भजन 11:1-7

  • यहोवा की पनाह लेना

    • “यहोवा अपने पवित्र मंदिर में है” (4)

    • वह हिंसा से प्यार करनेवालों से नफरत करता है (5)

दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत। 11  मैंने यहोवा की पनाह ली है।+ फिर तुम मुझसे क्यों कहते हो,“एक पंछी की तरह तुम सब अपने पहाड़ पर भाग जाओ!   देखो, दुष्टों ने कैसे अपनी कमान चढ़ा ली है,तीर से निशाना साध लिया हैताकि अँधेरे में छिपकर सीधे-सच्चे मनवालों पर तीर चलाएँ।   जब नींव* ही ढा दी जाए,तो नेक जन क्या कर सकता है?”   यहोवा अपने पवित्र मंदिर में है।+ यहोवा की राजगद्दी स्वर्ग में है।+ उसकी आँखें इंसानों को देखती हैं,उसकी पैनी नज़र* उन्हें जाँचती है।+   यहोवा नेक और दुष्ट, दोनों को जाँचता है,+हिंसा से प्यार करनेवाले से नफरत करता है।+   वह दुष्टों पर फंदे* बरसाएगा,उनके प्याले में आग, गंधक+ और झुलसानेवाली हवा होगी।   क्योंकि यहोवा नेक है,+ वह नेक कामों से प्यार करता है।+ सीधे-सच्चे लोग उसका मुख देखेंगे।*+

कई फुटनोट

या “न्याय की नींव।”
या “तेज़ चमकती आँखें।”
या शायद, “जलते अंगारे।”
या “उसकी कृपा पाएँगे।”