यशायाह 62:1-12

  • सिय्योन का नया नाम (1-12)

62  मैं सिय्योन की खातिर तब तक चुप नहीं रहूँगा,+यरूशलेम की खातिर तब तक शांत नहीं बैठूँगा,जब तक उसकी नेकी तेज़ रौशनी की तरह नहीं चमकती,+जब तक उसका उद्धार जलती मशाल की तरह नहीं दिखता।+   “हे औरत, देश-देश के लोग तेरी नेकीऔर सब राजा तेरी शान देखेंगे।+ तुझे एक नए नाम से बुलाया जाएगा,+उस नाम से, जो खुद यहोवा तुझे देगा।   तू यहोवा के हाथ में खूबसूरत ताजऔर अपने परमेश्‍वर के हाथ में शाही पगड़ी ठहरेगी।   तुझे फिर कभी छोड़ी हुई औरत नहीं कहा जाएगा,+न कभी तेरे देश को उजाड़ कहा जाएगा,+बल्कि तुझे इस नाम से बुलाया जाएगा, ‘मेरी खुशी उसमें है’+ और तेरे देश को ‘ब्याही हुई’ कहा जाएगा,क्योंकि यहोवा तुझमें खुशी पाएगाऔर तेरा देश ऐसा होगा मानो उसकी शादी हुई हो।   जैसे एक जवान आदमी किसी कुँवारी से शादी करता है,वैसे ही तेरे लोग तुझसे शादी करेंगे। जैसे दूल्हा अपनी दुल्हन पाकर फूला नहीं समाता,वैसे ही तेरा परमेश्‍वर तुझे पाकर फूला न समाएगा।+   हे यरूशलेम, तेरी शहरपनाह पर मैंने पहरेदार बिठाए हैं। वे कभी चुप नहीं रहेंगे, फिर चाहे दिन हो या रात। हे यहोवा की तारीफ करनेवालो,चैन से मत बैठो,   उसे पुकारते रहो, जब तक कि वह यरूशलेम को मज़बूती से कायम न कर दे,जब तक कि वह पूरी धरती पर उस नगरी का नाम न फैला दे।”+   यहोवा ने अपना दायाँ हाथ, अपना शक्‍तिशाली बाज़ू उठाकर यह शपथ खायी है, “मैं फिर कभी तेरा अनाज दुश्‍मनों को नहीं खाने दूँगा,न परदेसी तेरी नयी दाख-मदिरा पीएँगे, जिसके लिए तूने कड़ी मेहनत की है।+   मगर अनाज बटोरनेवाले ही उसे खाएँगे और यहोवा का गुणगान करेंगे,अंगूर इकट्ठा करनेवाले ही मेरे पवित्र आँगनों में इसे पीएँगे।”+ 10  निकल जाओ, फाटकों से बाहर निकल जाओ! लोगों के लिए रास्ता तैयार करो,+पत्थरों को हटाकर राजमार्ग बनाओ,+देश-देश के लोगों के लिए झंडा खड़ा करो।+ 11  सुनो! यहोवा ने धरती के छोर तक ऐलान किया है,“सिय्योन की बेटी से कहो,‘तेरा उद्धार होनेवाला है!+ देख! परमेश्‍वर अपने साथ इनाम लेकर आ रहा है,जो मज़दूरी वह देगा, वह उसके पास है।’”+ 12  वे यहोवा के छुड़ाए हुए, उसके पवित्र लोग कहलाएँगे+और तेरे बारे में कहा जाएगा कि ‘तू अपनायी गयी है, तू वह नगरी है जिसे परमेश्‍वर ने नहीं त्यागा।’+

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