यूहन्‍ना को दिया गया प्रकाशितवाक्य 10:1-11

  • एक ताकतवर स्वर्गदूत के पास छोटा खर्रा (1-7)

    • “अब और देर नहीं होगी” (6)

    • पवित्र रहस्य अंजाम पर पहुँचेगा (7)

  • यूहन्‍ना छोटा खर्रा खाता है (8-11)

10  फिर मैंने एक और ताकतवर स्वर्गदूत को बादल ओढ़े हुए स्वर्ग से उतरते देखा। उसके सिर पर मेघ-धनुष था और उसका चेहरा सूरज जैसा था+ और उसकी टाँगें आग के खंभों जैसी थीं।  उसके हाथ में एक खुला हुआ छोटा खर्रा था। और उसने अपना दायाँ पैर समुंदर पर मगर अपना बायाँ पैर धरती पर रखा  और उसने शेर की दहाड़ जैसी ज़ोरदार आवाज़ में पुकारा।+ और जब वह चिल्लाया तो सात गरजनों की आवाज़ें सुनायी दीं।+  जब सातों गरजन बोल चुके तो मैं लिखने जा रहा था। मगर मैंने स्वर्ग से एक आवाज़ सुनी+ जो कह रही थी, “सात गरजनों ने जो बातें कहीं उन्हें मुहरबंद कर दे और उन्हें मत लिख।”  मैंने जिस स्वर्गदूत को समुंदर और धरती पर खड़े देखा, उसने अपना दायाँ हाथ स्वर्ग की तरफ उठाया  और उस परमेश्‍वर की शपथ खायी जो सदा तक जीवित रहता है,+ जिसने आकाश और उसकी सब चीज़ें और पृथ्वी और उसकी सब चीज़ें और समुंदर और उसकी सब चीज़ें रची हैं+ और कहा, “अब और देर नहीं होगी।  मगर जिन दिनों सातवाँ स्वर्गदूत+ अपनी तुरही फूँकने के लिए तैयार होगा,+ तब परमेश्‍वर का पवित्र रहस्य+ वाकई अपने अंजाम तक पहुँचाया जाएगा, हाँ वही रहस्य जो परमेश्‍वर ने अपने दासों यानी भविष्यवक्‍ताओं को एक खुशखबरी के तौर पर सुनाया था।”+  एक बार फिर मैंने स्वर्ग से वह आवाज़ सुनी+ जो मुझसे कह रही थी, “जा और उस स्वर्गदूत के हाथ से जो समुंदर और धरती पर खड़ा है, खुला हुआ खर्रा ले ले।”+  तब मैं उस स्वर्गदूत के पास गया और मैंने उससे वह छोटा खर्रा माँगा। उसने मुझसे कहा, “ले और इसे खा ले।+ यह तेरा पेट कड़वा कर देगा, मगर मुँह में यह तुझे शहद की तरह मीठा लगेगा।” 10  और मैंने स्वर्गदूत के हाथ से वह छोटा खर्रा लिया और उसे खा लिया।+ मुझे मुँह में तो वह शहद की तरह मीठा लगा।+ मगर जब मैं उसे खा चुका तो मेरा पेट कड़वा हो गया। 11  और मुझसे कहा गया, “तुझे जातियों, राष्ट्रों, अलग-अलग भाषा* के लोगों और बहुत-से राजाओं के बारे में फिर से भविष्यवाणी करनी होगी।”

कई फुटनोट

या “ज़बान।”