यशायाह 18:1-7
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इथियोपिया के खिलाफ संदेश (1-7)
18 कीड़ों से भिनभिनाते देश पर धिक्कार है!इथियोपिया की नदियों के पास बसे उस देश पर धिक्कार है!+
2 वह अपने दूतों को समुंदर के रास्ते,सरकंडे की नाव में पानी के उस पार भेजता है और उनसे कहता है,
“हे फुर्तीले दूतो, उस राष्ट्र के पास जाओ,जिसके लोग ऊँचे कदवाले और चिकनी चमड़ीवाले हैं,जिनसे हर कोई डरता है।+
उस राष्ट्र के पास जाओ जो बहुत शक्तिशाली हैऔर जीत-पर-जीत हासिल कर रहा है,जिसके देश को नदियाँ बहा ले गयी हैं।”
3 हे देश-देश के लोगो, हे पृथ्वी के निवासियो,तुम जो देखोगे वह पहाड़ों पर लहराते झंडे जैसा होगा,तुम जो सुनोगे वह नरसिंगे की आवाज़ जैसा होगा,
4 क्योंकि यहोवा ने मुझसे कहा है,
“मैं अपने निवास की जगह को* चुपचाप देखता रहूँगा,मानो दिन में चिलचिलाती धूप पड़ रही हो,अंगूरों की कटाई के गरम मौसम में ओस पड़ रही हो।
5 फूल पूरी तरह खिल जाएँगे और अंगूर पकने लगेंगे,मगर इससे पहले कि कटनी का समय आए,उसकी डालियाँ दराँती से काट दी जाएँगी,उसकी बेलें काटकर फेंक दी जाएँगी।
6 वे पहाड़ के शिकारी पक्षियों के लिए,धरती के जंगली जानवरों के लिए छोड़ दी जाएँगी।
पूरी गरमी शिकारी पक्षी उन्हें खाते रहेंगे,कटनी के पूरे मौसम में जंगली जानवर उनसे अपना पेट भरेंगे।
7 उस वक्त सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के लिए एक तोहफा लाया जाएगा,उस राष्ट्र से, जिसके लोग ऊँचे कदवाले और चिकनी चमड़ीवाले हैं,जिनसे हर कोई डरता है,वही राष्ट्र जो बहुत शक्तिशाली हैऔर जीत-पर-जीत हासिल कर रहा है,जिसके देश को नदियाँ बहा ले गयी हैं।
वह तोहफा सिय्योन पहाड़ पर लाया जाएगा,हाँ, उस जगह, जो सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के नाम से जानी जाती है।”+
कई फुटनोट
^ या शायद, “से।”