यशायाह 50:1-11

  • इसराएल के पाप से आयी मुसीबतें (1-3)

  • यहोवा का आज्ञाकारी सेवक (4-11)

    • सीखनेवालों की ज़बान और कान (4)

50  यहोवा कहता है, “जब मैंने तुम्हारी माँ को दूर भेजा, तो क्या उसे कोई तलाकनामा दिया?+ क्या मैंने अपना कोई कर्ज़ चुकाने के लिए तुम्हें बेचा? नहीं! तुम्हें तो अपने गुनाहों+ के कारण बेचा गया,तुम्हारे अपराधों के कारण तुम्हारी माँ को दूर भेजा गया।+   जब मैं यहाँ आया तो क्यों मुझे कोई नहीं मिला? क्यों मेरे बुलाने पर किसी ने जवाब नहीं दिया?+ क्या मेरा हाथ इतना छोटा है कि वह छुड़ा न सके? क्या मुझमें ताकत नहीं कि तुम्हें बचा सकूँ?+ देखो, मेरी फटकार सुनकर समुंदर सूख जाता है।+ मैं नदियों को रेगिस्तान बना देता हूँ,+उनकी मछलियाँ बिन पानी के प्यासी मर जाती हैं और बदबू मारने लगती हैं।   मैं आसमान को काली चादर से ढक देता हूँ+और उसे टाट का कपड़ा पहनाता हूँ।”   सारे जहान के मालिक यहोवा ने मुझे सिखाया और ऐसी ज़बान* दी+कि मैं सही बात कहकर थके-माँदों को जवाब दे सकूँ।*+ वह मुझे हर सुबह उठाता है, मेरे कान खोलता हैताकि मैं सीखनेवालों की तरह ध्यान से उसकी सुनूँ।+   सारे जहान के मालिक यहोवा ने मुझे समझ की बातें सिखायीं,* मैं बागी नहीं था,+ मैंने उससे मुँह नहीं फेरा।+   मैंने कोड़े मारनेवालों को अपनी पीठ दी,दाढ़ी नोचनेवालों की ओर अपने गाल कर दिए। अपमान सहने और थूके जाने पर मैंने मुँह नहीं छिपाया।+   सारे जहान का मालिक यहोवा मेरी मदद करेगा,+इसलिए मैं बेइज़्ज़त महसूस नहीं करूँगा। मैंने अपना चेहरा चकमक पत्थर की तरह कड़ा कर लिया है+और मुझे यकीन है कि मुझे शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा।   जो मुझे नेक करार देता है, वह मेरे करीब है। कौन मुझ पर इलज़ाम लगाएगा?+ वह सामने आकर बात करे। कौन मुझसे मुकदमा लड़ेगा? वह आगे आए।   देखो! सारे जहान का मालिक यहोवा मेरी मदद करेगा। कौन मुझे दोषी ठहरा सकता है? देखो! वे उस पुराने कपड़े की तरह हो जाएँगे,जिसे कपड़-कीड़ा खा गया हो। 10  तुम्हारे बीच ऐसा कौन है जो यहोवा का डर मानता हैऔर उसके सेवक की बात सुनता है?+ कौन है जो बिन रौशनी के घुप अँधेरे में चलता है? वह यहोवा के नाम पर भरोसा करे और परमेश्‍वर को अपना सहारा बनाए।* 11  “तुम सब जो आग सुलगाते हो, जिससे चिंगारियाँ उठती हैं,अपनी सुलगायी आग की रौशनी में चलो,उससे उठनेवाली चिंगारियों में होकर चलो। पर मेरी तरफ से तुम्हें यह सज़ा मिलेगी: तुम दर्द से बेहाल पड़े रहोगे।

कई फुटनोट

या शायद, “की हिम्मत बँधा सकूँ।”
या “तालीम पायी हुई ज़बान।”
शा., “मेरा कान खोला।”
या “पर आस लगाए।”