नीतिवचन 21:1-31

  • राजा का मन यहोवा मोड़ता है (1)

  • न्याय करना बलिदान चढ़ाने से बेहतर (3)

  • मेहनत से सफलता मिलती है (5)

  • जो दीन जन की नहीं सुनता, उसकी भी नहीं सुनी जाएगी (13)

  • यहोवा के खिलाफ कोई बुद्धि नहीं टिकती (30)

21  राजा का मन यहोवा के हाथ में पानी की धारा के समान है,+ वह जहाँ चाहता है उसे मोड़ देता है।+   इंसान को अपनी सभी राहें सही लगती हैं,+लेकिन यहोवा दिलों* को जाँचता है।+   यहोवा को बलिदानों से ज़्यादा,उन कामों से खुशी मिलती है, जो सही हैं और न्याय के मुताबिक हैं।+   घमंड से चढ़ी आँखें और मगरूर दिल पाप हैं,जो दीपक की तरह दुष्ट को राह दिखाते हैं।+   मेहनती की योजनाएँ ज़रूर सफल* होंगी,+लेकिन जल्दबाज़ी करनेवाले पर गरीबी छा जाएगी।+   झूठ बोलकर बटोरी गयी दौलत,कोहरे की तरह गायब हो जाती है, ऐसी दौलत मौत का फंदा साबित होती है।*+   दुष्टों की हिंसा उन्हीं का सफाया कर देती है,+क्योंकि वे न्याय करने से इनकार करते हैं।   जो दोषी होता है, उसकी राह टेढ़ी-मेढ़ी होती है,मगर जो निर्दोष होता है, उसके काम सीधाई के होते हैं।+   झगड़ालू* पत्नी के साथ घर में रहने से अच्छा है,छत पर अकेले एक कोने में रहना।+ 10  दुष्ट जन बुरे काम करने के लिए बेचैन रहता है,+वह दूसरों पर कोई दया नहीं करता।+ 11  हँसी उड़ानेवाले को जब सज़ा मिलती है, तो नादान बुद्धि हासिल करता हैऔर अगर बुद्धिमान को अंदरूनी समझ मिल जाए, तो वह ज्ञान हासिल करता है।*+ 12  नेक परमेश्‍वर, दुष्ट के घर पर ध्यान देता हैऔर दुष्ट को गिराकर उसका नाश कर देता है।+ 13  जो दीन जन की दुहाई सुनकर कान बंद कर लेता है,उसकी दुहाई भी नहीं सुनी जाएगी।+ 14  चोरी-छिपे दिया गया तोहफा गुस्सा ठंडा कर देता है,+चुपके से दी गयी घूस क्रोध शांत कर देती है। 15  नेक जन को न्याय करने से खुशी मिलती है,+लेकिन दुष्ट काम करनेवालों को न्याय बुरा लगता है। 16  जो इंसान अंदरूनी समझ की राह से भटक जाता है,उसे मरे हुओं के साथ ठिकाना मिलता है।+ 17  जिसे मौज-मस्ती से प्यार है, वह कंगाल हो जाएगा,+जिसे तेल और दाख-मदिरा से प्यार है, वह अमीर नहीं होगा। 18  नेक जन के लिए दुष्ट को फिरौती में दिया जाता हैऔर सीधे-सच्चे इंसान के लिए कपटी को दिया जाता है।+ 19  झगड़ालू* और चिड़चिड़ी पत्नी के साथ रहने से अच्छा है,वीराने में जाकर रहना।+ 20  बुद्धिमान के घर में बेशकीमती खज़ाना और तेल मिलता है,+लेकिन मूर्ख के पास जो कुछ होता है उसे वह लुटा देता है।+ 21  जो कोई नेकी और अटल प्यार का पीछा करता है,वह जीवन, नेकी और आदर पाता है।+ 22  बुद्धिमान इंसान योद्धाओं के शहर को जीत लेता है*और जिस ताकत पर वे भरोसा रखते हैं उसे तोड़ देता है।+ 23  जो अपने मुँह और ज़बान पर काबू रखता है,वह खुद को मुसीबत से बचाता है।+ 24  जो उतावली में आकर अपनी मर्यादा लाँघता है,वह गुस्ताख, घमंडी और डींगमार कहलाता है।+ 25  आलसी अपने हाथ से काम नहीं करना चाहता,इसलिए उसकी लालसाएँ उसकी जान ले लेंगी।+ 26  वह दिन-भर कुछ-न-कुछ पाने का लालच करता है,लेकिन नेक जन देता रहता है और अपने पास कुछ नहीं रखता।+ 27  दुष्ट के बलिदान घिनौने होते हैं+और अगर इसे बुरे इरादे से* चढ़ाया जाए, तो यह और भी कितना घिनौना होगा! 28  झूठे गवाह का नाश हो जाएगा,+लेकिन जो ध्यान से सुनता है वह अच्छी गवाही देगा। 29  दुष्ट के चेहरे पर विश्‍वास झलकता है,+लेकिन सीधे-सच्चे इंसान की राह ही सही होती है।*+ 30  यहोवा के खिलाफ न तो कोई बुद्धि, न कोई पैनी समझ और न ही कोई सलाह टिक सकती है।+ 31  युद्ध के दिन के लिए घोड़ा तैयार किया जाता है,+मगर उद्धार यहोवा ही दिलाता है।+

कई फुटनोट

या “इरादों।”
या “फायदेमंद।”
या शायद, “उनके लिए कोहरे की तरह गायब हो जाती है जो मौत ढूँढ़ते हैं।”
या “जान खानेवाली।”
या “वह जान जाता है कि उसे क्या करना है।”
या “जान खानेवाली।”
शा., “शहर पर चढ़ जाता है।”
या “इसे शर्मनाक बरताव के साथ।”
या “अपनी राह पक्की करता है।”