भजन 146:1-10

  • परमेश्‍वर पर भरोसा रखो, इंसानों पर नहीं

    • मरने पर इंसान के विचार मिट जाते हैं (4)

    • परमेश्‍वर झुके हुओं को उठाता है (8)

146  याह की तारीफ करो!*+ मेरा रोम-रोम यहोवा की तारीफ करे।+   मैं सारी ज़िंदगी यहोवा की तारीफ करूँगा, जब तक मैं ज़िंदा रहूँगा, अपने परमेश्‍वर की तारीफ में गीत गाऊँगा।*   बड़े-बड़े अधिकारियों* पर भरोसा मत रखना,न ही किसी और इंसान पर, जो उद्धार नहीं दिला सकता।+   उसकी भी साँस* निकल जाती है और वह मिट्टी में मिल जाता है,+उसी दिन उसके सारे विचार मिट जाते हैं।+   सुखी है वह जिसका मददगार याकूब का परमेश्‍वर है,+जो अपने परमेश्‍वर यहोवा पर आशा रखता है।+   उस परमेश्‍वर पर जो आकाश, धरती,समुंदर और उनमें जो कुछ है, सबका बनानेवाला है,+जो हमेशा विश्‍वासयोग्य रहता है।+   वह धोखा खाए हुओं को न्याय दिलाता है,भूखों को रोटी देता है।+ यहोवा कैदियों* को छुड़ाता है।+   यहोवा अंधों की आँखें खोलता है,+यहोवा झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है,+यहोवा नेक लोगों से प्यार करता है।   यहोवा परदेसियों की रक्षा करता है,अनाथ* और विधवा की देखभाल करता है,+मगर दुष्ट की चालें नाकाम कर देता है।*+ 10  यहोवा सदा के लिए राजा बना रहेगा,+हे सिय्योन, तेरा परमेश्‍वर पीढ़ी-पीढ़ी तक राजा बना रहेगा। याह की तारीफ करो!*

कई फुटनोट

या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “संगीत बजाऊँगा।”
या “हाकिमों।”
शब्दावली में “रुआख; नफ्मा” देखें।
शा., “बंदियों।”
या “जिसके पिता की मौत हो गयी है।”
या “दुष्ट की राह टेढ़ी-मेढ़ी कर देता है।”
या “हल्लिलूयाह!” “याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।