यशायाह 27:1-13

  • लिव्यातान को यहोवा ने मार डाला (1)

  • गीत जिसमें इसराएल अंगूरों का बाग है (2-13)

27  उस दिन यहोवा अपनी पैनी और डरावनी तलवार से,+फुर्तीले लिव्यातान* पर वार करेगा,उस बलखाते साँप लिव्यातान पर वार करेगा,वह समुंदर में रहनेवाले उस बड़े जंतु को मार डालेगा।   उस दिन इस औरत* के लिए तुम यह गीत गाना: “अंगूरों की बगिया में दाख-मदिरा बन रही है!*+   यहोवा कहता है, ‘मैं बगिया की हिफाज़त कर रहा हूँ,+ मैं हर वक्‍त उसमें पानी डालता हूँ,+दिन-रात उसकी रक्षा करता हूँकि कोई उसे नुकसान न पहुँचाए।+   मैं अब उससे गुस्सा नहीं हूँ।+ अगर कोई मेरी बगिया में कँटीली झाड़ियाँ और जंगली पौधे बोएगा,तो मैं उससे लड़ूँगा और उसी वक्‍त उन्हें कुचल दूँगा, भस्म कर दूँगा।   अगर वह नहीं चाहता कि ऐसा हो, तो उससे कहकि वह मेरे मज़बूत गढ़ में आए और मेरे साथ शांति कायम करे, हाँ, वह आकर शांति कायम करे।’”   आनेवाले दिनों में याकूब जड़ पकड़ेगा,इसराएल में फूल खिलेंगे और कोपलें निकलेंगी,+उसकी पैदावार से धरती भर जाएगी।+   उसे जिस सख्ती से मारा गया, क्या उतनी सख्ती से मारना चाहिए था? उसे जैसी मौत मिली, क्या ऐसी मौत मिलनी चाहिए थी?   तू उस नगरी का सामना करेगा, चिल्लाकर उसे दूर भगा देगा। तू मानो पूर्वी हवा के तेज़ झोंके से उसे उड़ा देगा।+   इस तरह याकूब के पापों का प्रायश्‍चित होगा,+जब उसके पाप दूर किए जाएँगे तो उसका फल यह होगा: वह* वेदी के सब पत्थरों को चूना पत्थर की तरह चूर-चूर कर देगा। एक भी पूजा-लाठ* या धूप-स्तंभ नहीं बचेगा।+ 10  उस किलेबंद नगरी को छोड़ दिया जाएगा,उसके चरागाह, वीराने की तरह सुनसान हो जाएँगे।+ वहाँ बछड़ा चरेगा और आराम करेगा,वह उसकी सारी टहनियाँ चट कर जाएगा।+ 11  जब उस नगरी की टहनियाँ सूख जाएँगी,तो औरतें आकर उन्हें तोड़ लेंगीऔर उनसे आग जलाएँगी। उन लोगों में कोई समझ नहीं,+इसलिए उनका बनानेवाला उन पर दया नहीं करेगा,उन्हें रचनेवाला उन पर कोई रहम नहीं खाएगा।+ 12  हे इसराएल के लोगो, जैसे कोई पेड़ से एक-एक फल तोड़कर उन्हें इकट्ठा करता है, यहोवा भी महानदी* से लेकर मिस्र घाटी*+ तक के इलाकों से तुम्हें इकट्ठा करेगा।+ 13  उस दिन ज़ोर से नरसिंगा फूँका जाएगा+ और जो अश्‍शूर में मर-मरके जी रहे थे+ और जो मिस्र में तितर-बितर हो गए थे,+ वे यरूशलेम के पवित्र पहाड़ पर आएँगे और यहोवा के आगे दंडवत करेंगे।+

कई फुटनोट

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ज़ाहिर है कि यहाँ इसराएल की बात की गयी है, जिसे एक औरत बताया गया है और जिसकी तुलना अंगूरों के बाग से की गयी है।
या “दाख-मदिरा में झाग उठ रहा है।”
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ज़ाहिर है, यहोवा।
यानी फरात नदी।
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