भजन 42:1-11

  • महान उद्धारकर्ता की तारीफ करना

    • परमेश्‍वर के लिए तरसना जैसे हिरन पानी के लिए तरसता है (1, 2)

    • “मेरे मन, तू क्यों इतना उदास है?” (5, 11)

    • “परमेश्‍वर का इंतज़ार कर” (5, 11)

कोरह+ के वंशजों का मश्‍कील।* निर्देशक के लिए हिदायत। 42  जैसे एक हिरन पानी के लिए तरसता है,वैसे ही हे परमेश्‍वर, मैं तेरे लिए तरसता हूँ।   मेरा मन परमेश्‍वर का, जीवित परमेश्‍वर का प्यासा है।+ जाने वह दिन कब आएगा जब मैं परमेश्‍वर के सामने जा पाऊँगा।+   दिन-रात मेरे आँसू ही मेरा खाना हैं,सारा दिन लोग मुझे ताने मारते हैं: “कहाँ गया तेरा परमेश्‍वर?”+   मैं ये सब याद करता हूँ, अपने दिल की सारी बातें बताता हूँ,*वह भी क्या दिन थे जब मैं उमड़ती भीड़ के साथ चलता था,उसके आगे-आगे पूरी गंभीरता से* चलता हुआ परमेश्‍वर के भवन की तरफ बढ़ता था,हाँ, वह भीड़ जो कदरदानी के गीत गाती हुई,जयजयकार करती हुई त्योहार मनाती थी।+   मेरे मन, तू क्यों इतना उदास है?+ तेरे अंदर यह तूफान क्यों मचा है? परमेश्‍वर का इंतज़ार कर,+क्योंकि मैं उसकी तारीफ करता रहूँगाकि वह मेरा महान उद्धारकर्ता है।+   मेरे परमेश्‍वर, मेरा मन बहुत उदास है।+ इसीलिए मैं यरदन के इलाके से,हेरमोन की चोटियों से,मिसार पहाड़* से तुझे याद करता हूँ।+   तेरे झरने की ज़ोरदार झरझर परगहरा सागर गहरे सागर को आवाज़ लगाता है। मैं तेरी उफनती लहरों में डूब गया हूँ।+   दिन में यहोवा मुझ पर अटल प्यार ज़ाहिर करेगा,रात को उसका गीत मेरे होंठों पर होगा,मैं अपने परमेश्‍वर से प्रार्थना करूँगा जो मुझे जीवन देता है।+   मैं परमेश्‍वर से, अपनी बड़ी चट्टान से कहूँगा,“तूने मुझे क्यों भुला दिया है?+ दुश्‍मन के ज़ुल्मों की वजह से मुझे क्यों सारा वक्‍त उदास रहना पड़ता है?”+ 10  दुश्‍मन मेरे खून के प्यासे हैं,* मुझे ताना मारते हैं,सारा दिन मुझे ताना मारते हैं, “कहाँ गया तेरा परमेश्‍वर?”+ 11  मेरे मन, तू क्यों इतना उदास है? तेरे अंदर यह तूफान क्यों मचा है? परमेश्‍वर का इंतज़ार कर,+क्योंकि मैं उसकी तारीफ करता रहूँगाकि वह मेरा महान उद्धारकर्ता और मेरा परमेश्‍वर है।+

कई फुटनोट

शब्दावली देखें।
शा., “अपनी जान उँडेलता हूँ।”
या “धीरे-धीरे।”
या “छोटे पहाड़।”
या शायद, “मानो मेरी हड्डियाँ चूर-चूर करते हों।”