यूहन्‍ना को दिया गया प्रकाशितवाक्य 2:1-29

  • इन मंडलियों को संदेश: इफिसुस (1-7), स्मुरना (8-11), पिरगमुन (12-17), थुआतीरा (18-29)

2  “इफिसुस की मंडली+ के दूत+ को यह लिख: वह जो अपने दाएँ हाथ में सात तारे लिए हुए है और सोने की सात दीवटों के बीच चलता-फिरता है, वह यह कहता है,+  ‘मैं तेरे काम, तेरी कड़ी मेहनत और तेरे धीरज के बारे में जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि तू बुरे लोगों को बरदाश्‍त नहीं कर सकता। और जो खुद को प्रेषित बताते हैं+ मगर हैं नहीं, तूने उन्हें परखा है और झूठा पाया है।  तू धीरज भी धरता है और तूने मेरे नाम की खातिर बहुत कुछ सहा है+ और तू दुख उठाते-उठाते थका नहीं।+  फिर भी, मुझे तेरे खिलाफ यह कहना है कि तुझमें अब वह प्यार नहीं रहा जो पहले था।  इसलिए याद कर कि तू कहाँ से गिरा है और पश्‍चाताप कर+ और पहले जैसे काम कर। अगर तू पश्‍चाताप नहीं करेगा+ तो मैं तेरे पास आऊँगा और तेरी दीवट+ को उसकी जगह से हटा दूँगा।  फिर भी, तुझमें एक अच्छी बात यह है कि तू निकुलाउस के गुट की करतूतों से नफरत करता है,+ जिससे मैं भी नफरत करता हूँ।  कान लगाकर सुनो कि पवित्र शक्‍ति मंडलियों से क्या कहती है,+ जो जीत हासिल करता है+ उसे मैं जीवन के पेड़ से फल खाने दूँगा+ जो परमेश्‍वर के फिरदौस में है।’  स्मुरना की मंडली के दूत को यह लिख: वह जो ‘पहला और आखिरी है,’+ जो मर गया था और फिर से ज़िंदा हुआ,+ वह कहता है,  ‘मैं तेरी दुख-तकलीफें और तेरी गरीबी जानता हूँ। (फिर भी तू धनवान है।)+ मैं यह भी जानता हूँ कि जो खुद को यहूदी कहते हैं मगर असल में हैं नहीं, बल्कि शैतान के दल* के हैं, वे तेरे बारे में कैसी निंदा की बातें करते हैं।+ 10  तू जो तकलीफें झेलनेवाला है, उनसे मत डर।+ देखो! शैतान* तुममें से कुछ लोगों को कैद में डलवाता रहेगा ताकि तुम पूरी हद तक परखे जाओ और तुम्हें दस दिन तक तकलीफें झेलनी पड़ेंगी। लेकिन तुम आखिरी साँस तक वफादार बने रहना, तब मैं तुम्हें ज़िंदगी का ताज दूँगा।+ 11  कान लगाकर सुनो+ कि पवित्र शक्‍ति मंडलियों से क्या कहती है: जो जीत हासिल करता है+ उसे दूसरी मौत नहीं आएगी।’+ 12  पिरगमुन की मंडली के दूत को यह लिख: वह जिसके पास लंबी और दोनों तरफ तेज़ धारवाली तलवार है,+ वह कहता है, 13  ‘मैं जानता हूँ कि तू जहाँ रहता है वहाँ शैतान की राजगद्दी है। फिर भी तू मेरा नाम मज़बूती से थामे हुए है+ और तूने उन दिनों में भी मुझ पर विश्‍वास करने से इनकार नहीं किया+ जब मेरा विश्‍वासयोग्य गवाह अन्तिपास+ तुम्हारे यहाँ मार डाला गया था,+ जहाँ शैतान का अड्डा है। 14  फिर भी मुझे तेरे खिलाफ कुछ बातें कहनी हैं। तुम्हारे बीच कुछ ऐसे लोग हैं जो बिलाम की शिक्षा मानते हैं,+ जिसने बालाक को सिखाया था+ कि वह इसराएल के बेटों के रास्ते में ठोकर का पत्थर रखे ताकि वे मूरतों को बलि की हुई चीज़ें खाएँ और नाजायज़ यौन-संबंध* रखें।+ 15  तुम्हारे बीच ऐसे लोग भी हैं जो निकुलाउस के गुट की शिक्षा को मानते हैं।+ 16  इसलिए पश्‍चाताप करो। अगर तुम ऐसा नहीं करोगे तो मैं बहुत जल्द तुम्हारे पास आ रहा हूँ और मैं अपने मुँह से निकलनेवाली लंबी तलवार से उनके साथ युद्ध करूँगा।+ 17  कान लगाकर सुनो कि पवित्र शक्‍ति मंडलियों से क्या कहती है,+ जो जीत हासिल करता है+ उसे मैं छिपे हुए मन्‍ना में से कुछ दूँगा+ और एक सफेद चिकना पत्थर भी दूँगा। उस पत्थर पर एक नया नाम लिखा होगा, जिसे कोई नहीं जानता सिवा उसके जो उसे पाता है।’ 18  थुआतीरा+ की मंडली के दूत को यह लिख: वह जो परमेश्‍वर का बेटा है, जिसकी आँखें आग की ज्वाला जैसी हैं+ और जिसके पाँव चमचमाते ताँबे की तरह हैं,+ वह कहता है, 19  ‘मैं तेरे काम, प्यार, विश्‍वास, सेवा और धीरज के बारे में जानता हूँ। और यह भी जानता हूँ कि तूने हाल में जो काम किए हैं वे उन कामों से बढ़कर हैं जो तूने पहले किए थे। 20  फिर भी, मुझे तेरे खिलाफ यह कहना है कि तू उस औरत इज़ेबेल को बरदाश्‍त करता है+ जो खुद को भविष्यवक्‍तिन कहती है और मेरे दासों को गुमराह करती है और उन्हें नाजायज़ यौन-संबंध* रखने+ और मूरतों को बलि की गयी चीज़ें खाने की शिक्षा देती है। 21  मैंने उसे वक्‍त दिया कि वह नाजायज़ यौन-संबंध* रखना छोड़ दे और पश्‍चाताप करे, मगर वह ऐसा नहीं करना चाहती। 22  देख! मैं उसे ऐसा रोगी बना दूँगा कि वह खाट पकड़ लेगी और जो उसके साथ व्यभिचार करते हैं, अगर वे उसके जैसे काम करना छोड़कर पश्‍चाताप नहीं करते तो मैं उन्हें बड़ी मुसीबत में डाल दूँगा। 23  मैं उसके बच्चों को जानलेवा महामारी से मार डालूँगा। तब सारी मंडलियाँ जान लेंगी कि मैं वही हूँ जो इंसान के अंदर गहराई में छिपे विचारों* और दिलों को जाँचता है और मैं तुममें से हरेक को उसके कामों के हिसाब से बदला दूँगा।+ 24  लेकिन थुआतीरा के तुम बाकी लोगों से, जो इस शिक्षा को नहीं मानते और उन बातों के बारे में बिलकुल नहीं जानते जिन्हें “शैतान की गूढ़ बातें”+ कहा जाता है उनसे मैं कहता हूँ, मैं तुम पर कोई और बोझ नहीं डाल रहा। 25  बस तुम्हारे पास जो है उसे मेरे आने तक मज़बूती से थामे रहना।+ 26  और जो जीत हासिल करता है और आखिर तक मेरे जैसे काम करता है, मैं उसे राष्ट्रों पर अधिकार दूँगा+ 27  और वह उन लोगों को चरवाहे की तरह लोहे के छड़ से हाँकेगा+ और उन्हें मिट्टी के बरतनों की तरह चूर-चूर कर देगा। यह अधिकार मुझे अपने पिता से मिला है। 28  जीत हासिल करनेवाले को मैं सुबह का तारा दूँगा।+ 29  कान लगाकर सुनो कि पवित्र शक्‍ति मंडलियों से क्या कहती है।’

कई फुटनोट

शा., “सभा-घर।”
शा., “इबलीस।” शब्दावली देखें।
शब्दावली देखें।
शब्दावली देखें।
यूनानी में पोर्निया। शब्दावली देखें।
या “गहरी भावनाओं।” शा., “गुरदों।”