भजन 66:1-20

  • परमेश्‍वर के विस्मयकारी काम

    • ‘आओ, परमेश्‍वर के काम देखो’ (5)

    • ‘मैं सारी मन्‍नतें पूरी करूँगा’ (13)

    • परमेश्‍वर प्रार्थना सुनता है (18-20)

निर्देशक के लिए हिदायत। एक सुरीला गीत। 66  धरती के सब लोगो, परमेश्‍वर की जयजयकार करो!+   उसके गौरवशाली नाम की तारीफ में गीत गाओ।* उसकी बढ़-चढ़कर महिमा करो।+   परमेश्‍वर से कहो, “तेरे काम क्या ही विस्मयकारी हैं!+ तेरी महाशक्‍ति देखकर दुश्‍मन तेरे सामने दुबक जाएँगे।+   धरती के सब लोग तुझे दंडवत करेंगे,+तेरी तारीफ में गीत गाएँगे,तेरे नाम की तारीफ में गीत गाएँगे।”+ (सेला )   आओ, आकर तुम सब परमेश्‍वर के काम देखो, इंसानों की खातिर उसने क्या ही विस्मयकारी काम किए हैं!+   कभी समुंदर को सूखी ज़मीन बना दिया,+तो कभी नदी के बीच से रास्ता निकाला जिस पर चलकर हम पार उतर गए।+ परमेश्‍वर के कारण हम वहाँ आनंद-मगन हुए।+   वह अपनी ताकत से सदा राज करता है।+ राष्ट्रों पर नज़र रखता है।+ जो हठीले हैं वे खुद को बहुत ऊँचा न उठाएँ।+ (सेला )   देश-देश के लोगो, हमारे परमेश्‍वर की तारीफ करो,+उसकी तारीफ चारों तरफ गूँज उठे।   वह हमारी जान सलामत रखता है,+हमारे कदमों को लड़खड़ाने* नहीं देता।+ 10  हे परमेश्‍वर, तूने हमें जाँचा,+चाँदी की तरह हमें शुद्ध किया। 11  तूने हमें अपने जाल में फँसा लिया,हम पर दुखों का ऐसा भारी बोझ लादा कि हम दब गए। 12  तूने नश्‍वर इंसान को हमारे* ऊपर से सवारी करने दिया,हम आग और पानी से गुज़रे,इसके बाद तू हमें एक महफूज़ जगह ले आया। 13  मैं पूरी होम-बलियाँ लेकर तेरे भवन में आऊँगा,+वे सारी मन्‍नतें पूरी करूँगा,+ 14  जो मैंने मुसीबत के वक्‍त तुझसे मानी थीं,+वे वादे निभाऊँगा जो मैंने संकट के वक्‍त किए थे। 15  मैं तुझे मोटे-ताज़े जानवरों की होम-बलियाँ चढ़ाऊँगा,मेढ़ों का बलिदान करूँगा ताकि उनका धुआँ उठे। मैं बकरे और बैल अर्पित करूँगा। (सेला ) 16  परमेश्‍वर का डर माननेवालो, तुम सब आओ और सुनो,मैं तुम्हें बताऊँगा कि उसने मेरे लिए क्या-क्या किया।+ 17  मैंने अपने मुँह से उसे पुकारा,अपनी जीभ से उसकी महिमा की। 18  अगर मैंने दिल में कोई बुराई पनपने दी होती,तो यहोवा मेरी नहीं सुनता।+ 19  मगर परमेश्‍वर ने मेरी सुनी है,+उसने मेरी प्रार्थना पर ध्यान दिया है।+ 20  परमेश्‍वर की बड़ाई हो जिसने मेरी प्रार्थना नहीं ठुकरायी,न ही अपने अटल प्यार से मुझे दूर रखा।

कई फुटनोट

या “संगीत बजाओ।”
या “डगमगाने।”
शा., “हमारे सिर के।”