यूहन्‍ना को दिया गया प्रकाशितवाक्य 5:1-14

  • सात मुहरोंवाला खर्रा (1-5)

  • मेम्ना खर्रा लेता है (6-8)

  • मेम्ना मुहरें खोलने के योग्य है (9-14)

5  और मैंने देखा कि राजगद्दी पर बैठे+ परमेश्‍वर के दाएँ हाथ में एक खर्रा है जिस पर दोनों तरफ* लिखा हुआ है और उसे सात मुहरों से मुहरबंद किया गया है।  मैंने देखा कि एक ताकतवर स्वर्गदूत ज़ोरदार आवाज़ में ऐलान कर रहा था: “कौन इन मुहरों को तोड़ने और इस खर्रे को खोलने के योग्य है?”  लेकिन न तो स्वर्ग में, न धरती पर, न ही धरती के नीचे कोई ऐसा था जो उस खर्रे को खोलने या उसे पढ़ने के योग्य हो।  और मैं फूट-फूटकर रोने लगा क्योंकि ऐसा कोई भी न मिला जो उसे खोलने या पढ़ने के योग्य हो।  तब प्राचीनों में से एक ने मुझसे कहा, “मत रो। यहूदा गोत्र के इस शेर को देख+ जो दाविद+ की जड़ है।+ इसने जीत हासिल की है+ ताकि इस खर्रे और इसकी सात मुहरों को खोले।”  और मैंने उस राजगद्दी के पास* और उन चार जीवित प्राणियों के बीच और उन प्राचीनों के बीच+ एक मेम्ना देखा+ जिसे मानो बलि किया गया था।+ उसके सात सींग और सात आँखें थीं। इन आँखों का मतलब परमेश्‍वर की सात पवित्र शक्‍तियाँ हैं+ जिन्हें सारी धरती पर भेजा गया है।  वह मेम्ना फौरन आगे बढ़ा और उसने राजगद्दी पर बैठे+ परमेश्‍वर के दाएँ हाथ से वह मुहरबंद खर्रा ले लिया।  और जब उसने वह खर्रा लिया तो उन चार जीवित प्राणियों और 24 प्राचीनों ने मेम्ने के सामने गिरकर प्रणाम किया।+ हर प्राचीन के पास एक सुरमंडल और सोने का एक कटोरा था जिसमें धूप भरा हुआ था। (इस धूप का मतलब है, पवित्र जनों की प्रार्थनाएँ।)+  और वे एक नया गीत गाते हुए कहते हैं,+ “तू ही इस खर्रे को लेने और इसकी मुहरें खोलने के योग्य है, क्योंकि तुझे बलि किया गया और तूने अपने खून से हर गोत्र, भाषा* और जाति और राष्ट्र से+ परमेश्‍वर के लिए लोगों को खरीद लिया+ 10  और तूने उन्हें हमारे परमेश्‍वर के लिए राजा और याजक बनाया+ और वे राजाओं की हैसियत से धरती पर राज करेंगे।”+ 11  और मैंने उस राजगद्दी और उन जीवित प्राणियों और उन प्राचीनों के चारों तरफ अनगिनत स्वर्गदूत देखे और उनकी आवाज़ सुनी। उनकी गिनती लाखों-करोड़ों में थी।+ 12  और वे ज़ोरदार आवाज़ में कह रहे थे, “यह मेम्ना जो बलि किया गया था,+ शक्‍ति, दौलत, बुद्धि, ताकत, आदर, महिमा और आशीष पाने के योग्य है।”+ 13  और मैंने स्वर्ग में, धरती पर, धरती के नीचे+ और समुंदर के ऊपर और इनमें मौजूद हर प्राणी को और इनमें जो कुछ था, उन सबको यह कहते सुना, “परमेश्‍वर जो राजगद्दी पर बैठा है उसका+ और मेम्ने का+ गुणगान हो और आदर,+ महिमा और शक्‍ति हमेशा-हमेशा के लिए उन्हीं की हो।”+ 14  और वे चार जीवित प्राणी कह रहे थे, “आमीन!” और उन प्राचीनों ने गिरकर परमेश्‍वर की उपासना की।

कई फुटनोट

शा., “अंदर और पीछे की तरफ।”
या “बीच।”
या “ज़बान।”