यशायाह 1:1-31
1 यहूदा और यरूशलेम के बारे में यशायाह* का दर्शन।+ आमोज के बेटे यशायाह ने यह दर्शन यहूदा के राजा उज्जियाह,+ योताम,+ आहाज+ और हिजकियाह+ के दिनों में देखा था।+
2 हे आकाश सुन, हे पृथ्वी कान लगा!+
यहोवा कहता है,
“जिन बेटों को मैंने पाल-पोसकर बड़ा किया,+वे मेरे ही खिलाफ हो गए।+
3 बैल अपने मालिक को पहचानता हैऔर गधा अपने मालिक की चरनी को,लेकिन इसराएल मुझे* नहीं पहचानता,+मेरे अपने लोग समझ से काम नहीं लेते।”
4 हे पापी राष्ट्र, धिक्कार है तुझ पर!+
हे बुरे काम से लदे हुए लोगो,हे भ्रष्ट बच्चो और दुष्टों की टोली, धिक्कार है तुम पर!
तुमने यहोवा को छोड़ दिया है,+इसराएल के पवित्र परमेश्वर का अपमान किया है,उससे मुँह फेर लिया है।
5 तुम बगावत करने से बाज़ नहीं आते,अब मैं तुम्हें और कहाँ मारूँ?+
तुम्हारा पूरा सिर घाव से भरा हैऔर दिल पूरी तरह बीमार है।+
6 सिर से पाँव तक ऐसी एक भी जगह नहीं जहाँ तुम्हें चोट न लगी हो।
जगह-जगह ज़ख्म, चोट और सड़े हुए घाव हैं,न तो उनका मवाद निकाला गया,* न उन पर पट्टी बाँधी गयीऔर न ही तेल लगाकर उन्हें नरम किया गया।+
7 तुम्हारा देश उजाड़ दिया गया है,तुम्हारे शहर जला दिए गए हैं,परदेसी तुम्हारे सामने तुम्हारी फसल खा रहे हैं।+
देश वीरान हो गया है जैसे दुश्मनों ने इसे तबाह कर दिया हो।+
8 सिय्योन शहर को ऐसा छोड़ दिया गया है मानो वह अंगूरों के बाग का छप्पर,खीरे के खेत में झोंपड़ीऔर सेना से घिरा हुआ शहर हो।+
9 अगर सेनाओं के परमेश्वर यहोवा ने हममें से कुछ को रहने न दिया होता,तो हम सदोम की तरह बन गए होते,हमारा हाल अमोरा जैसा हो गया होता।+
10 हे सदोम के तानाशाहो,* यहोवा का संदेश सुनो!+
हे अमोरा के लोगो,+ हमारे परमेश्वर के कानून* पर ध्यान दो!
11 यहोवा कहता है, “तुम्हारे ढेरों बलिदान मेरे किस काम के?+
मेढ़ों की होम-बलि+ और मोटे-ताज़े जानवरों की चरबी+ से मैं उकता चुका हूँ,अब मुझे तुम्हारे बैलों और भेड़-बकरियों+ के खून+ से कोई खुशी नहीं मिलती।
12 तुमसे किसने कहा कि मेरे सामने आओ,+मेरे आँगनों को यूँ रौंदो?+
13 तुम अनाज का अपना व्यर्थ चढ़ावा लाना बंद करो!
तुम्हारा धूप जलाना मुझे घिनौना लगता है।+
तुम नया चाँद+ और सब्त मनाते हो+ और पवित्र सभाएँ रखते हो।+
लेकिन मुझसे यह बरदाश्त नहीं होता कि खास सभाएँ रखने के साथ-साथ तुम जादू-टोना करो।+
14 मुझे तुम्हारे नए चाँद के दिनों और त्योहारों से नफरत है,
ये मुझे बोझ लगने लगे हैं, इन्हें ढोते-ढोते मैं थक गया हूँ।
15 जब तुम मेरे आगे हाथ फैलाओगे,तो मैं अपनी आँखें फेर लूँगा।+
तुम चाहे जितनी भी प्रार्थना कर लो,+मैं तुम्हारी एक न सुनूँगा,+क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से रंगे हैं।+
16 खुद को धोओ और शुद्ध करो,+मेरे सामने से अपने दुष्ट काम दूर करो,बुराई करना बंद करो।+
17 भलाई करना सीखो, न्याय करो,+ज़ुल्म करनेवालों को सुधारो,अनाथों* के हक के लिए लड़ोऔर विधवाओं को इंसाफ दिलाओ।”+
18 यहोवा कहता है, “आओ हम आपस में मामला सुलझा लें,+चाहे तुम्हारे पाप सुर्ख लाल रंग के हों,तो भी वे बर्फ के समान सफेद हो जाएँगे।+
चाहे वे गहरे लाल रंग के हों,तो भी वे ऊन की तरह उजले बन जाएँगे।
19 अगर तुम मेरी बात मानने को राज़ी हो,तो तुम देश की बढ़िया-बढ़िया चीज़ें खाओगे।+
20 लेकिन अगर तुम नहीं मानोगे और मेरे खिलाफ हो जाओगे,तो तुम तलवार की भेंट चढ़ जाओगे।+यह बात यहोवा ने कही है।”
21 देखो, यह विश्वासयोग्य नगरी+ कैसी वेश्या बन गयी है!+
जिस नगरी में न्याय का बोलबाला था,+नेकी का बसेरा था,+अब वहाँ हत्यारे रहते हैं।+
22 तुम्हारी चाँदी, धातु का मैल बन गयी है,+तुम्हारी शराब* में पानी मिल गया है।
23 तुम्हारे हाकिम अड़ियल हैं और चोरों से मिले हुए हैं,+
सब-के-सब घूस खाते हैं, तोहफे के पीछे भागते हैं,+
अनाथों को न्याय नहीं देतेऔर विधवाओं के मुकदमे की सुनवाई नहीं करते।+
24 इसलिए सच्चा प्रभु, सेनाओं का परमेश्वर यहोवा,इसराएल का शक्तिशाली परमेश्वर ऐलान करता है,
“अब मैं अपने दुश्मनों को खदेड़ूँगा,अपने बैरियों से बदला लूँगा।+
25 मैं तुम्हारे खिलाफ अपना हाथ उठाऊँगाऔर जैसे चाँदी को पिघलाकर उसका मैल सज्जी* से दूर किया जाता है,वैसे ही मैं तुम्हारी सारी अशुद्धता दूर करूँगा।+
26 फिर मैं पहले की तरह,तुम पर न्यायी और सलाहकार ठहराऊँगा।+
इसके बाद तुम नेक नगरी और विश्वासयोग्य नगरी कहलाओगे।+
27 सिय्योन न्याय के दम पर छुड़ायी जाएगी+और उसके लौटनेवाले लोग नेकी से छुड़ाए जाएँगे।
28 मगर बागियों और पापियों का एक-साथ नाश हो जाएगा+और यहोवा को छोड़ देनेवालों का अंत हो जाएगा।+
29 जो ऊँचे-ऊँचे पेड़ तुम्हें प्यारे थे, उनकी वजह से तुम्हें शर्मिंदा होना पड़ेगा।+अपने चुने हुए बगीचों* की वजह से तुम्हें बेइज़्ज़त होना पड़ेगा।+
30 तुम उस बड़े पेड़ जैसे बन जाओगे जिसके पत्ते मुरझा रहे हैं,+उस बगीचे के समान हो जाओगे जिसमें पानी नहीं।
31 ताकतवर आदमी अलसी के धागे जैसा बन जाएगाऔर उसके काम चिंगारी जैसे हो जाएँगे,दोनों एक साथ जलेंगे,उन्हें बुझानेवाला कोई न होगा।”
कई फुटनोट
^ मतलब “यहोवा उद्धार है।”
^ या “अपने मालिक को।”
^ शा., “घाव दबाए गए।”
^ या “के शासको।”
^ या “की शिक्षा।”
^ या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”
^ या “गेहूँ से बनी शराब।”
^ एक तरह का साबुन।
^ ज़ाहिर है कि ये पेड़ और बगीचे मूर्तिपूजा से जुड़े हैं।