मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 4:1-25

  • शैतान ने यीशु को फुसलाने की कोशिश की (1-11)

  • यीशु ने गलील में प्रचार शुरू किया (12-17)

  • शुरूआती चेले बुलाए गए (18-22)

  • यीशु ने प्रचार किया, सिखाया, बीमारों को ठीक किया (23-25)

4  तब परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति यीशु को वीराने में ले गयी। वहाँ शैतान* ने उसे फुसलाने की कोशिश की।+  यीशु ने 40 दिन और 40 रात उपवास किया था, फिर उसे भूख लगी।  तब फुसलानेवाला+ आया और उसने कहा, “अगर तू परमेश्‍वर का एक बेटा है, तो इन पत्थरों से बोल कि ये रोटियाँ बन जाएँ।”  मगर जवाब में यीशु ने कहा, “यह लिखा है, ‘इंसान को सिर्फ रोटी से नहीं बल्कि यहोवा* के मुँह से निकलनेवाले हर वचन से ज़िंदा रहना है।’”+  इसके बाद, शैतान उसे पवित्र शहर यरूशलेम+ ले गया और उसे मंदिर की छत की मुँडेर* पर लाकर खड़ा किया।+  उसने यीशु से कहा, “अगर तू परमेश्‍वर का एक बेटा है, तो यहाँ से नीचे छलाँग लगा दे क्योंकि लिखा है, ‘वह तेरे बारे में अपने स्वर्गदूतों को हुक्म देगा।’ और ‘वे तुझे हाथों-हाथ उठा लेंगे ताकि तेरा पैर किसी पत्थर से चोट न खाए।’”+  यीशु ने शैतान से कहा, “यह भी लिखा है, ‘तू अपने परमेश्‍वर यहोवा* की परीक्षा न लेना।’”+  फिर शैतान उसे अपने साथ बहुत ही ऊँचे पहाड़ पर ले गया और उसे दुनिया के सारे राज्य और उनकी शानो-शौकत दिखायी।+  फिर उसने यीशु से कहा, “अगर तू बस एक बार मेरे सामने गिरकर मेरी उपासना करे, तो मैं यह सबकुछ तुझे दे दूँगा।” 10  यीशु ने उससे कहा, “दूर हो जा शैतान! क्योंकि लिखा है, ‘तू सिर्फ अपने परमेश्‍वर यहोवा* की उपासना कर+ और उसी की पवित्र सेवा कर।’”+ 11  तब शैतान उसे छोड़कर चला गया।+ और देखो! स्वर्गदूत आकर यीशु की सेवा करने लगे।+ 12  जब यीशु ने सुना कि यूहन्‍ना को गिरफ्तार कर लिया गया है,+ तो वह वहाँ से गलील चला गया।+ 13  फिर नासरत छोड़ने के बाद वह कफरनहूम+ में रहने लगा, जो झील के किनारे जबूलून और नप्ताली के ज़िलों में है। 14  इससे वह बात पूरी हुई जो भविष्यवक्‍ता यशायाह से कहलवायी गयी थी, 15  “हे गैर-यहूदियों के गलील, जबूलून और नप्ताली के देश, तुम जो समुंदर के रास्ते पर और यरदन के उस पार हो, 16  जो लोग अंधकार में बैठे थे, उन्होंने तेज़ रौशनी देखी। जो मौत के साए के देश में बैठे थे, उन पर रौशनी+ चमकी।”+ 17  उस वक्‍त से यीशु ने प्रचार करना और यह कहना शुरू किया, “पश्‍चाताप करो क्योंकि स्वर्ग का राज पास आ गया है।”+ 18  गलील झील के किनारे चलते-चलते उसने शमौन को, जो पतरस कहलाता है+ और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा। वे दोनों मछुवारे थे।+ 19  उसने उनसे कहा, “मेरे पीछे हो लो और जिस तरह तुम मछलियाँ पकड़ते हो, मैं तुम्हें इंसानों को पकड़नेवाले बनाऊँगा।”+ 20  वे फौरन अपने जाल छोड़कर उसके पीछे चल दिए।+ 21  वहाँ से आगे बढ़ने पर यीशु ने याकूब और उसके भाई यूहन्‍ना को देखा। ये दोनों जब्दी के बेटे थे।+ वे अपने पिता के साथ नाव में अपने जाल ठीक कर रहे थे। यीशु ने उन्हें भी बुलाया।+ 22  वे फौरन नाव को और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे चल दिए। 23  फिर वह पूरे गलील का दौरा करता हुआ,+ उनके सभा-घरों+ में सिखाता और राज की खुशखबरी का प्रचार करता रहा। वह लोगों की हर तरह की बीमारी और शरीर की कमज़ोरी दूर करता रहा।+ 24  उसकी खबर सारे सीरिया प्रांत में फैल गयी। लोग उसके पास तरह-तरह की बीमारियों और पीड़ाओं से दुखी लोगों को लाने लगे।+ उनमें ऐसे लोग भी थे जिनमें दुष्ट स्वर्गदूत समाए थे+ और मिरगी+ और लकवे के मारे हुए भी थे। उसने सबको ठीक किया। 25  इसलिए गलील, दिकापुलिस,* यरूशलेम और यहूदिया से और यरदन के पार से भीड़-की-भीड़ उसके पीछे हो ली।

कई फुटनोट

शा., “इबलीस।” शब्दावली देखें।
अति. क5 देखें।
या “सबसे ऊँची जगह।”
अति. क5 देखें।
अति. क5 देखें।
या “दस शहरों का इलाका।”