भजन 79:1-13

  • तब की प्रार्थना जब राष्ट्रों ने परमेश्‍वर के लोगों पर हमला किया

    • ‘हम मज़ाक बन गए हैं’ (4)

    • ‘अपने नाम की खातिर मदद कर’ (9)

    • ‘हमारे पड़ोसियों को सात गुना बदला चुका’ (12)

आसाप का सुरीला गीत।+ 79  हे परमेश्‍वर, दूसरे राष्ट्रों ने तेरी विरासत+ पर हमला कर दिया है,उन्होंने तेरे पवित्र मंदिर को दूषित कर दिया है,+यरूशलेम को खंडहर बना दिया है।+   उन्होंने तेरे सेवकों की लाशें आकाश के पक्षियों को खिला दी हैं,तेरे वफादार जनों का माँस धरती के जंगली जानवरों को दे दिया है।+   उन्होंने उनका खून पूरे यरूशलेम में पानी की तरह बहा दिया है,उनकी लाशें दफनानेवाला कोई न रहा।+   हम अपने पड़ोसियों के लिए मज़ाक बन गए हैं,+आस-पास के लोग हम पर हँसते हैं, हमारी खिल्ली उड़ाते हैं।   हे यहोवा, तू कब तक हमसे भड़का रहेगा? क्या सदा के लिए?+ कब तक तेरे गुस्से की आग धधकती रहेगी?+   तू अपने क्रोध का प्याला उन राष्ट्रों पर उँडेल दे जो तुझे नहीं जानते,उन राज्यों पर जो तेरा नाम नहीं पुकारते।+   क्योंकि उन्होंने याकूब को निगल लिया है,उसके देश को उजाड़ दिया है।+   हमारे पुरखों के गुनाहों के लिए हमें जवाबदेह न ठहरा।+ हम पर दया करने में देर न कर,+क्योंकि हमें बिलकुल नीचे गिरा दिया गया है।   हे परमेश्‍वर, हमारे उद्धारकर्ता,+अपने गौरवशाली नाम की खातिर हमारी मदद कर,अपने नाम की खातिर हमें छुड़ा ले और हमारे पाप माफ कर दे।*+ 10  राष्ट्रों को क्यों यह कहने का मौका मिले, “कहाँ गया इनका परमेश्‍वर?”+ हमारी आँखों के सामने राष्ट्रों को जता देकि तूने अपने सेवकों के खून का बदला लिया है।+ 11  तू कैदियों का कराहना सुने।+ अपनी महाशक्‍ति* से उन्हें बचा ले* जिन्हें मौत की सज़ा सुनायी गयी है।+ 12  हे यहोवा, हमारे पड़ोसियों ने तुझ पर जो ताने कसे हैं,+उनका सात गुना बदला उन्हें चुका।+ 13  तब हम जो तेरी प्रजा हैं, तेरे चरागाह की भेड़ें हैं,+सदा तक तेरा शुक्रिया अदा करते रहेंगे,पीढ़ी-दर-पीढ़ी तेरी तारीफ करते रहेंगे।+

कई फुटनोट

शा., “ढाँप दे।”
शा., “अपने बाज़ू।”
या शायद, “रिहा कर दे।”