यहोशू 20:1-9

  • शरण नगर (1-9)

20  फिर यहोवा ने यहोशू से कहा,  “इसराएलियों को बता कि जैसा मैंने मूसा से कहलवाया था, वे अपने लिए शरण नगर+ चुन लें  ताकि जो इंसान अनजाने में या गलती से किसी का खून कर दे, वह इन नगरों में भाग सके। वहाँ उसे खून का बदला लेनेवाले से हिफाज़त मिलेगी।+  उसे उन नगरों में से किसी एक में भागना होगा+ और नगर के फाटक पर+ आकर वहाँ के मुखियाओं के सामने अपना मामला पेश करना होगा। तब वे उसे नगर में ले लेंगे और उसे रहने की जगह देंगे और वह उनके साथ रहेगा।  अगर खून का बदला लेनेवाला उसका पीछा करते हुए वहाँ आता है, तो मुखिया उस आदमी को बदला लेनेवाले के हाथ में नहीं सौंपेंगे क्योंकि उसने अनजाने में अपने साथी का खून किया था, न कि नफरत की वजह से।+  उसे उसी नगर में रहना होगा जब तक कि वह मंडली के सामने मुकदमे के लिए पेश नहीं होता।+ और निर्दोष साबित होने के बाद भी उसे नगर में तब तक रहना होगा जब तक महायाजक की मौत नहीं हो जाती।+ इसके बाद वह चाहे तो अपने शहर और अपने घर लौट सकता है जहाँ से वह भागा था।”+  इसलिए इसराएलियों ने ये सभी नगर अलग* ठहराए: नप्ताली के पहाड़ी प्रदेश में गलील का केदेश,+ एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में शेकेम+ और यहूदा के पहाड़ी प्रदेश में किरयत-अरबा+ यानी हेब्रोन।  यरीहो के पास यरदन के पूरब में उन्होंने ये नगर चुने: रूबेन गोत्र के पठारी इलाके के वीराने में बेसेर,+ गाद गोत्र के गिलाद में रामोत+ और मनश्‍शे गोत्र के बाशान में गोलान।+  ये वे नगर थे जो इसराएलियों और उनके बीच रहनेवाले परदेसियों के लिए चुने गए ताकि अगर कोई अनजाने में किसी का खून कर दे, तो वह भागकर इन नगरों में शरण ले सके+ और मंडली के सामने मुकदमे के लिए पेश होने से पहले, खून का बदला लेनेवाला उसे मार न डाले।+

कई फुटनोट

या “पवित्र।”