यशायाह 53:1-12
53 हमारे संदेश पर* किसने विश्वास किया है?+
यहोवा ने अपनी ताकत*+ किस पर ज़ाहिर की है?+
2 वह टहनी की तरह उसके* सामने उगेगा,+ सूखी ज़मीन में जड़ की तरह फैलेगा।
जब हम उसे देखते हैं, तो उसमें कोई सुंदरता, कोई शान नज़र नहीं आती,+न उसके रूप में ऐसी खासियत है कि हम उसकी तरफ खिंचे चले जाएँ।
3 लोगों ने उसे तुच्छ जाना, उससे किनारा किया।+
वह अच्छी तरह जानता था कि दर्द क्या होता है, बीमारी क्या होती है।
उसका चेहरा मानो हमसे छिपा हुआ था।*
हमने उसे तुच्छ जाना और बेकार समझा।+
4 उसने हमारी बीमारी खुद पर उठा ली+और हमारा दर्द हमसे ले लिया।+
पर हमने समझा कि उस पर परमेश्वर की मार पड़ी है,उसी ने उसे घायल किया और दुख दिया है।
5 हमारे अपराधों के लिए उसे भेदा गया,+हमारे गुनाहों के लिए उसे कुचला गया,+
हमारी शांति के लिए उसने सज़ा भुगती+और उसके घाव से हम चंगे हुए।+
6 हम सब भेड़ों की तरह भटके हुए थे,+हर कोई अपनी राह चल रहा था।लेकिन यहोवा ने हमारे गुनाहों का बोझ उस पर लाद दिया।+
7 उस पर अत्याचार किए गए,+ पर उसने सबकुछ सह लिया,+अपने मुँह से एक शब्द नहीं निकाला।
वह भेड़ की तरह बलि होने के लिए लाया गया।+
जैसे मेम्ना अपने ऊन कतरनेवाले के सामने चुपचाप रहता है,वैसे ही उसने अपने मुँह से एक शब्द नहीं निकाला।+
8 ज़ुल्म और अन्याय से उसकी जान ले ली गयी।*
मगर क्या किसी ने यह जानना चाहा कि वह कौन है, कहाँ से आया है?*
उसे दुनिया* से मिटा दिया गया,+मेरे लोगों के अपराधों के लिए उसे मार डाला गया।*+
9 उसने कोई बुराई* नहीं की,न उसके मुँह से छल की बातें निकलीं,+फिर भी उसे दुष्टों के साथ कब्र में दफनाया गया,*+जब उसकी मौत हुई, तो उसे अमीरों* के साथ गाड़ा गया।+
10 यह यहोवा की मरज़ी थी* कि वह कुचला जाए,तभी उसने उसे दुख झेलने दिया।
हे परमेश्वर, अगर तू उसकी जान दोष-बलि के तौर पर दे,+तो वह अपने वंश* को देखेगा और बहुत दिनों तक जीएगा।+
उसी से यहोवा की मरज़ी* पूरी होगी।+
11 उसने जो पीड़ाएँ सहीं, उन्हें देखकर उसे संतोष मिलेगा।
मेरा नेक जन, मेरा सेवक+ अपने ज्ञान से,कई लोगों की मदद करेगा कि वे नेक ठहरें।+
वह उनके गुनाह अपने ऊपर ले लेगा।+
12 इसलिए मैं उसे बहुतों के साथ हिस्सा दूँगा,वह शूरवीरों के साथ लूट का माल बाँटेगा,क्योंकि उसने अपनी जान कुरबान कर दी,*+वह अपराधियों में गिना गया,+वह बहुतों का पाप उठा ले गया+और अपराधियों की खातिर उसने बिनती की।+
कई फुटनोट
^ या शायद, “जो संदेश हमने सुना है उस पर।”
^ शा., “बाज़ू।”
^ “उसके” का मतलब परमेश्वर हो सकता है या कोई इंसान, जो यह सब देख रहा है।
^ या शायद, “लोग उससे अपना मुँह फेर लेते थे।”
^ शा., “उसे मार पड़ी।”
^ शा., “जीवितों के देश में।”
^ शा., “उसे ले लिया गया।”
^ या “उसकी ज़िंदगी के बारे में जानना चाहा?”
^ या “हिंसा।”
^ या “दुष्टों के साथ दफनाने के लिए वह अपनी जगह देगा।”
^ शा., “अमीर आदमी।”
^ या “यहोवा को जो मंज़ूर है।”
^ शा., “बीज।”
^ या “यहोवा को यह भाया।”
^ शा., “उँडेल दी।”