प्रेषितों के काम 8:1-40

  • ज़ुल्म ढानेवाला शाऊल (1-3)

  • सामरिया में फिलिप्पुस को अच्छे नतीजे मिले (4-13)

  • पतरस और यूहन्‍ना सामरिया भेजे गए (14-17)

  • शमौन पवित्र शक्‍ति खरीदने की कोशिश करता है (18-25)

  • इथियोपिया का खोजा (26-40)

8  शाऊल ने भी स्तिफनुस के कत्ल में साथ दिया।+ उस दिन से यरूशलेम की मंडली पर बहुत ज़ुल्म होने लगे। प्रेषितों को छोड़ बाकी सभी चेले यहूदिया और सामरिया के इलाकों में तितर-बितर हो गए।+  मगर कुछ भक्‍त जन स्तिफनुस को दफनाने ले गए और उन्होंने उसके लिए बहुत मातम मनाया।  शाऊल मंडली को तबाह करने लगा। वह घर-घर घुसकर आदमी-औरत सबको घसीटकर निकालता और उन्हें जेल में डलवा देता था।+  मगर जो चेले तितर-बितर हो गए थे वे जहाँ कहीं गए, वहाँ वचन की खुशखबरी सुनाते गए।+  फिलिप्पुस नाम का चेला सामरिया+ शहर* गया और वहाँ मसीह के बारे में प्रचार करने लगा।  लोगों की भीड़ ने फिलिप्पुस की बातों पर ध्यान दिया और मन लगाकर उन्हें सुना और उसके चमत्कार देखे।  वहाँ ऐसे बहुत-से लोग थे जिनमें दुष्ट स्वर्गदूत समाए थे और वे ज़ोर से चीखते हुए उनसे बाहर निकल जाते थे।+ इसके अलावा, कई लोग जो लकवे के मारे थे और लँगड़े थे वे भी ठीक हो गए।  इससे पूरे शहर में खुशियाँ छा गयीं।  सामरिया शहर में शमौन नाम का एक आदमी था, जिसने अपनी जादूगरी से लोगों को हैरत में डाल रखा था। वह खुद को एक महापुरुष बताता था। 10  छोटे से लेकर बड़े तक, सब उस पर ध्यान देते थे और कहते थे, “इस आदमी में परमेश्‍वर की शक्‍ति है, महाशक्‍ति।” 11  उसने उन्हें काफी समय से अपनी जादूगरी से हैरत में डाल रखा था इसलिए वे उस पर ध्यान देते थे। 12  मगर जब उन्होंने फिलिप्पुस का यकीन किया, जो उन्हें परमेश्‍वर के राज की और यीशु मसीह के नाम की खुशखबरी सुना रहा था,+ तो आदमी-औरत सबने बपतिस्मा लिया।+ 13  शमौन भी एक विश्‍वासी बन गया और बपतिस्मा लेने के बाद फिलिप्पुस+ के साथ-साथ रहने लगा। वह उसके चमत्कार और बड़े-बड़े शक्‍तिशाली काम देखकर दंग रह जाता था। 14  जब यरूशलेम में प्रेषितों ने सुना कि सामरिया के लोगों ने परमेश्‍वर का वचन स्वीकार किया है,+ तो उन्होंने पतरस और यूहन्‍ना को उनके पास भेजा। 15  उन्होंने वहाँ जाकर उनके लिए प्रार्थना की कि वे पवित्र शक्‍ति पाएँ।+ 16  क्योंकि तब तक उनमें से किसी पर भी पवित्र शक्‍ति नहीं उतरी थी, मगर उन्होंने प्रभु यीशु के नाम से सिर्फ बपतिस्मा लिया था।+ 17  तब पतरस और यूहन्‍ना ने उन पर हाथ रखे+ और वे पवित्र शक्‍ति पाने लगे। 18  अब जब शमौन ने देखा कि प्रेषितों के हाथ रखने से पवित्र शक्‍ति मिलती है, तो उसने उन्हें पैसा देते हुए 19  कहा, “मुझे भी यह अधिकार दो कि जिस किसी पर मैं अपने हाथ रखूँ वह पवित्र शक्‍ति पाए।” 20  मगर पतरस ने उससे कहा, “तेरी चाँदी तेरे संग नाश हो, क्योंकि तूने सोचा कि तू परमेश्‍वर के मुफ्त वरदान को पैसों से खरीद सकता है।+ 21  लेकिन इस सेवा में न तेरा कोई साझा है, न हिस्सा क्योंकि परमेश्‍वर की नज़र में तेरा दिल सीधा नहीं है। 22  इसलिए अपनी यह बुराई छोड़ और पश्‍चाताप करके यहोवा* से मिन्‍नत कर कि हो सके तो तेरे दिल का यह दुष्ट विचार माफ किया जाए 23  क्योंकि मैं देख सकता हूँ कि तेरे दिल में ज़हर भरा है* और तू बुराई का गुलाम है।” 24  तब शमौन ने उनसे कहा, “मेहरबानी करके मेरे लिए यहोवा* से मिन्‍नत करो कि जो बातें तुमने कही हैं, उनमें से कोई भी मुझ पर न आ पड़े।” 25  इस तरह जब पतरस और यूहन्‍ना सारे इलाके में अच्छी तरह गवाही दे चुके और यहोवा* का वचन सुना चुके, तो वे यरूशलेम लौट चले और रास्ते में सामरियों के बहुत-से गाँवों में खुशखबरी सुनाते गए।+ 26  मगर यहोवा* के स्वर्गदूत+ ने फिलिप्पुस से कहा, “उठ और दक्षिण की तरफ उस रास्ते पर जा जो यरूशलेम से गाज़ा जाता है।” (यह एक सुनसान रास्ता है।) 27  यह सुनकर फिलिप्पुस उठा और निकल पड़ा और उसे रास्ते में इथियोपिया का एक खोजा* मिला। यह खोजा इथियोपिया की रानी कन्दाके के दरबार में ऊँचे पद पर था और उसके सारे खज़ाने का अधिकारी था। वह यरूशलेम में उपासना करने गया था+ 28  और अब लौट रहा था। वह अपने रथ पर बैठा ऊँची आवाज़ में भविष्यवक्‍ता यशायाह की किताब पढ़ रहा था। 29  तब पवित्र शक्‍ति ने फिलिप्पुस से कहा, “जा, उस रथ के पास जा।” 30  फिलिप्पुस उस रथ के साथ-साथ दौड़ने लगा और उसने खोजे को भविष्यवक्‍ता यशायाह की किताब पढ़ते सुना और उससे पूछा, “तू जो पढ़ रहा है, क्या उसे समझता भी है?” 31  उसने कहा, “जब तक कोई मुझे न समझाए, मैं भला कैसे समझ सकता हूँ?” फिर उसने फिलिप्पुस से बिनती की कि वह रथ पर चढ़कर उसके साथ बैठ जाए। 32  शास्त्र का जो हिस्सा वह पढ़ रहा था वह यह था: “वह भेड़ की तरह बलि होने के लिए लाया गया। जैसे मेम्ना अपने ऊन कतरनेवाले के सामने चुपचाप रहता है, वैसे ही उसने अपने मुँह से एक शब्द नहीं निकाला।+ 33  जब उसका अपमान हो रहा था, तो उसके साथ न्याय नहीं किया गया।+ यह कौन बताएगा कि वह कौन है, कहाँ से आया है? क्योंकि धरती से उसका जीवन ले लिया गया।”+ 34  तब खोजे ने फिलिप्पुस से कहा, “मेहरबानी करके मुझे बता कि भविष्यवक्‍ता यह किसके बारे में कह रहा है? अपने बारे में या किसी दूसरे के बारे में?” 35  तब फिलिप्पुस ने बोलना शुरू किया और शास्त्र के इस वचन से शुरू करते हुए उसे यीशु के बारे में खुशखबरी सुनायी। 36  जब वे सड़क पर जा रहे थे, तो वे एक ऐसी जगह पहुँचे जहाँ काफी पानी था और खोजे ने कहा, “देख! यहाँ पानी है, अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रुकावट है?” 37 * 38  तब खोजे ने रथ रुकवाया और वे दोनों पानी में उतरे और फिलिप्पुस ने उसे बपतिस्मा दिया। 39  जब वे पानी से बाहर निकले, तो यहोवा* की पवित्र शक्‍ति फिलिप्पुस को वहाँ से फौरन कहीं और ले गयी और खोजा उसे फिर नहीं देख पाया और वह खुशी-खुशी अपने रास्ते चल दिया। 40  इसके बाद, फिलिप्पुस ने खुद को अशदोद में पाया और कैसरिया+ पहुँचने तक वह सभी इलाकों और शहरों में खुशखबरी सुनाता गया।

कई फुटनोट

या शायद, “एक शहर।”
अति. क5 देखें।
शा., “तू कड़वा पित्त है।”
अति. क5 देखें।
अति. क5 देखें।
अति. क5 देखें।
या “दरबारी।”
अति. क3 देखें।
अति. क5 देखें।