यशायाह 14:1-32

  • इसराएल अपने देश में बसेगा (1, 2)

  • बैबिलोन के राजा पर कसा ताना (3-23)

    • चमकता तारा आसमान से गिरेगा (12)

  • यहोवा का हाथ अश्‍शूर को कुचल देगा (24-27)

  • पलिश्‍त के खिलाफ संदेश (28-32)

14  यहोवा याकूब पर दया करेगा+ और एक बार फिर इसराएल को चुन लेगा।+ परमेश्‍वर उन्हें अपने देश में बसाएगा।*+ परदेसी भी उनके साथ हो लेंगे और याकूब के घराने से जुड़ जाएँगे।+  दूसरे देश के लोग उन्हें वापस उनके वतन ले आएँगे। और इसराएल का घराना यहोवा के देश में उन लोगों को दास-दासी बना लेगा।+ वे अपने बंदी बनानेवालों को बंदी बना लेंगे और जिन्होंने उनसे जबरन काम लिया था, उन्हें वे अपने अधीन कर लेंगे।  जिस दिन यहोवा तेरा दुख-दर्द और तेरी बेचैनी दूर करेगा और कड़ी गुलामी से तुझे राहत दिलाएगा, उस दिन तू+  बैबिलोन के राजा पर यह ताना कसेगा,“यह क्या, दूसरों से गुलामी करानेवाला खुद खत्म हो गया! उसके ज़ुल्मों का अंत हो गया!+   यहोवा ने उस दुष्ट की छड़ी तोड़ डाली,उन शासकों की लाठी के टुकड़े-टुकड़े कर दिए,+   जो गुस्से में देश-देश के लोगों पर अंधाधुंध वार कर रहे थे,+राष्ट्रों को जीतने के लिए एक-के-बाद-एक ज़ुल्म कर रहे थे।+   अब पूरी पृथ्वी को चैन मिला है, हर तरफ शांति है, लोग खुशी के मारे चिल्ला रहे हैं।+   सनोवर के पेड़ और लबानोन के देवदार भी,तेरा हाल देखकर फूले नहीं समा रहे। वे कहते हैं, ‘अच्छा हुआ तुझे गिरा दिया गया,अब हमें काटने कोई लकड़हारा नहीं आता।’   नीचे कब्र में हलचल मची है,सब तुझे देखना चाहते हैं। कब्र मुरदों को नींद से उठाती है,धरती के सब ज़ालिम अगुवों* को जगाती है,सब राष्ट्र के राजाओं को अपनी-अपनी राजगद्दी से खड़ा करती है। 10  वे सब-के-सब तुझसे कहते हैं,‘तेरा हाल भी हमारे जैसा हो गया! भला तू कब से हमारी तरह कमज़ोर बन गया? 11  देख! कब्र* में तेरा घमंड चूर-चूर हो गया,तेरे तारोंवाले बाजे खामोश हो गए।+ अब तो तू कीड़ों से सजे बिस्तर पर सोएगा,केंचुओं की चादर ओढ़ेगा।’ 12  हे चमकते तारे, हे सुबह के बेटे,तू आसमान से कैसे गिर पड़ा? हे राष्ट्रों को धूल चटानेवाले,+तू कैसे कटकर गिर गया? 13  तूने मन-ही-मन कहा था, ‘मैं आकाश पर चढ़ूँगा,+अपनी राजगद्दी परमेश्‍वर के तारों से भी ऊँची करूँगा।+ मैं उत्तर के दूर के इलाके में,सभा के पर्वत पर बैठूँगा।+ 14  मैं बादलों से भी ऊपर चढ़ जाऊँगा,खुद को परम-प्रधान परमेश्‍वर जैसा बनाऊँगा।’ 15  लेकिन तुझे नीचा किया गया,तू कब्र* में, हाँ, सबसे गहरे गड्‌ढे में जा गिरा। 16  देखनेवाले तुझे घूर-घूरकर देखते हैं,वे पास आकर तुझे देखते हैं और कहते हैं,‘क्या यह वही आदमी है जिसके सामने पूरी धरती काँपती थी,जिसके खौफ से राज्य थरथरा उठते थे?+ 17  क्या यह वही है जिसने धरती को वीरान कर दिया,उसके शहरों को ढा दिया+और अपने कैदियों को रिहा नहीं किया?’+ 18  दूसरे राष्ट्र के राजाओं को,हाँ, उन सभी को पूरी इज़्ज़त के साथअपनी-अपनी कब्र* में दफनाया गया। 19  लेकिन तुझे नहीं दफनाया गया,तुझे एक सड़ी डाल की तरह फेंक दिया गया,तेरी लाश उन लोगों की लाशों के ढेर में दबी है, जो तलवार से मारे गएऔर जिन्हें गड्‌ढे में पत्थरों के बीच फेंक दिया गया।तू पैरों तले रौंदी गयी लाश जैसा हो गया है। 20  तुझे राजाओं के साथ कब्र में नहीं दफनाया जाएगा,क्योंकि तूने खुद अपना देश उजाड़ा हैऔर अपने लोगों की जान ली है। दुष्ट की औलादों का नाम फिर कभी नहीं लिया जाएगा। 21  उनके बाप-दादा पाप के दोषी थे,इसलिए जाओ, बेटों को मार डालने के लिए एक जगह तैयार करो,कहीं वे बगावत करके पृथ्वी पर कब्ज़ा न कर लेंऔर जगह-जगह अपने शहर न बसा लें।” 22  सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा ऐलान करता है, “मैं बैबिलोन के खिलाफ उठूँगा।”+ यहोवा कहता है, “मैं बैबिलोन का नाम खाक में मिला दूँगा। उसके बचे हुए लोगों, उसकी संतान और आनेवाली पीढ़ियों का नामो-निशान मिटा दूँगा।”+ 23  सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा ऐलान करता है, “मैं उसे साहियों का अड्डा बना दूँगा। उसके पूरे इलाके को दलदल में बदल दूँगा। मैं विनाश की झाड़ू से उसे झाड़ दूँगा।”+ 24  सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने शपथ खायी है, “जैसा मैंने सोचा है वैसा ही होगा,जो मैंने ठाना है वह पूरा होकर ही रहेगा। 25  मैं अपने देश में अश्‍शूर को कुचल दूँगाऔर अपने पहाड़ों पर उसे रौंद डालूँगा।+ उसका जुआ अपने लोगों पर से हटा दूँगाऔर उसका बोझ उनके कंधों से उतार फेंकूँगा।”+ 26  पूरी पृथ्वी के खिलाफ मैंने यही ठाना हैऔर सब राष्ट्रों के खिलाफ अपना हाथ बढ़ाया है। 27  सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा जो ठान लेता है,उसे कौन नाकाम कर सकता है?+ जब वह अपना हाथ बढ़ाता है,तो कौन उसे रोक सकता है?+ 28  जिस साल राजा आहाज की मौत हुई,+ उस साल परमेश्‍वर ने यह संदेश दिया: 29  “हे पलिश्‍त, खुश मत हो कि तुझे मारनेवाले की लाठी टूट गयी। क्योंकि साँप की जड़+ से एक ज़हरीला साँप निकलेगा+और उसका वंश ऐसा विषैला साँप होगा जिसमें बिजली की सी फुर्ती होगी। 30  दीन-दुखियों के पहलौठे जी-भरकर खाएँगेऔर गरीब बेखौफ जीएँगे,मगर तेरे लोगों* को मैं अकाल से मार डालूँगाऔर तेरे बचे हुओं की जान ले लूँगा।+ 31  हे शहर, मातम मना! हे शहर के फाटको, ज़ोर-ज़ोर से रोओ! हे पलिश्‍त के लोगो, तुम हिम्मत हार बैठोगे,क्योंकि देखो, उत्तर से एक धुआँ तुम्हारी तरफ बढ़ रहा है,दुश्‍मन सेना एक-साथ आ रही है, एक भी सैनिक पीछे नहीं है।” 32  वे राष्ट्र के दूतों को क्या जवाब देंगे? यही कि यहोवा ने सिय्योन की नींव डाली है+और उसके दीन जन सिय्योन में पनाह लेंगे।

कई फुटनोट

या “चैन देगा।”
शा., “सब बकरों।”
या “शीओल।” शब्दावली देखें।
या “शीओल।” शब्दावली देखें।
शा., “घर।”
शा., “तेरी जड़।”