यशायाह 47:1-15
47 हे बैबिलोन की कुँवारी बेटी,+नीचे उतर और आकर धूल में बैठ।
हे कसदियों की बेटी,ज़मीन पर बैठ, यहाँ तेरे लिए कोई राजगद्दी नहीं,+क्योंकि लोग फिर कभी नहीं कहेंगे कि तू बड़ी नाज़ुक है और तुझे बहुत लाड़-प्यार मिला है।
2 हाथ की चक्की ले और आटा पीस।
अपनी ओढ़नी हटा दे,अपना घाघरा उतार देऔर अपनी नंगी टाँगों से नदियों को पार कर।
3 सब तेरा नंगापन देखेंगे,तू सरेआम शर्मिंदा होगी।
मैं तुझसे बदला लूँगा+ और कोई मुझे नहीं रोक सकेगा।*
4 “इसराएल का पवित्र परमेश्वर,हमारा छुड़ानेवाला है।उसका नाम सेनाओं का परमेश्वर यहोवा है।”+
5 हे कसदियों की बेटी,अँधेरे में जा और चुपचाप बैठी रह,+क्योंकि अब लोग तुझे रियासतों की मलिका नहीं कहेंगे।+
6 मैं अपने लोगों पर भड़क उठा था,+मैंने अपनी विरासत को दूषित होने दिया+और उन्हें तेरे हाथ कर दिया।+
लेकिन तूने उन पर कोई दया नहीं की,+तूने बुज़ुर्गों पर भी भारी जुआ लाद दिया।+
7 तूने कहा, “मैं हमेशा मलिका बनी रहूँगी।”+
एक पल के लिए भी नहीं सोचा कि तू क्या कर रही हैऔर तेरे कामों का क्या अंजाम होगा।
8 हे रंगरलियों में डूबी औरत, सुन!+
तू जो बेखौफ बैठी है और अपने मन में कहती है,“मैं महान हूँ, मेरे जैसा और कोई नहीं।+
मैं कभी विधवा नहीं होऊँगी,न मेरे बच्चे कभी मरेंगे।”+
9 पर एक ही दिन में तुझ पर दो आफतें टूट पड़ेंगी:+
तेरे बच्चे मारे जाएँगे और तू विधवा हो जाएगी।
ये आफतें ज़बरदस्त तरीके से तुझ पर आ पड़ेंगी,+क्योंकि* तू बढ़-चढ़कर टोना-टोटका करती और बड़े-बड़े मंत्र फूँकती है।+
10 तुझे अपने दुष्ट कामों पर इतना भरोसा हैकि तू कहती है, “मुझे कोई नहीं देख रहा।”
तेरी बुद्धि और ज्ञान ने तुझे इस कदर भटका दिया हैकि तू मन-ही-मन कहती है, “मैं महान हूँ, मेरे जैसा और कोई नहीं।”
11 मगर तुझ पर विपत्ति आ पड़ेगीऔर तेरा कोई मंत्र काम नहीं आएगा।*
तुझ पर मुसीबत आ पड़ेगी और तू उसे टाल नहीं पाएगी,पल-भर में तेरा ऐसा नाश होगा, जिसके बारे में तूने सोचा भी नहीं था।+
12 तू मंत्र फूँकती रह और टोना-टोटका करती जा,+जिसमें तू बचपन से लगी हुई है।
क्या पता तुझे उससे कोई फायदा हो!
क्या पता लोगों में तेरा डर छा जाए!
13 तू अपने ढेरों सलाहकारों की सुन-सुनकर खुद को थका रही है।
ज़रा कह उनसे कि वे आकर तुझे बचाएँ,हाँ, उन्हीं से जो आकाश की पूजा करते हैं,* तारों को ध्यान से देखते हैं,+नए चाँद को देखकर भविष्य बताते हैं।
वे आकर बताएँ कि तेरे साथ क्या होनेवाला है।
14 देख! वे तो भूसे की तरह हैं,आग उन्हें भस्म कर देगी,उसकी लपटें इतनी तेज़ होंगी कि वे खुद को बचा नहीं पाएँगे।
ये जलते कोयले नहीं जिन पर कोई हाथ सेंके,न यह ऐसी आग है जिसके सामने कोई बैठ सके।
15 तेरे टोना-टोटका करनेवालों का भी यही हश्र होगा,जिनके साथ तू जवानी से मेहनत करती आयी है।
वे तितर-बितर हो जाएँगे* और यहाँ-वहाँ भटकते फिरेंगे,तुझे बचानेवाला कोई न होगा।+
कई फुटनोट
^ या शायद, “मेरे सामने कोई भी आए, मैं कृपा नहीं करूँगा।”
^ या शायद, “जबकि।”
^ या “और तू अपने मंत्र से उसे दूर नहीं कर पाएगी।”
^ या शायद, “जो आकाश को बाँटते हैं; ज्योतिषी।”
^ शा., “अपने-अपने इलाके में जाएँगे।”