मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 16:1-28

  • चिन्ह दिखाने के लिए कहा (1-4)

  • फरीसियों और सदूकियों का खमीर (5-12)

  • राज की चाबियाँ (13-20)

    • मंडली चट्टान पर बनायी जाएगी (18)

  • यीशु अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है (21-23)

  • सच्चा चेला कौन है (24-28)

16  यहाँ फरीसी और सदूकी यीशु के पास आए और उसकी परीक्षा लेने के लिए कहने लगे कि वह उन्हें स्वर्ग से एक चिन्ह दिखाए।+  यीशु ने उनसे कहा, “जब शाम होती है तो तुम कहते हो, ‘मौसम साफ रहेगा क्योंकि आसमान का रंग चटक लाल है।’  फिर सुबह के वक्‍त कहते हो, ‘आज मौसम सर्द और बरसाती होगा क्योंकि आसमान का रंग लाल तो है, मगर बादल छाए हैं।’ तुम आसमान को देखकर उसका मतलब समझाना तो जानते हो, मगर समय की निशानियाँ देखकर उनका मतलब समझाना नहीं जानते।  यह दुष्ट और विश्‍वासघाती* पीढ़ी हमेशा कोई चिन्ह देखने की ताक में लगी रहती है। मगर इसे योना के चिन्ह को छोड़ और कोई चिन्ह नहीं दिया जाएगा।”+ यह कहने के बाद वह उन्हें छोड़कर आगे चला गया।  चेले उस पार जाते समय अपने साथ रोटियाँ लेना भूल गए थे।+  यीशु ने उनसे कहा, “अपनी आँखें खुली रखो और फरीसियों और सदूकियों के खमीर से चौकन्‍ने रहो।”+  तब वे एक-दूसरे से कहने लगे, “हम अपने साथ रोटियाँ नहीं लाए।”  यह जानकर यीशु ने कहा, “अरे कम विश्‍वास रखनेवालो, तुम क्यों आपस में चर्चा कर रहे हो कि तुम्हारे पास रोटियाँ नहीं हैं?  क्या तुम अब तक नहीं समझे? क्या तुम्हें याद नहीं कि कैसे पाँच रोटियों से 5,000 लोगों ने खाया था और तुमने भरी हुई कितनी टोकरियाँ उठायी थीं?+ 10  क्या तुम्हें याद नहीं कि कैसे सात रोटियों से 4,000 लोगों ने खाया था और तुमने भरे हुए कितने टोकरे* उठाए थे?+ 11  तो फिर, तुम यह क्यों नहीं समझ पाए कि मैंने तुमसे रोटियों के बारे में नहीं कहा बल्कि यह कहा कि तुम फरीसियों और सदूकियों के खमीर से चौकन्‍ने रहो?”+ 12  तब उन्हें समझ आया कि वह फरीसियों और सदूकियों की शिक्षाओं से चौकन्‍ने रहने के लिए कह रहा है, न कि रोटियों के खमीर की बात कर रहा है। 13  जब यीशु कैसरिया फिलिप्पी के इलाके में आया, तो उसने अपने चेलों से पूछा, “लोग क्या कहते हैं, इंसान का बेटा कौन है?”+ 14  उन्होंने कहा, “कुछ कहते हैं, यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला,+ दूसरे कहते हैं एलियाह+ और कुछ कहते हैं यिर्मयाह या कोई और भविष्यवक्‍ता।” 15  यीशु ने उनसे पूछा, “लेकिन तुम क्या कहते हो, मैं कौन हूँ?” 16  शमौन पतरस ने जवाब दिया, “तू मसीह है,+ जीवित परमेश्‍वर का बेटा।”+ 17  यीशु ने उससे कहा, “हे शमौन, योना के बेटे, सुखी है तू क्योंकि तू यह बात हाड़-माँस के इंसान की मदद से नहीं, बल्कि स्वर्ग में रहनेवाले मेरे पिता की मदद से समझ पाया है।+ 18  मैं तुझसे यह कहता हूँ, तू पतरस है।+ और इस चट्टान+ पर मैं अपनी मंडली खड़ी करूँगा और कब्र* के दरवाज़े उस पर हावी न हो सकेंगे। 19  मैं तुझे स्वर्ग के राज की चाबियाँ दूँगा और जो कुछ तू धरती पर बाँधेगा, वह पहले ही स्वर्ग में बँधा होगा और जो कुछ तू धरती पर खोलेगा, वह पहले ही स्वर्ग में खुला होगा।” 20  इसके बाद उसने चेलों को सख्ती से कहा कि वे किसी को न बताएँ कि वह मसीह है।+ 21  उस वक्‍त से यीशु अपने चेलों को बताने लगा कि उसे यरूशलेम जाना होगा और वहाँ मुखियाओं, प्रधान याजकों और शास्त्रियों के हाथ कई दुख सहने होंगे, उसे मार डाला जाएगा और फिर तीसरे दिन ज़िंदा कर दिया जाएगा।+ 22  तब पतरस उसे अलग ले गया और झिड़कने लगा, “प्रभु खुद पर दया कर, तेरे साथ ऐसा कभी नहीं होगा।”+ 23  मगर उसने पतरस से मुँह फेर लिया और कहा, “अरे शैतान, मेरे सामने से दूर हो जा!* तू मेरे लिए ठोकर की वजह है क्योंकि तेरी सोच परमेश्‍वर जैसी नहीं, बल्कि इंसानों जैसी है।”+ 24  इसके बाद, यीशु ने अपने चेलों से कहा, “अगर कोई मेरे पीछे आना चाहता है, तो वह खुद से इनकार करे और अपना यातना का काठ* उठाए और मेरे पीछे चलता रहे।+ 25  क्योंकि जो कोई अपनी जान बचाना चाहता है वह उसे खोएगा, मगर जो कोई मेरी खातिर अपनी जान गँवाता है वह उसे पाएगा।+ 26  वाकई, अगर एक इंसान सारी दुनिया हासिल कर ले मगर अपनी जान गँवा बैठे, तो उसे क्या फायदा?+ या एक इंसान अपनी जान के बदले क्या देगा?+ 27  क्योंकि यह तय है कि इंसान का बेटा अपने पिता से महिमा पाकर अपने स्वर्गदूतों के साथ आएगा। तब वह हरेक को उसके चालचलन के मुताबिक बदला देगा।+ 28  मैं तुमसे सच कहता हूँ कि यहाँ जो खड़े हैं, उनमें से कुछ ऐसे हैं जो तब तक मौत का मुँह नहीं देखेंगे, जब तक कि वे इंसान के बेटे को उसके राज में आता हुआ न देख लें।”+

कई फुटनोट

शा., “व्यभिचारी।”
या “बड़े टोकरे।”
या “हेडीज़।” शब्दावली देखें।
शा., “मेरे पीछे जा।”
शब्दावली देखें।