यशायाह 48:1-22

  • इसराएल को फटकारना; शुद्ध करना (1-11)

  • यहोवा बैबिलोन के खिलाफ उठेगा (12-16क)

  • परमेश्‍वर की शिक्षा फायदेमंद (16ख-19)

  • “बैबिलोन से निकल जाओ!” (20-22)

48  हे याकूब के घराने के लोगो, सुनो!तुम जो खुद को इसराएल कहते हो+और यहूदा के सोतों से* निकले हो।तुम जो यहोवा के नाम से शपथ खाते हो+और इसराएल के परमेश्‍वर को पुकारते हो,पर यह सब तुम सच्चाई और नेकी से नहीं करते।+   ये लोग खुद को पवित्र शहर के निवासी बताते हैं+और इसराएल के परमेश्‍वर का सहारा लेते हैं,+जिसका नाम सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा है।   वह तुमसे कहता है, “पिछली बातों के बारे में मैंने बहुत पहले ही बता दिया था,वे मेरे ही मुँह से निकली थीं और मैंने ही वे बातें बतायी थीं।+ मैंने तुरंत कदम उठाया और वे पूरी हुईं।+   मैं जानता था कि तुम बहुत ढीठ हो,तुम्हारी गरदन लोहे की तरह और तुम्हारा माथा ताँबे की तरह कड़ा है।+   इसलिए मैंने बहुत पहले ही वे बातें बता दी थीं, उनके पूरा होने से पहले ही तुम्हें बता दिया थाताकि तुम यह न कह सको, ‘यह हमारे देवता* का काम है,हमारी तराशी हुई और ढली हुई मूरत की आज्ञा पर यह हुआ है।’   तुमने ये सारी बातें सुनी और देखी हैं,क्या इन्हें सरेआम नहीं बताओगे?+ अब मैं नयी बातों का ऐलान कर रहा हूँ,+छिपे हुए राज़ खोल रहा हूँ।   एक नयी रचना करने जा रहा हूँ जो मैंने पहले कभी नहीं की थी,जिसके बारे में आज से पहले तुमने कभी नहीं सुना थाताकि तुम यह न कह सको, ‘अरे! यह तो हम पहले से जानते हैं।’   पर तुम तो सुनना ही नहीं चाहते,+ न जानना चाहते हो,तुमने पहले से ही अपने कान बंद कर लिए हैं, मुझे पता है तुम दगाबाज़ हो+और जन्म से बागी हो।+   मगर मैं अपने नाम की खातिर अपना क्रोध रोके रहूँगा,+अपनी महिमा की खातिर खुद को रोके रहूँगा,मैं तेरा नामो-निशान नहीं मिटाऊँगा।+ 10  देख, मैंने तुझे शुद्ध किया है मगर चाँदी की तरह नहीं।+ मैंने तुझे दुख की भट्ठी में तपाकर परख* लिया है।+ 11  मैं अपनी खातिर, हाँ, अपने नाम की खातिर ऐसा करूँगा।+ भला मैं अपने नाम को अपवित्र कैसे होने दूँ?+ मैं अपनी महिमा किसी और को न दूँगा।* 12  हे याकूब, मेरी सुन! हे इसराएल, मेरी सुन! तुझे मैंने बुलाया है, मैं वही हूँ, मैं बदला नहीं।+ मैं ही पहला और मैं ही आखिरी हूँ।+ 13  मैंने अपने हाथों से पृथ्वी की नींव डाली,+अपने दाएँ हाथ से आकाश को ताना।+ मेरे बुलाने पर वे एक-साथ मेरे सामने हाज़िर हो जाते हैं। 14  तुम सब इकट्ठा हो और सुनो,तुम्हारे देवताओं में से* ऐसा कौन है जिसने इन बातों का ऐलान किया है? जिस शख्स से यहोवा प्यार करता है,+वह बैबिलोन के खिलाफ उसकी मरज़ी पूरी करेगा,+और उसका हाथ कसदियों पर उठेगा।+ 15  मैंने खुद यह कहा है, मैंने ही उसे बुलाया है+ और मैं ही उसको लाया हूँ। उसका हर काम सफल होगा।+ 16  मेरे पास आओ और सुनो! शुरू से ही मैंने यह बात खुलकर बतायी,+जब यह पूरी होने लगी तो मैं वहीं था।” अब सारे जहान के मालिक यहोवा ने मुझे भेजा है और अपनी पवित्र शक्‍ति भी दी है।* 17  यहोवा, जो तेरा छुड़ानेवाला और इसराएल का पवित्र परमेश्‍वर है, वह कहता है,+ “मैं ही तेरा परमेश्‍वर यहोवा हूँ,जो तुझे तेरे भले के लिए सिखाता हूँ+और जिस राह पर तुझे चलना चाहिए उसी पर ले चलता हूँ।+ 18  मेरी आज्ञाओं को ध्यान से सुन, उन्हें मान!+ तब तेरी शांति नदी के समान+और तेरी नेकी समुंदर की लहरों के समान होगी।+ 19  तेरा वंश बालू के समान अनगिनत होगाऔर तेरे वंशज बालू के किनकों की तरह बेहिसाब होंगे।+ तेरा नाम मेरे सामने से न कभी मिटाया जाएगा, न कभी खाक में मिलाया जाएगा।” 20  बैबिलोन से निकल जाओ!+ कसदियों से दूर भाग जाओ! खुशी के मारे ऐलान करो, ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाओ,+धरती के कोने-कोने तक यह खबर सुनाओ,+“यहोवा ने अपने सेवक याकूब को छुड़ा लिया है।+ 21  उजाड़ जगहों से लाते वक्‍त उसने उन्हें प्यासा नहीं मरने दिया,+ उसने उनके लिए चट्टान से पानी निकाला,चट्टान को चीर दिया और पानी बह निकला।”+ 22  यहोवा कहता है, “दुष्टों को कभी शांति नहीं मिलती।”+

कई फुटनोट

या शायद, “यहूदा से।”
या “हमारी मूरत।”
या शायद, “चुन।”
या “किसी और के साथ न बाँटूँगा।”
शा., “उनमें से।”
या “मुझे अपनी पवित्र शक्‍ति देकर भेजा है।”