भजन 26:1-12

  • निर्दोष चाल चलना

    • “हे यहोवा, मुझे परखकर देख” (2)

    • बुरी संगति से दूर रहना (4, 5)

    • ‘मैं वेदी के चारों तरफ घूमूँगा’ (6)

दाविद की रचना। 26  हे यहोवा, मेरा न्याय कर क्योंकि मैं निर्दोष चाल चलता हूँ,+यहोवा पर मेरा भरोसा अटल है।+   हे यहोवा, मुझे परखकर देख, मुझे कसौटी पर कस,मेरे दिल को और गहराई में छिपे विचारों* को शुद्ध कर।+   क्योंकि तेरा अटल प्यार हमेशा मेरे सामने रहता हैऔर मैं तेरी सच्चाई की राह पर चलता हूँ।+   मैं छल करनेवालों से मेल-जोल नहीं रखता,*+अपनी असलियत छिपानेवालों से दूर रहता हूँ।*   मुझे बुरे लोगों की टोली से नफरत है,+मैं दुष्टों से मेल-जोल रखने* से इनकार करता हूँ।+   हे यहोवा, मैं अपने हाथ धोकर खुद को बेगुनाह साबित करूँगाऔर तेरी वेदी के चारों तरफ घूमूँगा   ताकि मैं ऊँची आवाज़ में तेरा शुक्रिया अदा करूँ,+तेरे सभी आश्‍चर्य के कामों का ऐलान करूँ।   हे यहोवा, मुझे तेरा भवन बहुत प्यारा है जहाँ तू निवास करता है,+जहाँ तेरी महिमा छायी रहती है।+   पापियों के साथ मेरा भी सफाया न कर देना,+न ही खूँखार लोगों* के साथ मेरी जान ले लेना, 10  जिनके हाथ नीच कामों में लगे रहते हैं,जिनका दायाँ हाथ रिश्‍वत से भरा रहता है। 11  मगर मैंने तो ठाना है कि मैं निर्दोष चाल चलूँगा। मुझे छुड़ा ले और मुझ पर कृपा कर। 12  मैं समतल ज़मीन पर खड़ा हूँ,+मैं बड़ी मंडली* में यहोवा की तारीफ करूँगा।+

कई फुटनोट

या “मेरी गहरी भावनाओं।” शा., “मेरे गुरदों।”
शा., “के साथ नहीं बैठता।”
या “कपटियों से नहीं मिलता-जुलता।”
शा., “के साथ बैठने।”
या “खून बहानेवालों।”
शा., “मैं सभाओं।”