मरकुस के मुताबिक खुशखबरी 13:1-37

  • दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त (1-37)

    • युद्ध, भूकंप, अकाल (8)

    • खुशखबरी का प्रचार किया जाएगा (10)

    • महा-संकट (19)

    • इंसान के बेटे का आना (26)

    • अंजीर के पेड़ की मिसाल (28-31)

    • जागते रहो (32-37)

13  जब वह मंदिर से बाहर निकल रहा था, तो उसके चेलों में से एक ने उससे कहा, “गुरु, देख! ये कितने बढ़िया पत्थर हैं, कितनी शानदार इमारतें हैं!”+  लेकिन यीशु ने उससे कहा, “ये जो आलीशान इमारतें तू देख रहा है, इनका एक भी पत्थर दूसरे पत्थर के ऊपर हरगिज़ न बचेगा जो ढाया न जाए।”+  जब वह जैतून पहाड़ पर बैठा था जहाँ से मंदिर नज़र आता था तब पतरस, याकूब, यूहन्‍ना और अन्द्रियास ने अकेले में उससे पूछा,  “हमें बता, ये सब बातें कब होंगी और जब इनका आखिरी वक्‍त पास आ रहा होगा तो उसकी क्या निशानी होगी?”+  तब यीशु ने उनसे कहा, “खबरदार रहो कि कोई तुम्हें गुमराह न करे।+  बहुत-से लोग आएँगे और मेरा नाम लेकर दावा करेंगे, ‘मैं वही हूँ’ और बहुतों को गुमराह करेंगे।  जब तुम युद्धों का शोरगुल और युद्धों की खबरें सुनो, तो घबरा न जाना। इन सबका होना ज़रूरी है मगर तभी अंत न होगा।+  क्योंकि एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर और एक राज्य दूसरे राज्य पर हमला करेगा।+ एक-के-बाद-एक कई जगह भूकंप होंगे और अकाल भी पड़ेंगे।+ ये बातें प्रसव-पीड़ा की तरह मुसीबतों की सिर्फ शुरूआत होंगी।+  मगर तुम चौकन्‍ने रहना। लोग तुम्हें निचली अदालतों के हवाले कर देंगे+ और तुम सभा-घरों में पीटे जाओगे।+ तुम मेरी वजह से राज्यपालों और राजाओं के सामने कठघरे में पेश किए जाओगे ताकि उन्हें गवाही मिले।+ 10  और यह ज़रूरी है कि पहले सब राष्ट्रों में खुशखबरी का प्रचार किया जाए।+ 11  मगर जब वे तुम्हें अदालत के हवाले करने ले जा रहे होंगे, तो पहले से चिंता मत करना कि हम क्या कहेंगे। पर जो कुछ तुम्हें उस घड़ी बताया जाए, वही कहना क्योंकि बोलनेवाले तुम नहीं बल्कि पवित्र शक्‍ति होगी।+ 12  यही नहीं, भाई, भाई को मरवाने के लिए सौंप देगा और पिता अपने बच्चे को। बच्चे अपने माँ-बाप के खिलाफ खड़े होंगे और उन्हें मरवा डालेंगे।+ 13  मेरे नाम की वजह से सब लोग तुमसे नफरत करेंगे।+ मगर जो अंत तक धीरज धरेगा,*+ वही उद्धार पाएगा।+ 14  लेकिन जब तुम्हें वह उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़ वहाँ खड़ी नज़र आए+ जहाँ उसे नहीं खड़ा होना चाहिए (पढ़नेवाला समझ इस्तेमाल करे), तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों की तरफ भागना शुरू कर दें।+ 15  जो आदमी घर की छत पर हो वह नीचे न उतरे, न ही कुछ लेने के लिए अपने घर के अंदर जाए। 16  जो आदमी खेत में हो वह अपना चोगा लेने या उन चीज़ों को लेने वापस न लौटे जो पीछे छूट गयी हैं। 17  जो गर्भवती होंगी और जो बच्चे को दूध पिलाती होंगी, उनके लिए वे दिन क्या ही भयानक होंगे!+ 18  प्रार्थना करते रहो कि ऐसा सर्दियों के मौसम में न हो। 19  क्योंकि उन दिनों ऐसा संकट आएगा+ जैसा सृष्टि की शुरूआत से, जो परमेश्‍वर ने रची है, न अब तक आया है और न फिर कभी आएगा।+ 20  दरअसल अगर यहोवा* वे दिन न घटाए, तो कोई भी नहीं बच पाएगा। मगर चुने हुओं की खातिर जिन्हें परमेश्‍वर ने चुना है, उसने वे दिन घटाए हैं।+ 21  उन दिनों अगर कोई तुमसे कहे, ‘देखो! मसीह यहाँ है,’ ‘देखो! वह वहाँ है,’ तो यकीन न करना।+ 22  क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यवक्‍ता उठ खड़े होंगे+ और चमत्कार और अजूबे दिखाएँगे ताकि हो सके तो चुने हुओं को भी बहका लें। 23  इसलिए तुम चौकन्‍ने रहना।+ मैंने तुम्हें सब बातें पहले से बता दी हैं। 24  मगर उन दिनों, उस संकट के बाद सूरज अँधियारा हो जाएगा, चाँद अपनी रौशनी नहीं देगा,+ 25  आकाश से तारे गिर पड़ेंगे और आकाश की शक्‍तियाँ हिलायी जाएँगी। 26  फिर वे इंसान के बेटे+ को पूरी शक्‍ति और महिमा के साथ बादलों में आता देखेंगे।+ 27  फिर वह स्वर्गदूतों को भेजेगा और पृथ्वी के छोर से लेकर आकाश के छोर तक, चारों दिशाओं से अपने चुने हुओं को इकट्ठा करेगा।+ 28  अब अंजीर के पेड़ की मिसाल से यह बात सीखो: जैसे ही उसकी नयी डाली नरम हो जाती है और उस पर पत्तियाँ आने लगती हैं, तुम जान लेते हो कि गरमियों का मौसम पास है।+ 29  उसी तरह, जब तुम ये बातें होती देखो, तो जान लेना कि इंसान का बेटा पास है बल्कि दरवाज़े पर ही है।+ 30  मैं तुमसे सच कहता हूँ, जब तक ये सारी बातें पूरी न हो जाएँ, तब तक यह पीढ़ी हरगिज़ नहीं मिटेगी।+ 31  आकाश और पृथ्वी मिट जाएँगे,+ मगर मेरे शब्द कभी नहीं मिटेंगे।+ 32  उस दिन या उस घड़ी के बारे में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत, न बेटा बल्कि पिता जानता है।+ 33  जागते रहो, आँखों में नींद न आने दो+ क्योंकि तुम नहीं जानते कि तय किया हुआ वक्‍त कब आएगा।+ 34  यह ऐसा है मानो एक आदमी परदेस जा रहा हो। घर छोड़ने से पहले वह अपने दासों को अधिकार देता है+ और हरेक को उसका काम सौंपता है और दरबान को जागते रहने का हुक्म देता है।+ 35  इसलिए जागते रहो क्योंकि तुम नहीं जानते कि घर का मालिक कब आ रहा है,+ दिन ढलने पर, आधी रात को, मुर्गे के बाँग देने के वक्‍त या सुबह।+ 36  कहीं ऐसा न हो कि जब वह अचानक आए, तो तुम्हें सोता हुआ पाए।+ 37  मगर जो मैं तुमसे कहता हूँ वही सब से कहता हूँ, जागते रहो।”+

कई फुटनोट

या “धरता है।”
अति. क5 देखें।