर रखना+ और उस पर जो चीज़ें होनी चाहिए, उन्हें तरतीब से रखना। और दीवट लाकर रखना+ और उसके दीए जलाना।+  इसके बाद धूप जलाने के लिए बनायी गयी सोने की वेदी लाना+ और उसे गवाही के संदूक के सामने रखना और डेरे के द्वार पर परदा लगाना।+  तू होम-बलि की वेदी+ को डेरे यानी भेंट के तंबू के द्वार के सामने रखना  और हौद को भेंट के तंबू और वेदी के बीच रखना और उसमें पानी भरना।+  फिर तंबू के चारों तरफ कनातों से आँगन तैयार करना+ और आँगन के द्वार पर परदा+ लगाना।  इसके बाद तू अभिषेक का तेल+ लेना और डेरे और उसके अंदर रखी सारी चीज़ों का अभिषेक करना+ और उन्हें सेवा में इस्तेमाल के लिए अलग ठहराना ताकि इससे डेरा पवित्र हो जाए। 10  तू होम-बलि की वेदी और उसके साथ इस्तेमाल होनेवाली सारी चीज़ों का भी अभिषेक करके उन्हें पवित्र ठहराना ताकि इससे वेदी बहुत पवित्र हो जाए।+ 11  तू हौद और उसकी टेक का अभिषेक करके उन्हें पवित्र ठहराना। 12  फिर हारून और उसके बेटों को भेंट के तंबू के द्वार के पास लाना और उन्हें नहाने की आज्ञा देना।+ 13  तू हारून को पवित्र पोशाक पहनाना+ और उसका अभिषेक करके+ उसे पवित्र ठहराना ताकि वह याजक के नाते मेरी सेवा करे। 14  इसके बाद तू उसके बेटों को सामने लाना और उन्हें कुरते पहनाना।+ 15  तू उनका भी अभिषेक करना जैसे तू उनके पिता का अभिषेक करेगा।+ और वे याजकों के नाते मेरी सेवा करेंगे। उनका अभिषेक होने के बाद से याजकपद पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमेशा के लिए उन्हीं का रहेगा।”+ 16  मूसा ने यह सारा काम ठीक वैसा ही किया जैसे यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी।+ उसने ठीक वैसा ही किया। 17  दूसरे साल के पहले महीने के पहले दिन पवित्र डेरा खड़ा किया गया।+ 18  मूसा ने डेरा इस तरह खड़ा किया: उसने ज़मीन पर खाँचेदार चौकियाँ रखीं,+ उन पर चौखटें खड़ी कीं,+ चौखटों में डंडे+ लगाए और खंभों को खड़ा किया। 19  उसने डेरे को कपड़े से ढका+ और उस पर चादरें डालीं,+ ठीक जैसे यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी। 20  इसके बाद उसने गवाही की पटियाएँ लीं+ और उन्हें संदूक के अंदर रखा,+ संदूक में उसके डंडे लगाए+ और उसके ऊपर ढकना+ रख दिया।+ 21  वह गवाही के संदूक को डेरे के अंदर ले गया और उसने सामने परदा लगाया+ ताकि संदूक दिखायी न दे,+ ठीक जैसे यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी। 22  इसके बाद उसने भेंट के तंबू में, परदे के इस पार उत्तर की तरफ मेज़ रखी+ 23  और मेज़ पर यहोवा के सामने रोटियों का ढेर तरतीब से रखा,+ ठीक जैसे यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी। 24  मूसा ने तंबू के अंदर मेज़ के सामने यानी दक्षिण की तरफ दीवट+ रखा 25  और उसके दीए यहोवा के सामने जलाए,+ ठीक जैसे यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी। 26  इसके बाद उसने भेंट के तंबू में परदे के सामने सोने की वेदी रखी+ 27  ताकि उस पर सुगंधित धूप+ जलाया जाए और उससे धुआँ उठे,+ ठीक जैसे यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी। 28  फिर उसने डेरे के द्वार पर परदा लगाया।+ 29  उसने डेरे यानी भेंट के तंबू के द्वार पर होम-बलि की वेदी रखी+ ताकि उस पर होम-बलि+ और अनाज का चढ़ावा चढ़ाए, ठीक जैसे यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी। 30  फिर उसने भेंट के तंबू और वेदी के बीच हौद रखा और हाथ-पैर धोने के लिए उसमें पानी भरा।+ 31  मूसा, हारून और उसके बेटों ने हौद के पानी से वहाँ अपने हाथ-पैर धोए। 32  जब भी वे भेंट के तंबू के अंदर या वेदी के पास जाते तो पहले अपने हाथ-पैर धोते,+ ठीक जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी। 33  आखिर में उसने डेरे और वेदी के चारों तरफ का आँगन तैयार किया+ और आँगन के द्वार पर परदा लगाया।+ इस तरह मूसा ने सारा काम पूरा किया। 34  इसके बाद बादल भेंट के तंबू पर छाने लगा और पवित्र डेरा यहोवा की महिमा से भर गया।+ 35  मूसा भेंट के तंबू के अंदर नहीं जा पाया क्योंकि बादल उस पर छाया रहा और पवित्र डेरा यहोवा की महिमा से भर गया।+ 36  इसराएलियों के पूरे सफर में जब-जब बादल डेरे से ऊपर उठता तो वे अपना पड़ाव उठाकर आगे बढ़ते थे।+ 37  लेकिन जब बादल डेरे के ऊपर छाया रहता तो वे अपना पड़ाव डाले रहते। वे तब तक आगे नहीं बढ़ते जब तक कि बादल नहीं उठता।+ 38  दिन के वक्‍त यहोवा का बादल डेरे के ऊपर छाया रहता और रात को उसके ऊपर आग रहती थी। यह नज़ारा इसराएल के सारे घराने को पूरे सफर के दौरान दिखायी देता रहा।+

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