भजन 142:1-7

  • सतानेवालों से बचाने के लिए प्रार्थना

    • “ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ मैं भाग सकूँ” (4)

    • “तू ही मेरा सबकुछ है” (5)

मश्‍कील।* दाविद का यह गीत उस समय का है जब वह एक गुफा में था।+ एक प्रार्थना। 142  मैं मदद के लिए यहोवा को पुकारता हूँ+मैं दया के लिए यहोवा से गिड़गिड़ाता हूँ।   उसे अपनी सारी चिंताएँ खुलकर बताता हूँ,अपने मन की पीड़ा बताता हूँ।+   जब मेरी ताकत जवाब दे जाती है,तब तू मेरी राह पर नज़र रखता है।+ मैं जिस रास्ते पर चलता हूँ,वहाँ मेरे दुश्‍मन मेरे लिए फंदा छिपाते हैं।   मेरे दायीं तरफ देख,कोई मेरी परवाह नहीं करता।*+ ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ मैं भाग सकूँ,+मेरी फिक्र करनेवाला कोई नहीं।   हे यहोवा, मैं मदद के लिए तुझे पुकारता हूँ। मैं कहता हूँ, “तू मेरी पनाह है,+मेरे जीते जी* तू ही मेरा सबकुछ* है।”   मेरी मदद की पुकार पर ध्यान दे,क्योंकि मैं बड़ी मुसीबत में हूँ। मुझ पर ज़ुल्म करनेवालों से मुझे छुड़ा ले,+क्योंकि वे मुझसे ज़्यादा ताकतवर हैं।   मुझे इस काल-कोठरी से बाहर निकाल ताकि मैं तेरे नाम की तारीफ करूँ। नेक लोग मेरे चारों तरफ इकट्ठा हों क्योंकि तू मेरे साथ कृपा से पेश आता है।

कई फुटनोट

शब्दावली देखें।
शा., “कोई मुझे नहीं पहचानता।”
शा., “जीवितों के देश में।”
शा., “भाग।”