प्रेषितों के काम 18:1-28

  • कुरिंथ में पौलुस का प्रचार (1-17)

  • सीरिया के अंताकिया लौटता है (18-22)

  • पौलुस गलातिया और फ्रूगिया के लिए निकला (23)

  • कुशल वक्‍ता अपुल्लोस की मदद की गयी (24-28)

18  इसके बाद पौलुस एथेन्स से निकला और कुरिंथ शहर आया।  कुरिंथ में उसे अक्विला नाम का एक यहूदी मिला,+ जिसका जन्म पुन्तुस इलाके में हुआ था। वह हाल ही में अपनी पत्नी प्रिस्किल्ला के साथ इटली से आया था, क्योंकि सम्राट क्लौदियुस ने सभी यहूदियों को रोम से निकल जाने का हुक्म दिया था। पौलुस, अक्विला और प्रिस्किल्ला के पास गया।  पौलुस का और उनका पेशा एक ही था, इसलिए वह उनके घर में रहने लगा और उनके साथ काम करने लगा।+ वे तंबू बनाया करते थे।  पौलुस हर सब्त+ के दिन सभा-घर में भाषण देता*+ और यहूदियों और यूनानियों को कायल करता था।  जब सीलास+ और तीमुथियुस+ दोनों मकिदुनिया से आ गए, तो पौलुस और भी ज़ोर-शोर से वचन का प्रचार करने लगा। वह यहूदियों को गवाही देने लगा और साबित करने लगा कि यीशु ही मसीह है।+  मगर जब वे पौलुस के संदेश का विरोध करते रहे और उसके बारे में बुरी-बुरी बातें कहते रहे, तो उसने अपने कपड़े झाड़ते हुए+ उनसे कहा, “तुम्हारा खून तुम्हारे ही सिर पड़े।+ मैं निर्दोष हूँ।+ अब से मैं गैर-यहूदियों के पास जाऊँगा।”+  फिर वह वहाँ* से अपनी जगह बदलकर तितुस युसतुस नाम के एक आदमी के घर रहने लगा, जो परमेश्‍वर का उपासक था और जिसका घर सभा-घर से सटा हुआ था।  सभा-घर का अधिकारी क्रिसपुस+ और उसका पूरा घराना पौलुस का संदेश सुनकर प्रभु में विश्‍वासी बन गया। कुरिंथ के बहुत-से लोगों ने भी यह संदेश सुनकर विश्‍वास किया और बपतिस्मा लिया।  यही नहीं, रात में प्रभु ने एक दर्शन में पौलुस से कहा, “मत डर, प्रचार किए जा, चुप मत रह। 10  इस शहर में मेरे बहुत-से लोग हैं जिन्हें इकट्ठा करना बाकी है। इसलिए मैं तेरे साथ हूँ+ और कोई भी तुझ पर हमला करके तुझे चोट नहीं पहुँचाएगा।” 11  इसलिए पौलुस डेढ़ साल तक वहीं रहा और उनके बीच परमेश्‍वर का वचन सुनाता रहा। 12  जब गल्लियो, अखाया प्रांत का राज्यपाल* था, तो उस दौरान यहूदी आपस में तय करके एक-साथ पौलुस पर चढ़ आए और उसे न्याय-आसन के सामने ले गए। 13  वे उस पर यह इलज़ाम लगाने लगे, “यह आदमी लोगों को ऐसे तरीके से परमेश्‍वर की उपासना करने के लिए कायल कर रहा है जो कानून के खिलाफ है।” 14  मगर इससे पहले कि पौलुस कुछ बोलता, गल्लियो ने यहूदियों से कहा, “यहूदियो, अगर यह अन्याय या बड़े अपराध का मामला होता, तो मैं ज़रूर सब्र के साथ तुम्हारी बात सुनता। 15  लेकिन अगर ये झगड़े तुम्हारे अपने कानून को लेकर हैं और शब्दों और नामों के बारे में हैं, तो तुम्हीं इन्हें सुलझाओ।+ मैं इन बातों में तुम्हारा न्यायी नहीं बनना चाहता।” 16  यह कहकर उसने यहूदियों को न्याय-आसन के सामने से निकलवा दिया। 17  फिर उन सभी ने सभा-घर के अधिकारी सोस्थिनेस+ को पकड़ लिया और न्याय-आसन के सामने उसे पीटने लगे। मगर गल्लियो इस मामले में बिलकुल नहीं पड़ा। 18  फिर भी पौलुस वहाँ कुछ दिन और ठहरा और इसके बाद उसने भाइयों से विदा ली। उसने किंख्रिया+ में अपने बाल कटवाए क्योंकि उसने मन्‍नत मानी थी। फिर वह जहाज़ से सीरिया के लिए रवाना हो गया और प्रिस्किल्ला और अक्विला भी उसके साथ थे। 19  जब वे इफिसुस आए तो प्रिस्किल्ला और अक्विला को वहीं छोड़कर वह वहाँ के सभा-घर में गया और यहूदियों के साथ तर्क-वितर्क करके उन्हें समझाने लगा।+ 20  वे उससे कुछ और वक्‍त वहीं रहने की बिनती करते रहे, मगर वह नहीं माना। 21  उसने यह कहकर उनसे विदा ली, “अगर यहोवा* ने चाहा तो मैं तुम्हारे पास दोबारा आऊँगा।” वह इफिसुस से समुद्री यात्रा पर निकल पड़ा 22  और कैसरिया आया। फिर उसने वहाँ से ऊपर* जाकर मंडली से मुलाकात की और वहाँ से अंताकिया चला गया।+ 23  अंताकिया में कुछ वक्‍त बिताने के बाद, पौलुस वहाँ से रवाना हुआ और गलातिया और फ्रूगिया प्रांत+ में जगह-जगह जाकर सभी चेलों की हिम्मत बँधाता रहा।+ 24  अपुल्लोस नाम का एक यहूदी,+ जिसका जन्म सिकंदरिया शहर में हुआ था, इफिसुस आया। वह बात करने में माहिर था और शास्त्र का अच्छा ज्ञान रखता था। 25  उस आदमी को यहोवा* की राह के बारे में सिखाया गया था* और वह पवित्र शक्‍ति से भरपूर होने की वजह से बहुत जोशीला था। वह यीशु के बारे में सही-सही बातें बोलता और सिखाता था, मगर सिर्फ उस बपतिस्मे के बारे में जानता था जिसका यूहन्‍ना ने प्रचार किया था। 26  अपुल्लोस सभा-घर में बेधड़क होकर बोलने लगा। जब प्रिस्किल्ला और अक्विला+ ने उसकी बातें सुनीं, तो वे उसे अपने साथ ले गए और उसे परमेश्‍वर की राह के बारे में सही जानकारी दी और अच्छी तरह समझाया। 27  अपुल्लोस चाहता था कि वह उस पार अखाया जाए, इसलिए भाइयों ने वहाँ के चेलों को चिट्ठी लिखकर उन्हें बढ़ावा दिया कि वे उसका प्यार से स्वागत करें। अखाया पहुँचने के बाद, अपुल्लोस ने उन लोगों की बहुत मदद की जो परमेश्‍वर की महा-कृपा की वजह से विश्‍वासी बने थे। 28  उसने सरेआम और बड़े दमदार तरीके से यहूदियों को गलत साबित किया और शास्त्र से साफ-साफ दिखाया कि यीशु ही मसीह है।+

कई फुटनोट

या “उन्हें दलीलें देकर समझाता।”
यानी सभा-घर।
शब्दावली देखें।
अति. क5 देखें।
ज़ाहिर है कि यह यरूशलेम है।
अति. क5 देखें।
या “ज़बानी तौर पर सिखाया गया था।”