यहोशू 7:1-26

  • ऐ में इसराएल की हार (1-5)

  • यहोशू की प्रार्थना (6-9)

  • पाप की वजह से हार हुई (10-15)

  • आकान का परदाफाश; मार डाला गया (16-26)

7  इसराएलियों ने नाश के लिए ठहरायी चीज़ों के बारे में परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़कर विश्‍वासघात किया। आकान+ ने उन चीज़ों में से कुछ चीज़ें ले ली थीं।+ इसलिए यहोवा का क्रोध इसराएलियों पर भड़क उठा।+ आकान यहूदा गोत्र से था, वह करमी का बेटा था, करमी जब्दी का और जब्दी जेरह का।  यहोशू ने यरीहो से कुछ आदमियों को ऐ नाम की जगह+ भेजा, जो बेतेल+ के पूरब में बेत-आवेन के पास थी। उसने उनसे कहा, “जाओ, जाकर उस जगह की जासूसी करो।” तब उन्होंने जाकर ऐ शहर की जासूसी की।  वापस आने पर उन्होंने यहोशू से कहा, “ऐ पर हमला बोलने के लिए हमारी पूरी सेना को जाने की ज़रूरत नहीं। उस इलाके में बहुत कम लोग रहते हैं, उन्हें हराने के लिए हमारे दो-तीन हज़ार सैनिक काफी होंगे। अच्छा होगा कि हम अपने सभी सैनिकों को वहाँ ले जाकर न थकाएँ।”  इसलिए करीब 3,000 इसराएली सैनिक वहाँ गए, लेकिन उन्हें ऐ के लोगों से हारकर भागना पड़ा।+  ऐ के आदमियों ने शहर के फाटक से उनका पीछा करते हुए, उन्हें पहाड़ी के नीचे शबारीम* तक खदेड़ा। उन्होंने रास्ते में 36 इसराएली सैनिकों को मार गिराया। इससे इसराएलियों का दिल काँप उठा और उनकी हिम्मत टूट गयी।*  जब यहोशू ने इस बारे में सुना तो मारे दुख के उसने अपने कपड़े फाड़े और वह यहोवा के संदूक के सामने ज़मीन पर मुँह के बल गिर गया। यहोशू और इसराएल के मुखिया शाम तक इसी तरह शोक मनाते रहे और अपने सिर पर धूल डालते रहे।  यहोशू ने परमेश्‍वर से कहा, “हे सारे जहान के मालिक यहोवा, तू क्यों हमें इतनी दूर यरदन के पार लाया? क्या सिर्फ इसलिए कि तू हमें एमोरियों के हवाले कर दे और वे हमें मार डालें? इससे तो अच्छा होता कि हम यरदन के उस पार* ही रह जाते!  माफ करना यहोवा, मगर जिस तरह इसराएलियों को अपने दुश्‍मनों के सामने से* भागना पड़ा, उसे देखकर मैं और क्या कहूँ?  जब कनानियों और देश के बाकी निवासियों को यह पता चलेगा, तो वे हम पर टूट पड़ेंगे और धरती से हमारा नामो-निशान मिटा डालेंगे। इससे तेरे महान नाम पर कितना बड़ा कलंक लगेगा!”+ 10  यहोवा ने यहोशू से कहा, “उठ! तू क्यों इस तरह ज़मीन पर पड़ा शोक मना रहा है? 11  इसराएल ने पाप किया है। उन्होंने नाश के लायक ठहरायी चीज़ों+ में से कुछ चीज़ें चुरायी हैं+ और अपने सामान में छिपा ली हैं।+ उन्होंने मेरा करार तोड़ दिया+ जिसे मानने की मैंने आज्ञा दी थी। 12  इसलिए इसराएली अपने दुश्‍मनों के आगे टिक नहीं पाएँगे। वे उन्हें पीठ दिखाकर भाग जाएँगे क्योंकि अब वे नाश के लायक ठहराए गए हैं। मैं तब तक तुम्हारा साथ नहीं दूँगा, जब तक तुम अपने बीच में से उसे नहीं मिटा देते जो नाश के लायक ठहराया गया है।+ 13  अब उठ और लोगों को तैयार* कर।+ उनसे कहना, ‘कल के लिए तैयार हो जाओ क्योंकि इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा ने कहा है, “हे इसराएल के लोगो, तुम्हारे बीच कोई है जो नाश के लायक ठहराया गया है। जब तक तुम उसे अपने बीच से मिटा नहीं देते, तब तक तुम अपने दुश्‍मनों के आगे टिक नहीं पाओगे। 14  कल सुबह तुम सब अपने-अपने गोत्र के हिसाब से इकट्ठा होना। उन गोत्रों में से यहोवा जिस गोत्र को अलग करेगा वह आगे आए।+ फिर उस गोत्र में से यहोवा जिस घराने को अलग करेगा वह आगे आए। उस घराने में से जिस परिवार को यहोवा अलग करेगा वह आगे आए। और उस परिवार के सभी आदमी एक-एक करके आगे आएँ। 15  उनमें से जो आदमी नाश के लायक ठहरायी चीज़ लेने का दोषी पाया जाएगा, उसे और जो कुछ उसका है, सब खत्म कर दिया जाएगा और जला दिया जाएगा।+ क्योंकि उस आदमी ने यहोवा का करार तोड़ा है+ और इसराएल में शर्मनाक काम किया है।”’” 16  अगले दिन यहोशू सुबह-सुबह उठा और उसने सभी इसराएलियों को उनके गोत्रों के हिसाब से इकट्ठा किया। तब सब गोत्रों में से यहूदा गोत्र अलग किया गया। 17  यहोशू ने यहूदा के सभी घरानों को आगे आने के लिए कहा और उनमें से जेरह का घराना+ अलग किया गया। फिर उसने जेरह के घराने के सभी आदमियों को एक-एक करके आगे आने के लिए कहा और उनमें से जब्दी को अलग किया गया। 18  आखिर में उसने जब्दी के परिवार के सभी आदमियों को एक-एक करके आगे आने के लिए कहा। और आकान को अलग किया गया।+ यहूदा गोत्र का आकान करमी का बेटा था, करमी जब्दी का और जब्दी जेरह का। 19  तब यहोशू ने आकान से कहा, “मेरे बेटे, इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के सामने अपना पाप कबूल कर और उसका आदर कर। सच-सच बता कि तूने क्या किया है। मुझसे कुछ मत छिपा।” 20  आकान ने यहोशू से कहा, “हाँ, मैं ही वह आदमी हूँ जिसने इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा के खिलाफ पाप किया है। 21  जब मैं लूट का माल इकट्ठा कर रहा था, तब मेरी नज़र शिनार+ की एक सुंदर और महँगी पोशाक पर पड़ी। मैंने 200 शेकेल* चाँदी और सोने की एक ईंट भी देखी जिसका वज़न 50 शेकेल था। मेरा मन ललचाने लगा और मैं उन्हें अपने तंबू में ले आया। तुझे वे चीज़ें मेरे तंबू में ज़मीन में गड़ी मिलेंगी और सोना-चाँदी सबसे नीचे रखा होगा।” 22  तब यहोशू ने फौरन अपने आदमियों को भेजा और वे भागकर आकान के तंबू में गए। पोशाक ज़मीन में गड़ी हुई मिली और सोना-चाँदी सबसे नीचे रखा हुआ था। 23  उन्होंने वे चीज़ें तंबू से लीं और उन्हें यहोशू और सारे इसराएलियों के पास ले आए और यहोवा के सामने रखा। 24  यहोशू और सारे इसराएली, जेरह के बेटे आकान+ को और उसकी चुरायी चाँदी, महँगी पोशाक, सोने की ईंट,+ साथ ही उसके बेटे-बेटियों, बैल, गधों और भेड़-बकरियों और उसके तंबू को और जो कुछ उसका था, सबकुछ लेकर आकोर घाटी+ में आए। 25  यहोशू ने आकान से कहा, “तू क्यों हम पर यह आफत* लाया?+ अब देख यहोवा तुझ पर आफत लाएगा।” इसके बाद सारे इसराएलियों ने उन्हें पत्थरों से मार डाला+ और आग में जला दिया।+ इस तरह उन्होंने पत्थरों से उन्हें मौत के घाट उतार दिया। 26  उन्होंने उस पर पत्थरों का एक बड़ा ढेर लगा दिया जो आज भी वहाँ है। तब यहोवा का क्रोध शांत हो गया।+ इस घटना की वजह से आज तक वह जगह आकोर* घाटी के नाम से जानी जाती है।

कई फुटनोट

मतलब “खदानें।”
शा., “का दिल पिघलकर पानी जैसा हो गया।”
यानी पूरब में।
या “को पीठ दिखाकर।”
या “पवित्र।”
एक शेकेल का वज़न 11.4 ग्रा. था। अति. ख14 देखें।
या “घोर संकट।”
मतलब “आफत; घोर संकट।”