न्यायियों 21:1-25

  • बिन्यामीन गोत्र मिटने से बचा (1-25)

21  मिसपा में इसराएलियों ने शपथ खायी थी,+ “हममें से कोई भी अपनी बेटियों की शादी बिन्यामीन के आदमियों से नहीं कराएगा।”+  अब युद्ध के बाद वे बेतेल आए+ और सच्चे परमेश्‍वर के सामने शाम तक बैठे रहे। वे फूट-फूटकर रोने लगे  और कहने लगे, “हे इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा, यह कैसा दिन देखना पड़ रहा है हमें! आज इसराएल के बीच से एक गोत्र कम हो गया है।”  अगले दिन इसराएली सुबह जल्दी उठे और उन्होंने वहाँ एक वेदी बनाकर उस पर होम-बलियाँ और शांति-बलियाँ चढ़ायीं।+  फिर उन्होंने पूछा, “इसराएल के सभी गोत्रों में से कौन है जो मिसपा में यहोवा के सामने इकट्ठा नहीं हुआ था?” क्योंकि उन्होंने शपथ खायी थी कि जो कोई मिसपा में यहोवा के सामने नहीं आएगा, वह हर हाल में मार डाला जाएगा।  इसराएलियों को बिन्यामीन के अपने भाइयों के बारे में सोचकर दुख हुआ और वे कहने लगे, “आज इसराएल के बीच से एक गोत्र खत्म हो* गया है।  बचे हुए आदमियों के लिए हम पत्नियाँ कहाँ से लाएँगे? हमने तो यहोवा के सामने शपथ खायी थी+ कि हम अपनी बेटियों की शादी उनसे नहीं कराएँगे।”+  उन्होंने पूछा, “इसराएल के गोत्रों में से कौन है जो मिसपा में यहोवा के सामने इकट्ठा नहीं हुआ था?”+ याबेश-गिलाद से वहाँ कोई भी नहीं आया था।  जब इसराएलियों ने गिनना शुरू किया कि वहाँ कौन-कौन आया था, तो उन्हें पता चला कि याबेश-गिलाद का एक भी निवासी वहाँ मौजूद नहीं था। 10  तब इसराएल की मंडली ने अपने 12,000 ताकतवर आदमियों को यह हुक्म देकर भेजा, “जाओ और याबेश-गिलाद के निवासियों को तलवार से मार डालो। उनकी औरतों और बच्चों को भी मत बख्शना।+ 11  उस शहर के हर आदमी-औरत को मार डालना, सिर्फ कुँवारी लड़कियों को ज़िंदा छोड़ देना।” 12  इस तरह उन्हें याबेश-गिलाद से 400 कुँवारी लड़कियाँ मिलीं जिन्होंने कभी किसी आदमी के साथ यौन-संबंध नहीं रखा था। वे उन्हें कनान देश के शीलो में छावनी के पास ले आए।+ 13  तब पूरी मंडली ने रिम्मोन की चट्टान में छिपे बिन्यामीन के आदमियों+ से सुलह करने की पेशकश रखी। 14  बिन्यामीन के आदमी वापस आए और इसराएलियों ने उन्हें वे कुँवारी लड़कियाँ दीं, जिनको उन्होंने याबेश-गिलाद में ज़िंदा छोड़ दिया था।+ मगर उन लड़कियों की गिनती बिन्यामीन के आदमियों से कम थी। 15  इसराएलियों को बिन्यामीन के लोगों के लिए बड़ा दुख हुआ+ क्योंकि यहोवा ने इसराएल के गोत्र से उन्हें अलग कर दिया था। 16  मंडली के मुखियाओं ने कहा, “बाकी आदमियों के लिए हम पत्नियाँ कहाँ से लाएँ? हमने तो बिन्यामीन गोत्र की सारी औरतों को मार डाला।” 17  उन्होंने कहा, “बिन्यामीन के बचे हुए आदमियों को उनके हिस्से की ज़मीन ज़रूर मिलनी चाहिए ताकि इसराएल से उनके गोत्र का नाम मिट न जाए। 18  लेकिन हम अपनी बेटियाँ नहीं दे सकते क्योंकि हमने शपथ खायी है कि हममें से जो इसराएली अपनी बेटी की शादी बिन्यामीन के किसी आदमी से कराएगा, वह शापित ठहरेगा।”+ 19  तब मुखियाओं ने कहा, “हर साल शीलो में यहोवा के लिए त्योहार मनाया जाता है,+ जो बेतेल के उत्तर में है और बेतेल से शेकेम जानेवाले राजमार्ग के पूरब में और लबोना के दक्षिण में है।” 20  तब उन्होंने बिन्यामीन के आदमियों को आज्ञा दी, “जाओ और वहाँ अंगूरों के बाग में घात लगाकर बैठ जाओ। 21  जब शीलो की जवान लड़कियाँ बाहर आएँगी और घेरा बनाकर नाच रही होंगी, तब तुम अंगूरों के बाग से निकलकर अपने लिए एक-एक लड़की उठा लेना और बिन्यामीन के अपने इलाके में लौट जाना। 22  और अगर उन लड़कियों के पिता और भाई हमारे पास शिकायत लेकर आएँ तो हम उनसे कहेंगे, ‘हम पर एहसान करो और उन्हें जाने दो। क्योंकि हमने उनको पत्नियाँ दिलाने के लिए जो युद्ध किया था, उसमें हमें सबके लिए लड़कियाँ नहीं मिली थीं।+ वैसे भी, तुमने अपनी बेटियाँ अपनी मरज़ी से नहीं दीं, इसलिए तुम किसी भी तरह दोषी नहीं ठहरोगे।’”+ 23  बिन्यामीन के आदमियों से जैसा कहा गया उन्होंने वैसा ही किया। वे उन लड़कियों में से जो नाच रही थीं, अपने लिए एक-एक लड़की उठा ले गए और उन्हें अपनी पत्नी बना लिया। फिर वे अपने इलाके में लौट गए और उन्होंने अपने शहरों को दोबारा खड़ा किया+ और उनमें बस गए। 24  इसराएली अपने-अपने गोत्र और अपने परिवार के पास अपने इलाके में लौट गए। 25  उन दिनों इसराएल में कोई राजा नहीं था।+ हर कोई वही कर रहा था जो उसकी नज़र में सही था।

कई फुटनोट

शा., “कट।”