भजन 60:1-12

  • परमेश्‍वर दुश्‍मनों को हराता है

    • इंसान पर आस लगाना बेकार (11)

    • “परमेश्‍वर से हमें ताकत मिलेगी” (12)

दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “यादगार का सोसन” के मुताबिक। मिकताम।* सिखाने के लिए। यह गीत उस समय का है जब दाविद ने अरम-नहरैम और अराम-सोबा की सेना से युद्ध किया था और योआब ने लौटकर नमक घाटी+ में 12,000 एदोमियों को मार गिराया था। 60  हे परमेश्‍वर, तूने हमें ठुकरा दिया, हमारी मोरचाबंदी तोड़ दी,+ तू हमसे नाराज़ था मगर अब हमें दोबारा अपना ले!   तूने धरती को कँपकँपा दिया, ज़मीन चीर दी। अब इसकी दरारें भर दे क्योंकि यह गिरनेवाली है।   तूने अपने लोगों को मुसीबतें झेलने पर मजबूर किया। हमें ऐसी दाख-मदिरा पिलायी कि हम लड़खड़ाने लगे।+   जो तेरा डर मानते हैं उन्हें इशारा दे*कि वे भाग जाएँ और तीर से बच जाएँ। (सेला )   अपने दाएँ हाथ से हमें बचा ले, हमारी सुन लेताकि जिन्हें तू प्यार करता है वे छुड़ाए जाएँ।+   परमेश्‍वर अपनी पवित्रता के कारण* कहता है, “मैं मगन होऊँगा, विरासत में शेकेम दूँगा,+सुक्कोत घाटी नापकर दूँगा।+   मनश्‍शे मेरा है, गिलाद भी मेरा है,+एप्रैम मेरे सिर का टोप है,यहूदा मेरे लिए हाकिम की लाठी है।+   मोआब मेरा हाथ-पैर धोने का बरतन है।+ एदोम पर मैं अपना जूता फेंकूँगा।+ पलिश्‍त को जीतकर मैं जश्‍न मनाऊँगा।”+   कौन मुझे उस घिरे हुए* शहर तक ले जाएगा? कौन मुझे दूर एदोम तक ले जाएगा?+ 10  हे हमारे परमेश्‍वर, तू ही हमें वहाँ ले जाएगा।मगर तूने तो हमें ठुकरा दिया है,तू अब युद्ध में हमारी सेना के साथ नहीं जाता।+ 11  हम संकट में हैं, हमारी मदद कर,क्योंकि उद्धार के लिए इंसान पर आस लगाना बेकार है।+ 12  परमेश्‍वर से हमें ताकत मिलेगी,+वह हमारे बैरियों को रौंद डालेगा।+

कई फुटनोट

शब्दावली देखें।
या शायद, “उन्हें तूने इशारा दिया है।”
या शायद, “अपनी पवित्र जगह में।”
या शायद, “किलेबंद।”