मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 19:1-30

  • शादी और तलाक (1-9)

  • अविवाहित रहने का तोहफा (10-12)

  • यीशु बच्चों को आशीष देता है (13-15)

  • एक अमीर नौजवान का सवाल (16-24)

  • राज के लिए त्याग (25-30)

19  जब यीशु ये बातें कह चुका, तो वह गलील से निकल पड़ा और यरदन के पार यहूदिया की सरहदों के पास आया।+  भीड़-की-भीड़ उसके पीछे आ गयी और उसने वहाँ लोगों को ठीक किया।  तब फरीसी यीशु की परीक्षा लेने के लिए उसके पास आए। उन्होंने उससे पूछा, “क्या कानून के हिसाब से यह सही है कि एक आदमी अपनी पत्नी को किसी भी वजह से तलाक दे सकता है?”+  यीशु ने उन्हें जवाब दिया, “क्या तुमने नहीं पढ़ा कि जिसने उनकी सृष्टि की थी, उसने शुरूआत से ही उन्हें नर और नारी बनाया था+  और कहा था, ‘इस वजह से आदमी अपने माता-पिता को छोड़ देगा और अपनी पत्नी से जुड़ा रहेगा और वे दोनों एक तन होंगे’?+  तो वे अब दो नहीं रहे बल्कि एक तन हैं। इसलिए जिसे परमेश्‍वर ने एक बंधन में बाँधा है,* उसे कोई इंसान अलग न करे।”+  तब फरीसियों ने उससे कहा, “तो फिर मूसा ने यह क्यों कहा कि एक आदमी तलाकनामा लिखकर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है?”+  यीशु ने उनसे कहा, “मूसा ने तुम्हारे दिलों की कठोरता की वजह से तुम्हें अपनी पत्नियों को तलाक देने की इजाज़त दी,+ मगर शुरूआत से ऐसा नहीं था।+  मैं तुमसे कहता हूँ कि जो कोई नाजायज़ यौन-संबंध* के अलावा किसी और वजह से अपनी पत्नी को तलाक देता है और किसी दूसरी से शादी करता है, वह व्यभिचार* करने का दोषी है।”+ 10  चेलों ने उससे कहा, “अगर एक पति का अपनी पत्नी के साथ ऐसा रिश्‍ता है, तो शादी न करना ही अच्छा है।” 11  उसने उनसे कहा, “मैं जो कह रहा हूँ उसे हर कोई नहीं कर सकता, सिर्फ वे कर सकते हैं जिनके पास यह तोहफा है।+ 12  क्योंकि कुछ लोग ऐसे हैं जो जन्म से नपुंसक हैं। कुछ ऐसे हैं जिन्हें लोगों ने नपुंसक बना दिया है और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने स्वर्ग के राज के लिए खुद को नपुंसक बना लिया है। जो कोई राज के लिए अविवाहित रह सकता है, वह रहे।”+ 13  फिर लोग छोटे बच्चों को यीशु के पास लाए ताकि वह उन पर हाथ रखे और उनके लिए प्रार्थना करे। मगर चेलों ने उन्हें डाँटा।+ 14  लेकिन यीशु ने कहा, “बच्चों को मेरे पास आने दो, उन्हें रोकने की कोशिश मत करो, क्योंकि स्वर्ग का राज ऐसों ही का है।”+ 15  और उसने उन पर हाथ रखे, फिर वह वहाँ से चला गया। 16  और देखो! एक आदमी उसके पास आया और कहने लगा, “गुरु, हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए मैं कौन-सा अच्छा काम करूँ?”+ 17  यीशु ने उससे कहा, “तू मुझसे क्यों पूछता है कि अच्छा काम क्या है? सिर्फ एक ही है जो अच्छा है।+ लेकिन अगर तू ज़िंदगी पाना चाहता है, तो आज्ञाएँ मानता रह।”+ 18  उस आदमी ने पूछा, “कौन-सी आज्ञाएँ?” यीशु ने कहा, “यही कि तुम खून न करना,+ तुम व्यभिचार न करना,+ तुम चोरी न करना,+ तुम झूठी गवाही न देना,+ 19  अपने पिता और अपनी माँ का आदर करना+ और अपने पड़ोसी से वैसे ही प्यार करना जैसे तुम खुद से करते हो।”+ 20  उस नौजवान ने यीशु से कहा, “मैं ये सारी बातें मानता आया हूँ। बता कि मुझमें और क्या कमी है?” 21  यीशु ने उससे कहा, “अगर तू चाहता है कि तुझमें कोई कमी न हो,* तो जा और अपना सबकुछ बेचकर कंगालों को दे दे, क्योंकि तुझे स्वर्ग में खज़ाना मिलेगा+ और आकर मेरा चेला बन जा।”+ 22  जब उस नौजवान ने यह बात सुनी, तो वह दुखी होकर चला गया क्योंकि उसके पास बहुत धन-संपत्ति थी।+ 23  तब यीशु ने अपने चेलों से कहा, “मैं तुमसे सच कहता हूँ कि एक अमीर आदमी के लिए स्वर्ग के राज में दाखिल होना बहुत मुश्‍किल होगा।+ 24  मैं तुमसे फिर कहता हूँ, परमेश्‍वर के राज में एक अमीर आदमी के दाखिल होने से, एक ऊँट का सुई के छेद से निकल जाना ज़्यादा आसान है।”+ 25  यह सुनकर चेलों को बड़ा ताज्जुब हुआ और वे कहने लगे, “तो भला कौन उद्धार पा सकता है?”+ 26  यीशु ने सीधे उनकी तरफ देखकर कहा, “इंसानों के लिए यह नामुमकिन है मगर परमेश्‍वर के लिए सबकुछ मुमकिन है।”+ 27  तब पतरस ने उससे कहा, “देख! हम तो सबकुछ छोड़कर तेरे पीछे चल रहे हैं, हमें क्या मिलेगा?”+ 28  यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुमसे सच कहता हूँ कि जब सबकुछ नया बनाया जाएगा* और इंसान का बेटा अपनी महिमा की राजगद्दी पर बैठेगा, तब तुम भी जो मेरे पीछे हो लिए हो, 12 राजगद्दियों पर बैठकर इसराएल के 12 गोत्रों का न्याय करोगे।+ 29  और जिस किसी ने मेरे नाम की खातिर घरों या भाइयों या बहनों या पिता या माँ या बच्चों को छोड़ दिया है या ज़मीनें छोड़ दी हैं, वह इसका 100 गुना पाएगा और हमेशा की ज़िंदगी का वारिस होगा।+ 30  फिर भी बहुत-से जो पहले हैं वे आखिरी होंगे और जो आखिरी हैं वे पहले होंगे।+

कई फुटनोट

शा., “एक जुए में जोड़ा है।”
शब्दावली देखें।
यूनानी में पोर्निया। शब्दावली देखें।
या “तू परिपूर्ण हो।”
या “नयी सृष्टि की जाएगी।”