मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 2:1-23

  • ज्योतिषी आते हैं (1-12)

  • मिस्र भागना (13-15)

  • हेरोदेस ने छोटे लड़कों को मरवा डाला (16-18)

  • वापस नासरत आना (19-23)

2  यीशु का जन्म यहूदिया के बेतलेहेम+ में हो चुका था। उन दिनों हेरोदेस*+ यहूदिया का राजा था। यीशु के जन्म के कुछ समय बाद, देखो! पूरब से कुछ ज्योतिषी* यरूशलेम आए।  वे पूछने लगे, “यहूदियों का जो राजा+ पैदा हुआ है, वह कहाँ है? जब हम पूरब में थे, तो हमने उसका तारा देखा था। इसलिए हम उसे दंडवत* करने आए हैं।”  यह सुनकर राजा हेरोदेस घबरा गया और पूरे यरूशलेम में खलबली मच गयी।  हेरोदेस ने सभी प्रधान याजकों और शास्त्रियों को इकट्ठा किया और उनसे पूछा कि मसीह* का जन्म कहाँ होना है।  उन्होंने कहा, “यहूदिया के बेतलेहेम में,+ क्योंकि भविष्यवक्‍ता से यह लिखवाया गया है,  ‘हे यहूदा के इलाके के बेतलेहेम, तू यहूदा के राज्यपालों के लिए किसी भी मायने में सबसे छोटा शहर नहीं, क्योंकि तुझी से एक राज करनेवाला निकलेगा जो चरवाहे की तरह मेरी प्रजा इसराएल की अगुवाई करेगा।’”+  तब हेरोदेस ने चुपके से उन ज्योतिषियों को बुलवाया। फिर उनसे अच्छी तरह पूछताछ करके पता लगाया कि उन्हें यह तारा पहली बार कब नज़र आया था।  फिर उसने यह कहकर उन्हें बेतलेहेम भेजा, “जाओ, अच्छी तरह ढूँढ़ो और उस बच्चे का पता लगाओ। जब वह तुम्हें मिल जाए तो आकर मुझे खबर देना ताकि मैं भी जाकर उसे दंडवत करूँ।”  राजा हेरोदेस की यह बात सुनने के बाद ज्योतिषी वहाँ से निकल पड़े। तब देखो! वही तारा जो उन्हें पूरब में दिखायी दिया था,+ उनके आगे-आगे चलने लगा और जाकर उस घर के ऊपर ठहर गया जहाँ वह बच्चा था। 10  जब उन्होंने तारे को ठहरते देखा, तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। 11  वे घर के अंदर गए और बच्चे को उसकी माँ मरियम के साथ देखा। उन्होंने बच्चे के आगे गिरकर उसे दंडवत* किया। फिर अपना-अपना खज़ाना खोलकर उसे तोहफे में सोना, लोबान और गंधरस दिया। 12  मगर परमेश्‍वर ने सपने में उन्हें चेतावनी दी+ कि हेरोदेस के पास फिर न जाएँ। इसलिए वे दूसरे रास्ते से अपने देश लौट गए। 13  उनके चले जाने के बाद, देखो! यहोवा* का स्वर्गदूत यूसुफ को सपने में दिखायी दिया+ और उससे कहने लगा, “उठ, बच्चे और उसकी माँ को लेकर मिस्र भाग जा। जब तक मैं न कहूँ, वहीं रहना क्योंकि हेरोदेस इस बच्चे को मार डालने के लिए इसकी तलाश करनेवाला है।” 14  इसलिए यूसुफ उठा और रात में ही बच्चे और उसकी माँ को लेकर मिस्र चला गया। 15  वह हेरोदेस की मौत तक वहीं रहा। इस तरह, वह बात पूरी हुई जो यहोवा* ने अपने भविष्यवक्‍ता से कहलवायी थी, “मैंने अपने बेटे को मिस्र से बुलाया।”+ 16  जब हेरोदेस ने देखा कि ज्योतिषियों ने उसे धोखा दिया है, तो वह आग-बबूला हो उठा। उसने अपने सेवकों को भेजकर बेतलेहेम और उसके आस-पास के सभी ज़िलों में जितने लड़के दो साल के और उससे छोटे थे, उन सबको मरवा डाला। उसने ज्योतिषियों से समय का जो ठीक-ठीक पता लगाया था,+ उसी के मुताबिक ऐसा किया। 17  इस घटना से वह बात पूरी हुई जो यिर्मयाह भविष्यवक्‍ता से कहलवायी गयी थी, 18  “रामाह में रोने और मातम मनाने की आवाज़ सुनायी दे रही थी। वह राहेल थी+ जो अपने बच्चों के लिए रो रही थी और किसी भी तरह का दिलासा नहीं चाहती थी क्योंकि वे अब नहीं रहे।”+ 19  हेरोदेस के मरने के बाद, देखो! मिस्र में यहोवा* का स्वर्गदूत यूसुफ को सपने में दिखायी दिया+ 20  और उसने कहा, “उठ, बच्चे और उसकी माँ को लेकर इसराएल देश चला जा, क्योंकि जो बच्चे की जान लेना चाहते थे वे मर चुके हैं।” 21  तब यूसुफ उठा और बच्चे और उसकी माँ को लेकर इसराएल देश चला गया। 22  मगर यह सुनकर कि अरखिलाउस अपने पिता हेरोदेस की जगह यहूदिया पर राज कर रहा है, यूसुफ वहाँ जाने से डर गया। यही नहीं, परमेश्‍वर ने भी उसे सपने में चेतावनी दी थी,+ इसलिए वह गलील+ के इलाके में चला गया। 23  वह आकर नासरत+ नाम के शहर में बस गया। इससे ये शब्द पूरे हुए जो भविष्यवक्‍ताओं से कहलवाए गए थे, “वह एक नासरी* कहलाएगा।”+

कई फुटनोट

शब्दावली देखें।
या “मजूसी।”
या “उसके सामने झुककर प्रणाम।”
या “मसीहा; अभिषिक्‍त जन।”
या “झुककर उसे प्रणाम।”
अति. क5 देखें।
अति. क5 देखें।
अति. क5 देखें।
यह शब्द शायद “अंकुर” के लिए इस्तेमाल होनेवाले इब्रानी शब्द से निकला है।