यशायाह 11:1-16
11 यिशै के ठूँठ से एक टहनी उगेगी,+उसकी जड़ों से एक अंकुर फूटेगा+ जो फलेगा-फूलेगा।
2 उस पर यहोवा की पवित्र शक्ति छायी रहेगी,+इसलिए वह बुद्धिमान होगा,+ उसमें बड़ी समझ होगी,वह बढ़िया सलाह देगा, शक्तिशाली और बहुत ज्ञानी होगा+और वह यहोवा का डर मानेगा।
3 यहोवा का डर मानने में उसे खुशी मिलेगी,+
वह मुँह देखा न्याय नहीं करेगाऔर न सुनी-सुनायी बातों के आधार पर डाँट लगाएगा।+
4 वह सच्चाई* से गरीबों का न्याय करेगा,सीधाई से डाँट लगाएगा कि पृथ्वी के दीन लोगों का भला हो।
अपने मुँह की छड़ी से वह धरती को मारेगा,+अपनी फूँक से* दुष्टों को खत्म कर देगा।+
5 वह कमर पर नेकी का कमरबंद कसेगाऔर सच्चाई का पट्टा बाँधेगा।+
6 भेड़िया, मेम्ने के साथ बैठेगा,+चीता, बकरी के बच्चे के साथ लेटेगा,बछड़ा, शेर और मोटा-ताज़ा बैल* मिल-जुलकर रहेंगे*+और एक छोटा लड़का उनकी अगुवाई करेगा।
7 गाय और रीछनी एक-साथ चरेंगीऔर उनके बच्चे साथ-साथ बैठेंगे,
शेर, बैल के समान घास-फूस खाएगा।+
8 दूध पीता बच्चा नाग के बिल के पास खेलेगाऔर दूध छुड़ाया हुआ बच्चा ज़हरीले साँप के बिल में हाथ डालेगा।
9 मेरे सारे पवित्र पर्वत परवे न किसी को चोट पहुँचाएँगे,+ न तबाही मचाएँगे,+क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी,जैसे समुंदर पानी से भरा रहता है।+
10 उस दिन यिशै की जड़,+ झंडे की तरह खड़ी होगीऔर देश-देश के लोगों को बुलाएगी,+सब राष्ट्र सलाह लेने उसके पास आएँगे*+और उसका निवास महिमा से भर जाएगा।
11 उस दिन यहोवा एक बार फिर अपना हाथ बढ़ाएगा और अपने बचे हुए लोगों को वापस ले आएगा। वह अश्शूर,+ मिस्र,+ पत्रोस,+ कूश,*+ एलाम,+ शिनार,* हमात और समुंदर के द्वीपों से अपने लोगों को इकट्ठा करेगा।+
12 वह राष्ट्रों के लिए एक झंडा खड़ा करेगा और इसराएल के बिखरे हुए लोगों को इकट्ठा करेगा।+ और धरती के चारों कोनों में तितर-बितर हुए यहूदा के लोगों को वापस ले आएगा।+
13 तब एप्रैम की जलन खत्म हो जाएगी+और यहूदा को सतानेवाले मिट जाएँगे।
एप्रैम फिर यहूदा से जलन नहीं रखेगा,न यहूदा एप्रैम से दुश्मनी निकालेगा।+
14 वे मिलकर पश्चिम में पलिश्तियों की ढलान* पर झपट्टा मारेंगेऔर पूरब के लोगों को लूट लेंगे।
वे एदोम और मोआब को दबोचने के लिए अपना हाथ बढ़ाएँगे+और अम्मोन को अपने अधीन कर लेंगे।+
15 यहोवा मिस्र में समुंदर की खाड़ी को दो हिस्सों में बाँट देगा*+और महानदी*+ पर अपना हाथ उठाएगा।
अपनी साँसों की गरमी* से वह नदी की सात धाराओं को मारेगा*और लोग जूतियाँ पहने उसे पार कर लेंगे।
16 वह अपने बचे हुओं के लिए अश्शूर से ऐसा राजमार्ग निकालेगा,+जैसा उसने तब निकाला था जब इसराएल मिस्र से लौटा था।
कई फुटनोट
^ या “नेकी।”
^ या “हुक्म देकर।”
^ शा., “पाला-पोसा जानवर।”
^ या शायद, “बछड़ा और शेर साथ-साथ चरेंगे।”
^ या “राष्ट्र उसे ढूँढ़ेंगे।”
^ या “इथियोपिया।”
^ यानी बैबिलोनिया।
^ शा., “के कंधे।”
^ या शायद, “को सुखा देगा।”
^ यानी फरात नदी।
^ या “पवित्र शक्ति।”
^ या शायद, “को सात धाराओं में बाँट देगा।”