नीतिवचन 29:1-27
29 बार-बार डाँट खाने पर भी जो ढीठ बना रहता है,+उसका अचानक ऐसा नाश होगा कि बचने की कोई उम्मीद न होगी।+
2 जब नेक लोगों का बोलबाला होता है तो लोग खुशियाँ मनाते हैं,मगर जब दुष्ट का राज होता है तो लोग आहें भरते हैं।+
3 बुद्धि से प्यार करनेवाला, अपने पिता का दिल खुश करता है,+लेकिन वेश्याओं से दोस्ती रखनेवाला अपनी दौलत लुटा देता है।+
4 जो राजा इंसाफ करता है वह देश-भर में शांति लाता है,+लेकिन जो रिश्वत लेता है वह पूरे देश को तबाह कर देता है।
5 जो दूसरे की झूठी तारीफ करता है,वह उसके पैरों के लिए जाल बिछाता है।+
6 बुरा इंसान अपने ही अपराधों के जाल में फँस जाता है,+लेकिन नेक जन खुशी के मारे चिल्लाता और झूमता है।+
7 नेक जन को फिक्र रहती है कि गरीब को उसका कानूनी हक मिले,+मगर दुष्ट को इसकी कोई फिक्र नहीं होती।+
8 शेखी मारनेवाला, नगर में आग लगाता है,+लेकिन बुद्धिमान इंसान गुस्सा ठंडा करता है।+
9 जब बुद्धिमान किसी मूर्ख पर मुकदमा चलाता है,तो मूर्ख गला फाड़कर चिल्लाता है, मज़ाक उड़ाता हैऔर बुद्धिमान का चैन छिन जाता है।+
10 जो खून के प्यासे होते हैं, वे निर्दोष लोगों से नफरत करते हैं+और सीधे-सच्चे लोगों की जान लेने* की ताक में रहते हैं।
11 मूर्ख अपने मन की सारी भड़ास निकाल देता है,+मगर बुद्धिमान खुद पर काबू रखता है और शांत रहता है।+
12 जो शासक झूठ पर कान लगाता है,उसके सारे नौकर दुष्ट हो जाते हैं।+
13 गरीब और ज़ुल्म करनेवाले में एक बात मिलती-जुलती है,
दोनों की आँखों को यहोवा ने रौशनी दी है।*
14 अगर राजा गरीबों का सच्चा न्याय करे,+तो उसकी राजगद्दी हमेशा सलामत रहेगी।+
15 छड़ी* और डाँट से बच्चा बुद्धिमान बनता है,+लेकिन जिस पर रोक-टोक नहीं लगायी जाती,वह अपनी माँ को शर्मिंदा करता है।
16 जब दुष्ट बढ़ते हैं तो अपराध भी बढ़ता है,लेकिन नेक जन उनकी बरबादी देखेंगे।+
17 अपने बेटे को शिक्षा दे, तो वह तुझे सुकून पहुँचाएगाऔर तेरे जी को बहुत खुशी देगा।+
18 जहाँ परमेश्वर का मार्गदर्शन* नहीं वहाँ लोग मनमानी करते हैं,+लेकिन जो उसका कानून मानते हैं वे सुखी रहते हैं।+
19 एक नौकर को बातों से नहीं सुधारा जा सकता,क्योंकि सबकुछ समझते हुए भी वह बात नहीं मानता।+
20 क्या तूने ऐसे इंसान को देखा है जो बोलने में उतावली करता है?+
उससे ज़्यादा तो मूर्ख के सुधरने की गुंजाइश है।+
21 अगर एक नौकर को बचपन से सिर पर चढ़ाया जाए,तो आगे चलकर वह एहसान-फरामोश निकलेगा।
22 गुस्सैल इंसान झगड़े पैदा करता है,+जो बात-बात पर भड़क उठता है वह बहुत-से अपराध कर बैठता है।+
23 इंसान का घमंड उसे नीचा करेगा,+लेकिन जो दिल से नम्र है वह आदर पाएगा।+
24 चोर का साथी अपनी जान का दुश्मन बन बैठता है,
क्योंकि जब उसे गवाही देने बुलाया जाता है, तब* वह अपना मुँह नहीं खोलता।+
25 इंसान का डर एक फंदा है,+लेकिन जो यहोवा पर भरोसा रखता है उसकी हिफाज़त होती है।+
26 बहुत-से लोग शासक के पास आना* चाहते हैं,मगर इंसाफ यहोवा से ही मिलता है।+
27 नेक इंसान की नज़र में अन्याय करनेवाला घिनौना है,+लेकिन दुष्ट की नज़र में सीधी चाल चलनेवाला घिनौना है।+
कई फुटनोट
^ या शायद, “मगर सीधे-सच्चे लोग अपनी जान बचाने।”
^ यानी उसने उन्हें जीवन दिया है।
^ या “शिक्षा; सज़ा।”
^ या “जहाँ भविष्यवक्ताओं को दिया दर्शन; परमेश्वर का संदेश।”
^ या “वह शपथ सुनता है कि गवाही न देनेवाले पर शाप पड़ेगा, फिर भी।”
^ या शायद, “की मेहरबानी पाना।”