भजन 101:1-8

  • एक राजा निर्दोष चाल चलता है

    • ‘मैं घमंड बरदाश्‍त नहीं करूँगा’ (5)

    • ‘मेरी आँखें विश्‍वासयोग्य लोगों पर लगी रहेंगी’ (6)

दाविद का सुरीला गीत। 101  मैं अटल प्यार और न्याय के बारे में गीत गाऊँगा। हे यहोवा, मैं तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा।*   मैं सूझ-बूझ से काम लूँगा और निर्दोष बना रहूँगा। तू कब मेरे पास आएगा? मैं अपने घर के अंदर भी निर्दोष मन से सही चाल चलूँगा।+   मैं अपनी आँखों के सामने कोई बेकार की* चीज़ नहीं रखूँगा। मैं उन लोगों के कामों से नफरत करता हूँ जो सही राह से भटक जाते हैं।+ मैं उनसे कोई नाता नहीं रखूँगा।*   मैं टेढ़े मनवाले से दूर रहता हूँ,मैं बुराई स्वीकार नहीं करूँगा।*   जो कोई चोरी-छिपे अपने पड़ोसी को बदनाम करता है,+उसे मैं खामोश कर दूँगा।* घमंड से चढ़ी आँखें और मगरूर दिलमैं बरदाश्‍त नहीं करूँगा।   मेरी आँखें धरती के विश्‍वासयोग्य लोगों पर लगी रहेंगीताकि वे मेरे साथ निवास करें। जो निर्दोष चाल चलता है वह मेरी सेवा करेगा।   कोई भी धोखेबाज़ मेरे घर में नहीं रहेगा,न कोई झूठा मेरी मौजूदगी में* खड़ा रहेगा।   हर सुबह मैं धरती के सभी दुष्टों को खामोश कर दूँगा*ताकि यहोवा के नगर से सभी गुनहगारों को मिटा दूँ।+

कई फुटनोट

या “संगीत बजाऊँगा।”
या “निकम्मी।”
या “उनके काम मुझसे नहीं लगे रहते।”
शा., “को नहीं जानूँगा।”
या “मिटा दूँगा।”
शा., “मेरी आँखों के सामने।”
या “मिटा दूँगा।”