यशायाह 22:1-25

  • दर्शन की घाटी के लिए संदेश (1-14)

  • प्रबंधक शेबना की जगह एल्याकीम चुना गया (15-25)

    • लाक्षणिक खूँटी (23-25)

22  दर्शन की घाटी* के लिए संदेश:+ तुझे क्या हुआ कि तेरे सब लोग छत पर चढ़े हुए हैं?   तेरे यहाँ खलबली मची हुई है,हाँ, पूरी नगरी में शोर हो रहा है, खुशियाँ मनायी जा रही हैं। तेरे जितने लोग मारे गए,वे न तो तलवार से मारे गए, न ही युद्ध में।+   तेरे सभी तानाशाह भाग खड़े हुए,+बिना तीर-कमान चलाए उन्हें बंदी बना लिया गया। और जो लोग भागकर दूर निकल गए थे,उन्हें भी बंदी बना लिया गया।+   इसलिए मैंने कहा, “अपनी आँखें मुझसे फेर लोकि मैं फूट-फूटकर रोऊँ।+ मेरे लोगों के विनाश पर मुझे दिलासा देने की कोशिश मत करो।+   सारे जहान के मालिक और सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा की तरफ से,यह दिन दर्शन की घाटी के लिए,गड़बड़ी, हार और आतंक का दिन है।+ शहरपनाह तोड़ी जा रही है+और उनकी पुकार पहाड़ तक सुनायी दे रही है।   एलाम+ ने तरकश हाथ में ले लिया है,वह रथों और घुड़सवारों* के साथ आ रहा है।कीर+ ने अपनी ढाल तैयार कर ली* है।   अब तेरी अच्छी-अच्छी घाटियाँ युद्ध-रथों से भर जाएँगी,घुड़सवार* फाटक के सामने अपनी-अपनी जगह तैनात हो जाएँगे।   यहूदा का परदा* हटा दिया जाएगा। उस दिन तू वन भवन+ के हथियार-घर पर आस लगाएगा।  तू दाविदपुर की शहरपनाह में जगह-जगह पड़ी दरारों+ का मुआयना करेगा और निचले तालाब+ में पानी जमा करेगा। 10  तू यरूशलेम के घरों को गिनेगा और शहरपनाह मज़बूत करने के लिए घरों को ढा देगा। 11  पुराने तालाब का पानी जमा करने के लिए तू दोनों शहरपनाहों के बीच एक कुंड बनाएगा। तू यह सब करेगा लेकिन अपने महान परमेश्‍वर की ओर नहीं देखेगा, जिसने यह कहर ढाने का फैसला बहुत पहले कर लिया था। 12  उस दिन सारे जहान के मालिकऔर सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने तुम्हें रोनेऔर मातम मनाने के लिए कहा,+अपने सिर मुँड़वाने और टाट पहनने के लिए कहा। 13  लेकिन तुमने जश्‍न और खुशियाँ मनायीं,भेड़ें और गाय-बैल काटे,गोश्‍त खाया, दाख-मदिरा पी+ और कहा,‘आओ हम खाएँ-पीएँ क्योंकि कल तो मरना ही है।’”+ 14  तब सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा ने मेरे कानों में कहा, “सारे जहान के मालिक और सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा का कहना है, ‘तुम लोगों के जीते-जी तुम्हारे इस पाप का कभी प्रायश्‍चित नहीं होगा।’”+ 15  सारे जहान का मालिक और सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा कहता है, “जा! महल के प्रबंधक शेबना+ के पास जा और उससे कह, 16  ‘तू यहाँ क्या कर रहा है? तेरा यहाँ कौन है जो तू अपने लिए कब्र तराश रहा है?’ वह अपने लिए ऊँची जगह पर कब्र तैयार कर रहा है, चट्टानों में विश्राम की जगह* खुदवा रहा है। 17  ‘हे आदमी, देख! यहोवा तुझे दबोचेगा और ज़ोर से तुझे पटक देगा। 18  वह तुझे कसकर लपेटेगा और गेंद की तरह खुले मैदान में दूर फेंक देगा। वहीं तू मरेगा। तेरे शानदार रथ भी वहीं पड़े रहेंगे, जिससे तेरे मालिक का घराना अपमानित होगा। 19  मैं तुझसे तेरी पदवी छीन लूँगा और तुझे तेरे ओहदे से गिरा दूँगा। 20  उस दिन मैं अपने सेवक एल्याकीम+ को बुलाऊँगा, जो हिलकियाह का बेटा है। 21  मैं उसे तेरी पोशाक पहनाऊँगा, तेरी कमर-पट्टी उसकी कमर पर कसकर बाँधूँगा+ और तेरा अधिकार उसके हाथ कर दूँगा। वह यरूशलेम के रहनेवालों और यहूदा के घराने का पिता बनेगा। 22  मैं दाविद के घराने की चाबी+ उसके कंधे पर रखूँगा। वह जो खोलेगा उसे कोई बंद नहीं कर पाएगा और वह जो बंद करेगा उसे कोई खोल नहीं पाएगा। 23  मैं उसे खूँटी की तरह एक मज़बूत जगह ठोंक दूँगा। वह अपने पिता के घराने के लिए आदर की राजगद्दी बन जाएगा। 24  और उसके पिता के घराने की सारी शान* उस पर टँगी होगी। जिस तरह सभी छोटे बरतन, कटोरे और बड़े-बड़े मटके खूँटी के सहारे टँगे होते हैं, वैसे ही उसके बच्चे* और वंशज उसके सहारे रहेंगे।’ 25  सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा ऐलान करता है, ‘उस दिन जो खूँटी मज़बूत जगह ठोंकी गयी है, वह निकाल दी जाएगी।+ उसे निकालकर फेंक दिया जाएगा और उस पर जो-जो चीज़ें टँगी हैं वे गिरकर खत्म हो जाएँगी क्योंकि यहोवा ने खुद यह बात कही है।’”

कई फुटनोट

ज़ाहिर है कि यहाँ यरूशलेम की बात की गयी है।
या “घोड़ों।”
शा., “का कवच उतार लिया।”
या “घोड़े।”
या “हिफाज़त।”
शा., “रहने की जगह।”
शा., “वज़न।”
या “शाखाएँ।”