यूहन्ना को दिया गया प्रकाशितवाक्य 1:1-20
1 ये वे बातें हैं जो यीशु मसीह ने प्रकट कीं,* जो उसे परमेश्वर ने इसलिए दीं+ ताकि वह उसके दासों को दिखाए+ कि बहुत जल्द क्या-क्या होनेवाला है। और यीशु ने अपना स्वर्गदूत भेजकर ये बातें उसके दास यूहन्ना को निशानियों के ज़रिए बतायीं।+
2 यूहन्ना ने परमेश्वर के वचन की और जो गवाही यीशु मसीह ने दी थी, उसकी गवाही दी यानी उन सब बातों की जो उसने देखी थीं।
3 सुखी है वह जो इस भविष्यवाणी के वचन ज़ोर से पढ़ता है और वे भी जो इन्हें सुनते हैं और इसमें लिखी बातों पर चलते हैं,+ क्योंकि तय किया गया वक्त पास है।
4 मैं यूहन्ना एशिया प्रांत की सात मंडलियों को लिख रहा हूँ:+
मेरी दुआ है कि तुम्हें उसकी तरफ से यानी “जो था और जो है और जो आ रहा है,”+ महा-कृपा और शांति मिले और सात पवित्र शक्तियों की तरफ से भी+ जो उसकी राजगद्दी के सामने हैं।
5 तुम्हें यीशु मसीह की तरफ से भी महा-कृपा और शांति मिले जो “विश्वासयोग्य साक्षी,”+ “मरे हुओं में से ज़िंदा होनेवालों में पहलौठा”+ और “धरती के राजाओं का राजा” है।+
यीशु जो हमसे प्यार करता है+ और जिसने अपने खून के ज़रिए हमें पापों से छुड़ाया+
6 और हमें अपने परमेश्वर और पिता के लिए राजा और याजक बनाया,+ हाँ, महिमा और शक्ति सदा उसी की हो। आमीन।
7 देखो! वह बादलों के साथ आ रहा है+ और हर आँख उसे देखेगी और वे भी देखेंगे जिन्होंने उसे भेदा था। और पृथ्वी के सारे गोत्र उसकी वजह से दुख के मारे छाती पीटेंगे।+ हाँ, आमीन।
8 यहोवा* परमेश्वर, “जो था, जो है और जो आ रहा है और जो सर्वशक्तिमान है”+ वह कहता है, “मैं ही शुरूआत हूँ और मैं ही अंत हूँ।”*+
9 मैं यूहन्ना तुम्हारा भाई, यीशु का चेला होने के नाते+ दुख झेलने, राज करने+ और धीरज धरने में+ तुम्हारे साथ साझेदार हूँ।+ मैं परमेश्वर के बारे में बोलने और यीशु के बारे में गवाही देने की वजह से पतमुस नाम के द्वीप में था।
10 मैं पवित्र शक्ति से उभारे जाने पर प्रभु के दिन में पहुँच गया। और मैंने अपने पीछे तुरही के जैसी तेज़ आवाज़ सुनी
11 जो मुझसे कह रही थी, “तू जो देखता है उसे एक खर्रे पर लिख ले और उसे इन सातों मंडलियों को भेज: इफिसुस,+ स्मुरना,+ पिरगमुन,+ थुआतीरा,+ सरदीस,+ फिलदिलफिया+ और लौदीकिया।”+
12 फिर मैं यह देखने के लिए मुड़ा कि कौन मुझसे बोल रहा है और तब मैंने सोने की सात दीवटें देखीं।+
13 उन दीवटों के बीच मैंने इंसान के बेटे जैसा कोई देखा,+ जो पाँव तक लंबा चोगा पहने और सोने का सीनाबंद बाँधे हुए था।
14 उसका सिर और उसके बाल सफेद ऊन और बर्फ जैसे सफेद थे और उसकी आँखें आग की ज्वाला जैसी थीं।+
15 उसके पाँव चमचमाते ताँबे जैसे थे+ जो भट्ठी में तपाया गया हो। और उसकी आवाज़ पानी की तेज़ धाराओं के गरजन जैसी थी।
16 उसके दाएँ हाथ में सात तारे थे+ और उसके मुँह से एक लंबी और दोनों तरफ तेज़ धारवाली तलवार निकल रही थी।+ उसका चेहरा ऐसे चमक रहा था जैसे सूरज कड़ी धूप में चमकता है।+
17 जब मैंने उसे देखा तो मैं उसके पाँवों पर मुरदा-सा गिर पड़ा।
तब उसने अपना दायाँ हाथ मुझ पर रखकर कहा, “डर मत। मैं ही पहला+ और आखिरी हूँ+
18 और मैं ही जीवित हूँ।+ मैं मर गया था,+ मगर देख! अब मैं हमेशा-हमेशा के लिए जीता हूँ+ और मेरे पास मौत और कब्र* की चाबियाँ हैं।+
19 इसलिए तूने जो देखा और जो हो रहा है और इसके बाद जो होनेवाला है, वे सारी बातें लिख ले।
20 और मेरे दाएँ हाथ में तूने जो सात तारे देखे और सोने की जो सात दीवटें तूने देखीं उनका पवित्र रहस्य यह है: इन सात तारों का मतलब है सात मंडलियों के दूत और सात दीवटों का मतलब है सात मंडलियाँ।”+
कई फुटनोट
^ या “जिनका खुलासा किया।”
^ शा., “मैं ही अल्फा और ओमेगा हूँ।” ये यूनानी वर्णमाला के पहले और आखिरी अक्षर हैं।