यशायाह 56:1-12

  • परदेसियों और नपुंसकों पर आशीषें (1-8)

    • सबके लिए प्रार्थना का घर (7)

  • अंधे पहरेदार, गूँगे कुत्ते (9-12)

56  यहोवा कहता है, “न्याय की राह पर बने रहो+ और सही काम करो,क्योंकि मैं जल्द ही तुम्हारा उद्धार करूँगाऔर अपनी नेकी दिखाऊँगा।+   सुखी है वह इंसान जो ऐसा करता हैऔर जो इन बातों पर कायम रहता है,जो सब्त मनाता है और इसे अपवित्र नहीं करता+और जो हर तरह के बुरे काम करने से दूर रहता है।   यहोवा की उपासना करनेवाला परदेसी+ यह न कहे,‘यहोवा मुझे अपने लोगों में से अलग कर देगा।’ और जो नपुंसक है वह यह न कहे, ‘देख! मैं तो सूखा पेड़ हूँ।’”  क्योंकि यहोवा कहता है, “जो नपुंसक मेरे ठहराए हुए सब्त मनाते हैं, वे वही करते हैं जो मुझे पसंद है और मेरा करार थामे रहते हैं,   मैं उन्हें अपने घर में, अपनी चारदीवारी के अंदर एक जगह* और एक नाम दूँगा,जो बेटे-बेटियों के होने से कहीं बढ़कर होगा। मैं उन्हें ऐसा नाम दूँगा जो हमेशा कायम रहेगा,ऐसा नाम जो कभी नहीं मिटेगा।   और जो परदेसी यहोवा की सेवा करने के लिए,यहोवा के नाम से प्यार करने के लिए+और उसके सेवक बनने के लिए आगे आते हैं,जो सब्त मनाते हैं और उसे अपवित्र नहीं करते,जो मेरा करार थामे रहते हैं,   उन्हें भी मैं अपने पवित्र पर्वत पर लाऊँगा,+अपने प्रार्थना के घर में खुशियाँ दूँगा,उनकी होम-बलियाँ और बलिदान अपनी वेदी पर कबूल करूँगा। मेरा घर देश-देश के सब लोगों के लिए प्रार्थना का घर कहलाएगा।”+  सारे जहान का मालिक यहोवा, जो इसराएल के तितर-बितर हुए लोगों को इकट्ठा कर रहा है,+ ऐलान करता है,“जो लोग इकट्ठे किए जा चुके हैं, उनके अलावा मैं औरों को भी इकट्ठा करूँगा।”+   हे मैदान के जंगली जानवरो, आओ!हे जंगल के सारे जानवरो, खाने के लिए आओ!+ 10  पहरेदार अंधे हैं,+ उनमें से कोई ध्यान नहीं देता,+ सब-के-सब गूँगे कुत्ते हैं जो भौंक नहीं सकते,+वे बस लेटे रहते हैं और हाँफते रहते हैं, उन्हें तो अपनी नींद प्यारी है। 11  वे ऐसे भूखे कुत्ते हैं,जिनका पेट* कभी नहीं भरता। वे ऐसे चरवाहे हैं जिनमें कोई समझ नहीं,+सब अपनी मनमानी करते हैं,हर कोई अपने फायदे के लिए बेईमानी करता है और कहता है, 12  “आओ, हम दाख-मदिरा पीएँ,पीकर नशे में चूर हो जाएँ।+ कल का दिन आज जैसा होगा बल्कि आज से भी अच्छा होगा।”

कई फुटनोट

या “स्मारक।”
या “जी।”