भजन 109:1-31

  • एक दुखी आदमी की प्रार्थना

    • ‘उसका पद कोई और ले ले’ (8)

    • परमेश्‍वर गरीब के पास खड़ा होगा (31)

दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत। 109  हे परमेश्‍वर, जिसकी मैं तारीफ करता हूँ,+ तू और चुप न रह।   क्योंकि दुष्ट और धोखेबाज़ मेरे खिलाफ बोलते हैं, अपनी ज़बान से मेरे बारे में झूठी बातें कहते हैं।+   वे मुझे घेर लेते हैं, चुभनेवाली बातें कहते हैं,बेवजह मुझ पर हमला करते हैं।+   मेरे प्यार के बदले मेरा विरोध करते हैं,+मगर मैं प्रार्थना करने में लगा रहता हूँ।   वे मेरी अच्छाई का बदला बुराई से देते हैं,+मेरे प्यार के बदले मुझसे नफरत करते हैं।+   उस पर किसी दुष्ट को ठहरा,उसके दाएँ हाथ एक विरोधी* खड़ा रहे।   जब उसका न्याय होगा तो वह दोषी* पाया जाए,उसकी प्रार्थना भी एक पाप मानी जाए।+   उसकी ज़िंदगी के दिन घट जाएँ,+उसका निगरानी का पद कोई और ले ले।+   उसके बच्चों* पर से पिता का साया उठ जाएऔर उसकी पत्नी विधवा हो जाए। 10  उसके बच्चे* भिखारी बनकर भटकते फिरें,अपने उजड़े हुए घरों से निकलकर टुकड़े तलाशते रहें। 11  उसका लेनदार उसका सबकुछ ज़ब्त कर ले,*पराए उसकी जायदाद लूट लें। 12  कोई भी उस पर कृपा* न करे,उसकी मौत के बाद उसके बच्चों पर दया न करे। 13  उसके वंशज काट डाले जाएँ,+उनका नाम एक ही पीढ़ी में मिटा दिया जाए। 14  उसके पुरखों का गुनाह यहोवा याद रखे+और उसकी माँ का पाप कभी न मिटाया जाए। 15  उन्होंने जो किया है उसे यहोवा हर पल याद रखे,वह धरती से उनकी याद हमेशा के लिए मिटा दे।+ 16  क्योंकि दूसरों पर कृपा* करना उसे याद नहीं रहा,+इसके बजाय, वह ज़ुल्म सहनेवाले, गरीब और टूटे मनवाले का पीछा करता रहा+ताकि उसे मार डाले।+ 17  दूसरों को शाप देने में उसे खुशी मिलती थी,इसलिए अब उसी पर शाप आ पड़ा है,उसने दूसरों को आशीर्वाद देना नहीं चाहा,इसलिए उसे कोई आशीष नहीं मिली। 18  उसे मानो शाप की पोशाक पहनायी गयी। शाप उसके शरीर में ऐसे उँडेला गया जैसे पानी हो,उसकी हड्डियों में ऐसे उँडेला गया जैसे तेल हो। 19  उस पर पड़े शाप पोशाक जैसे हों जिसे वह पहने रहता है,+कमर-पट्टी जैसे हों जिसे वह हरदम कसे रहता है। 20  यहोवा उन्हें यही सिला देता है जो मेरा विरोध करते हैं,+मेरे बारे में बुरी बातें कहते हैं। 21  मगर हे सारे जहान के मालिक यहोवा,अपने नाम की खातिर मेरी तरफ से कार्रवाई कर।+ मुझे छुड़ा ले क्योंकि तेरा अटल प्यार भला है।+ 22  मैं बेसहारा और गरीब हूँ,+मेरा दिल छलनी हो गया है।+ 23  मैं घटती छाया की तरह गायब हो रहा हूँ,एक टिड्डी की तरह मुझे झटक दिया गया है। 24  उपवास करते-करते मेरे घुटने जवाब दे गए हैं,मैं दुबला हो गया हूँ, सूखता जा रहा हूँ।* 25  वे मुझ पर ताना कसते हैं,+ मुझे देखकर सिर हिलाते हैं।+ 26  हे यहोवा, मेरे परमेश्‍वर, मेरी मदद कर,अपने अटल प्यार की वजह से मुझे बचा ले। 27  वे जान जाएँ कि यह तूने अपने हाथ से किया है,कि हे यहोवा, यह तूने ही किया है। 28  वे भले ही शाप दें, मगर तू आशीष दे। जब वे मेरे खिलाफ उठें तो वे शर्मिंदा किए जाएँ,मगर तेरा सेवक आनंद मनाए। 29  मेरा विरोध करनेवालों को अपमान की पोशाक पहनायी जाए,उन्हें शर्म का ओढ़ना ओढ़ाया जाए।+ 30  मैं अपने मुँह से पूरे जोश के साथ यहोवा की तारीफ करूँगा,बहुत-से लोगों के सामने उसकी तारीफ करूँगा।+ 31  क्योंकि वह गरीब के दाएँ हाथ खड़ा होगा ताकि उसे उन लोगों से बचाए जो उसे दोषी ठहराते हैं।

कई फुटनोट

या “इलज़ाम लगानेवाला।”
या “दुष्ट।”
शा., “बेटों।”
शा., “बेटे।”
या “सूदखोर उसके लिए जाल बिछाएँ।”
या “अटल प्यार।”
या “अटल प्यार।”
शा., “मेरा शरीर बिना चरबी (या तेल) के दुबला हो गया है।”