भजन 141:1-10

  • हिफाज़त के लिए प्रार्थना

    • ‘मेरी प्रार्थना धूप जैसी हो’ (2)

    • नेक जन की फटकार तेल जैसी (5)

    • दुष्ट अपने ही जाल में फँसेंगे (10)

दाविद का सुरीला गीत। 141  हे यहोवा, मैं तुझे पुकारता हूँ।+ मेरी मदद के लिए जल्दी आ।+ जब मैं तुझे पुकारूँ तो मुझ पर ध्यान दे।+   तेरे सामने मेरी प्रार्थना तैयार किए हुए धूप जैसी हो,+मेरे उठाए हुए हाथ शाम के अनाज के चढ़ावे जैसे हों।+   हे यहोवा, मेरे मुँह पर एक पहरेदार ठहरा,मेरे होंठों के द्वार पर पहरा बिठा।+   मेरे दिल को किसी भी बुरी बात की तरफ झुकने न दे+ताकि मैं बुरे लोगों के दुष्ट कामों का हिस्सेदार न बनूँ,मैं कभी उनके लज़ीज़ खाने का मज़ा न लूँ।   अगर नेक जन मुझे मारे, तो यह उसका अटल प्यार होगा,+अगर वह मुझे फटकारे, तो यह मेरे सिर पर तेल जैसा होगा,+जिसे मेरा सिर कभी नहीं ठुकराएगा।+ मैं नेक जन की मुसीबतों में भी उसके लिए प्रार्थना करता रहूँगा।   चाहे उनके न्यायी खड़ी चट्टान से नीचे गिरा दिए जाएँ,फिर भी लोग मेरी बातों पर ध्यान देंगे क्योंकि ये मनभावनी हैं।   जैसे किसी के हल चलाने पर मिट्टी के ढेले फूटकर बिखर जाते हैं,वैसे ही हमारी हड्डियाँ कब्र के मुँह पर बिखरा दी गयी हैं।   मगर हे सारे जहान के मालिक यहोवा, मेरी आँखें तेरी ओर लगी हैं।+ मैंने तेरी पनाह ली है। मेरी जान न लेना।   उन्होंने मेरे लिए जो जाल बिछाया है उसके चंगुल से मुझे बचा,बुरे काम करनेवालों के फंदों से मुझे बचा। 10  सारे दुष्ट अपने ही बिछाए जाल में फँस जाएँगे,+जबकि मैं सही सलामत पार निकल जाऊँगा।

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