भजन 41:1-13

  • बिस्तर पर पड़े बीमार की प्रार्थना

    • परमेश्‍वर बीमार को सँभालता है (3)

    • जिगरी दोस्त ने दगा दी (9)

दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत। 41  सुखी है वह इंसान जो दीन-दुखियों का लिहाज़ करता है,+यहोवा उसे संकट के दिन छुड़ाएगा।   यहोवा उसकी हिफाज़त करेगा और उसकी जान सलामत रखेगा। उसे धरती पर सुखी इंसान माना जाएगा,+परमेश्‍वर उसे कभी उसके दुश्‍मनों की मरज़ी* पर नहीं छोड़ेगा।+   जब वह बिस्तर पर बीमार पड़ा होगा तब यहोवा उसे सँभालेगा,+बीमारी के दिनों में परमेश्‍वर उसकी देखभाल करेगा।   मैंने कहा था, “हे यहोवा, मैंने तेरे खिलाफ पाप किया है।+ मुझ पर कृपा कर,+ मेरी बीमारी दूर कर दे।”+   मगर दुश्‍मन मेरे बारे में बुरी बातें करते हैं, “यह कब मरेगा? इसका नाम कब मिटेगा?”   जब उनमें से कोई मुझे देखने आता है, तो वह झूठ बोलने के इरादे से आता है। वह मेरी बुराई करने के लिए कुछ-न-कुछ ढूँढ़ लेता है,फिर जाकर उसे दूर-दूर तक फैला देता है।   मुझसे नफरत करनेवाले सभी आपस में फुसफुसाते हैं,मेरे खिलाफ साज़िश रचते हैं।   वे कहते हैं, “उसे कोई खतरनाक बीमारी लग गयी है,वह गिर गया है, अब कभी नहीं उठ पाएगा।”+   मेरा जिगरी दोस्त भी, जिस पर मैं भरोसा करता था,+जो मेरी रोटी खाया करता था, मेरे खिलाफ हो गया है।*+ 10  मगर हे यहोवा, तू मुझ पर कृपा कर और मुझे ऊपर उठाताकि मैं उन्हें उनके किए की सज़ा दे सकूँ। 11  जब मेरे दुश्‍मन मुझसे जीत नहीं पाएँगे,+ तो मैं जान जाऊँगा कि तू मुझसे खुश है। 12  मेरे निर्दोष चालचलन की वजह से तू मुझे ऊँचा उठाता है,+तू मुझे अपनी नज़रों के सामने सदा बनाए रखेगा।+ 13  इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की युग-युग तक* तारीफ होती रहे।+ आमीन, आमीन।

कई फुटनोट

या “इच्छा।”
शा., “मेरे खिलाफ एड़ी उठाए है।”
या “हमेशा से हमेशा तक।”