यशायाह 11:1-16

  • यिशै की टहनी नेकी से राज करेगी (1-10)

    • भेड़िया, मेम्ने के साथ बैठेगा (6)

    • पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से भर जाएगी (9)

  • बचे हुए लोगों की बहाली (11-16)

11  यिशै के ठूँठ से एक टहनी उगेगी,+उसकी जड़ों से एक अंकुर फूटेगा+ जो फलेगा-फूलेगा।   उस पर यहोवा की पवित्र शक्‍ति छायी रहेगी,+इसलिए वह बुद्धिमान होगा,+ उसमें बड़ी समझ होगी,वह बढ़िया सलाह देगा, शक्‍तिशाली और बहुत ज्ञानी होगा+और वह यहोवा का डर मानेगा।   यहोवा का डर मानने में उसे खुशी मिलेगी,+ वह मुँह देखा न्याय नहीं करेगाऔर न सुनी-सुनायी बातों के आधार पर डाँट लगाएगा।+   वह सच्चाई* से गरीबों का न्याय करेगा,सीधाई से डाँट लगाएगा कि पृथ्वी के दीन लोगों का भला हो। अपने मुँह की छड़ी से वह धरती को मारेगा,+अपनी फूँक से* दुष्टों को खत्म कर देगा।+   वह कमर पर नेकी का कमरबंद कसेगाऔर सच्चाई का पट्टा बाँधेगा।+   भेड़िया, मेम्ने के साथ बैठेगा,+चीता, बकरी के बच्चे के साथ लेटेगा,बछड़ा, शेर और मोटा-ताज़ा बैल* मिल-जुलकर रहेंगे*+और एक छोटा लड़का उनकी अगुवाई करेगा।   गाय और रीछनी एक-साथ चरेंगीऔर उनके बच्चे साथ-साथ बैठेंगे, शेर, बैल के समान घास-फूस खाएगा।+   दूध पीता बच्चा नाग के बिल के पास खेलेगाऔर दूध छुड़ाया हुआ बच्चा ज़हरीले साँप के बिल में हाथ डालेगा।   मेरे सारे पवित्र पर्वत परवे न किसी को चोट पहुँचाएँगे,+ न तबाही मचाएँगे,+क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी,जैसे समुंदर पानी से भरा रहता है।+ 10  उस दिन यिशै की जड़,+ झंडे की तरह खड़ी होगीऔर देश-देश के लोगों को बुलाएगी,+सब राष्ट्र सलाह लेने उसके पास आएँगे*+और उसका निवास महिमा से भर जाएगा। 11  उस दिन यहोवा एक बार फिर अपना हाथ बढ़ाएगा और अपने बचे हुए लोगों को वापस ले आएगा। वह अश्‍शूर,+ मिस्र,+ पत्रोस,+ कूश,*+ एलाम,+ शिनार,* हमात और समुंदर के द्वीपों से अपने लोगों को इकट्ठा करेगा।+ 12  वह राष्ट्रों के लिए एक झंडा खड़ा करेगा और इसराएल के बिखरे हुए लोगों को इकट्ठा करेगा।+ और धरती के चारों कोनों में तितर-बितर हुए यहूदा के लोगों को वापस ले आएगा।+ 13  तब एप्रैम की जलन खत्म हो जाएगी+और यहूदा को सतानेवाले मिट जाएँगे। एप्रैम फिर यहूदा से जलन नहीं रखेगा,न यहूदा एप्रैम से दुश्‍मनी निकालेगा।+ 14  वे मिलकर पश्‍चिम में पलिश्‍तियों की ढलान* पर झपट्टा मारेंगेऔर पूरब के लोगों को लूट लेंगे। वे एदोम और मोआब को दबोचने के लिए अपना हाथ बढ़ाएँगे+और अम्मोन को अपने अधीन कर लेंगे।+ 15  यहोवा मिस्र में समुंदर की खाड़ी को दो हिस्सों में बाँट देगा*+और महानदी*+ पर अपना हाथ उठाएगा। अपनी साँसों की गरमी* से वह नदी की सात धाराओं को मारेगा*और लोग जूतियाँ पहने उसे पार कर लेंगे। 16  वह अपने बचे हुओं के लिए अश्‍शूर से ऐसा राजमार्ग निकालेगा,+जैसा उसने तब निकाला था जब इसराएल मिस्र से लौटा था।

कई फुटनोट

या “नेकी।”
या “हुक्म देकर।”
शा., “पाला-पोसा जानवर।”
या शायद, “बछड़ा और शेर साथ-साथ चरेंगे।”
या “राष्ट्र उसे ढूँढ़ेंगे।”
या “इथियोपिया।”
यानी बैबिलोनिया।
शा., “के कंधे।”
या शायद, “को सुखा देगा।”
यानी फरात नदी।
या “पवित्र शक्‍ति।”
या शायद, “को सात धाराओं में बाँट देगा।”