नीतिवचन 29:1-27

  • बच्चे पर रोक न हो तो वह शर्मिंदा करेगा (15)

  • मार्गदर्शन नहीं, लोग करें मनमानी (18)

  • गुस्सैल इंसान झगड़े पैदा करता है (22)

  • नम्र इंसान आदर पाएगा (23)

  • इंसान का डर एक फंदा है (25)

29  बार-बार डाँट खाने पर भी जो ढीठ बना रहता है,+उसका अचानक ऐसा नाश होगा कि बचने की कोई उम्मीद न होगी।+   जब नेक लोगों का बोलबाला होता है तो लोग खुशियाँ मनाते हैं,मगर जब दुष्ट का राज होता है तो लोग आहें भरते हैं।+   बुद्धि से प्यार करनेवाला, अपने पिता का दिल खुश करता है,+लेकिन वेश्‍याओं से दोस्ती रखनेवाला अपनी दौलत लुटा देता है।+   जो राजा इंसाफ करता है वह देश-भर में शांति लाता है,+लेकिन जो रिश्‍वत लेता है वह पूरे देश को तबाह कर देता है।   जो दूसरे की झूठी तारीफ करता है,वह उसके पैरों के लिए जाल बिछाता है।+   बुरा इंसान अपने ही अपराधों के जाल में फँस जाता है,+लेकिन नेक जन खुशी के मारे चिल्लाता और झूमता है।+   नेक जन को फिक्र रहती है कि गरीब को उसका कानूनी हक मिले,+मगर दुष्ट को इसकी कोई फिक्र नहीं होती।+   शेखी मारनेवाला, नगर में आग लगाता है,+लेकिन बुद्धिमान इंसान गुस्सा ठंडा करता है।+   जब बुद्धिमान किसी मूर्ख पर मुकदमा चलाता है,तो मूर्ख गला फाड़कर चिल्लाता है, मज़ाक उड़ाता हैऔर बुद्धिमान का चैन छिन जाता है।+ 10  जो खून के प्यासे होते हैं, वे निर्दोष लोगों से नफरत करते हैं+और सीधे-सच्चे लोगों की जान लेने* की ताक में रहते हैं। 11  मूर्ख अपने मन की सारी भड़ास निकाल देता है,+मगर बुद्धिमान खुद पर काबू रखता है और शांत रहता है।+ 12  जो शासक झूठ पर कान लगाता है,उसके सारे नौकर दुष्ट हो जाते हैं।+ 13  गरीब और ज़ुल्म करनेवाले में एक बात मिलती-जुलती है, दोनों की आँखों को यहोवा ने रौशनी दी है।* 14  अगर राजा गरीबों का सच्चा न्याय करे,+तो उसकी राजगद्दी हमेशा सलामत रहेगी।+ 15  छड़ी* और डाँट से बच्चा बुद्धिमान बनता है,+लेकिन जिस पर रोक-टोक नहीं लगायी जाती,वह अपनी माँ को शर्मिंदा करता है। 16  जब दुष्ट बढ़ते हैं तो अपराध भी बढ़ता है,लेकिन नेक जन उनकी बरबादी देखेंगे।+ 17  अपने बेटे को शिक्षा दे, तो वह तुझे सुकून पहुँचाएगाऔर तेरे जी को बहुत खुशी देगा।+ 18  जहाँ परमेश्‍वर का मार्गदर्शन* नहीं वहाँ लोग मनमानी करते हैं,+लेकिन जो उसका कानून मानते हैं वे सुखी रहते हैं।+ 19  एक नौकर को बातों से नहीं सुधारा जा सकता,क्योंकि सबकुछ समझते हुए भी वह बात नहीं मानता।+ 20  क्या तूने ऐसे इंसान को देखा है जो बोलने में उतावली करता है?+ उससे ज़्यादा तो मूर्ख के सुधरने की गुंजाइश है।+ 21  अगर एक नौकर को बचपन से सिर पर चढ़ाया जाए,तो आगे चलकर वह एहसान-फरामोश निकलेगा। 22  गुस्सैल इंसान झगड़े पैदा करता है,+जो बात-बात पर भड़क उठता है वह बहुत-से अपराध कर बैठता है।+ 23  इंसान का घमंड उसे नीचा करेगा,+लेकिन जो दिल से नम्र है वह आदर पाएगा।+ 24  चोर का साथी अपनी जान का दुश्‍मन बन बैठता है, क्योंकि जब उसे गवाही देने बुलाया जाता है, तब* वह अपना मुँह नहीं खोलता।+ 25  इंसान का डर एक फंदा है,+लेकिन जो यहोवा पर भरोसा रखता है उसकी हिफाज़त होती है।+ 26  बहुत-से लोग शासक के पास आना* चाहते हैं,मगर इंसाफ यहोवा से ही मिलता है।+ 27  नेक इंसान की नज़र में अन्याय करनेवाला घिनौना है,+लेकिन दुष्ट की नज़र में सीधी चाल चलनेवाला घिनौना है।+

कई फुटनोट

या शायद, “मगर सीधे-सच्चे लोग अपनी जान बचाने।”
यानी उसने उन्हें जीवन दिया है।
या “शिक्षा; सज़ा।”
या “जहाँ भविष्यवक्‍ताओं को दिया दर्शन; परमेश्‍वर का संदेश।”
या “वह शपथ सुनता है कि गवाही न देनेवाले पर शाप पड़ेगा, फिर भी।”
या शायद, “की मेहरबानी पाना।”